खबर लहरिया Blog Climate Change: भारत और पाकिस्तान में बाढ़, जलवायु परिवर्तन का भयावह परिणाम

Climate Change: भारत और पाकिस्तान में बाढ़, जलवायु परिवर्तन का भयावह परिणाम

मौसम वैज्ञानिक समरजीत चौधरी कहते हैं कि मानसून की गतिविधियां काफी हद तक समुद्र की गतिविधियों पर निर्भर करती है। इसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौसम के पैटर्न (दोहराव) में भी बदलाव देखे जा रहे हैं। मानसून की असंतुलित बारिश के लिए हम जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार मान सकते हैं।

वाराणसी में राजघाट पर कमर तक पानी भरे हुए की तस्वीर (फोटो साभार: खबर लहरिया)

रिपोर्ट – श्यामकली, नाज़नी

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की वजह से भारत और पाकिस्तान में इस समय भारी बारिश ने तबाही मचा रखी है, जिससे बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। दिल्ली, यूपी, बिहार और हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों में भारी बारिश हुई जिसकी वजह से कई मौतें भी हुई। बिहार में पिछले 24 घंटों में बिजली गिरने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय ने गुरुवार 17 जुलाई 2025 को दी। पाकिस्तान के पंजाब में भारी बारिश से 24 घंटे में 54 लोगों की मौत की खबर सामने आई। मौसम विभाग ने बताया कि राजधानी इस्लामाबाद, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में और बारिश होने की संभावना है।

भारी बारिश और बाढ़ की वजह तेजी से बदलता जलवायु परिवर्तन (Climate Change) है। साल दर साल बढ़ती गर्मी और बिन मौसम बरसात होना जलवायु परिवर्तन का संकेत है।

महोबा जिला के कस्बा कुलपहाड़ तालाब की तस्वीर (फोटो साभार: खबर लहरिया)

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) वह प्रक्रिया है, जिसमें पृथ्वी के मौसम पैटर्न (दोहराव) में दीर्घकालिक (लम्बे समय) बदलाव होते हैं। इसमें मुख्य रूप से वैश्विक तापमान में वृद्धि, मौसम के बदलते हुए पैटर्न, समुद्र स्तर का बढ़ना और अधिक चरम मौसम घटनाएँ (जैसे बाढ़, सूखा, और तूफान) शामिल हैं।

यह परिवर्तन मानव गतिविधियों, जैसे जीवाश्म ईंधन का जलना (कोयला, तेल, गैस), वनों की कटाई, और औद्योगिकीकरण के कारण हो रहा है, जो ग्रीनहाउस गैसों (जैसे कार्बन डाइऑक्साइड) के उत्सर्जन को बढ़ाते हैं। ये गैसें वातावरण में जमा होती हैं और पृथ्वी की सतह को गर्म करती हैं, जिसे ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है, जो जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण है। खबर लहरिया की रिपोर्ट में आप यूपी के जलवायु परिवर्तन को अच्छे से समझ सकते हैं।

जलवायु परिवर्तन का जिम्मेदार कौन? ख़ास मुलाकात मौसम विशेषज्ञ के साथ

आप ने महसूस किया होगा कई सालों से गर्मी और सर्दी का मौसम का समय में बहुत फर्क आया है। अब गर्मी का मौसम पहले से अधिक महीनों तक होता है वहीं सर्दियों का मौसम जल्दी ही चला जाता है। पेड़ों का काटा जाना, जंगलों में आग लग जाना ये सभी तापमान को बढ़ाने मदद करती है। जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि होती है विशेषज्ञों का कहना है कि चारों ऋतुएँ (गर्मी, सर्दी, बरसात और वसंत) बदल जाएँगी और इसका पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। बढ़ते ,तापमान की वजह से ही भू जल का स्तर कम होता जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन की सबसे बड़ी वजह ग्लेशियर (glaciers)

बीबीसी की 19 फरवरी 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिक विश्लेषण के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण विश्व के ग्लेशियर पहले से कहीं अधिक तेजी से पिघल रहे हैं। जलवायु परिवर्तन में ग्लेशियर का पिघलना सबसे बड़ा कारण है।

ग्लेशियर (glaciers) क्या है?

बड़े बर्फ के पर्वत जिसे पर्वतीय ग्लेशियर कहा जाता है। बर्फ की जमी हुई नदियाँ दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए मीठे पानी के संसाधन के रूप में कार्य करते हैं। यदि वे पूरी तरह पिघल जाएं तो वैश्विक समुद्र-स्तर को 32 सेमी (13 इंच) तक बढ़ाने के लिए पर्याप्त पानी को रोकते हैं।

ग्लेशियर पिघलने की गति बढ़ती जा रही है। पिछले एक दशक में, ग्लेशियरों का नुकसान 2000-2011 की अवधि की तुलना में एक तिहाई से भी ज़्यादा रहा है। इसका असर पूरे विश्व में पड़ता है।

जलवायु परिवर्तन को लेकर विशेषज्ञ का कहना

दैनिक जागरण की 16 जुलाई 2025 की रिपोर्ट में मौसम वैज्ञानिक समरजीत चौधरी कहते हैं कि मानसून की गतिविधियां काफी हद तक समुद्र की गतिविधियों पर निर्भर करती है। इसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौसम के पैटर्न (दोहराव) में भी बदलाव देखे जा रहे हैं। मानसून की असंतुलित बारिश के लिए हम जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार मान सकते हैं। सामान्य तौर पर मानसून उत्तर पश्चिमी बंगाल, गैंजेटिक प्लेन, पूर्वी उत्तर प्रदेश होते हुए दिल्ली तक बारिश देता है। इस साल मानसून समय से पहले आ गया।

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, यूपी में बाढ़

यूपी में भारी बारिश से कई नदियां को जल स्तर बढ़ गया है तो वहीं कई घाट (नमो घाट और रामघाट अन्य) डूब गए हैं। लगातार बारिश ने बाढ़ को जन्म दे दिया है। बाढ़ ने कई लोगों को बेघर कर दिया है तो कई की दुकान को जलमगन कर दिया है, कई लोगों की मौत भी हो गई है।

रामघाट की तस्वीर (फोटो साभार: खबर लहरिया)

 

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार प्रयागराज में गंगा-यमुना नदी का जल स्तर काफी बढ़ गया है। नदियों से सटे 200 से ज्यादा गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। फसलें डूब गईं हैं। कई स्कूलों में भी पानी भर गया है।

बाँदा में 2 बच्चों की मौत

यूपी के बाँदा में भी बारिश के कारण कच्चे मकान के ढहने से 2 बच्चों मौत हो गई जबकि मलबे में 9 लोग दब गए थे।

चित्रकूट में जर्जर मकान गिरा, दो बच्चों की मौत

12 जुलाई की बारिश से उभरा चित्रकूट फिर 17 जुलाई की रात आफत की बारिश में डूब गया। 24 घंटे की तेज बारिश से रामघाट में बाढ़ आ गई, मानिकपुर के कई गांवों का संपर्क टूट गया।

पहाड़ी कस्बे में एक जर्जर मकान गिरने से दो बच्चों की मौत हो गई। अनिल सिंह अपने परिवार के साथ उस मकान में रह रहे थे। भारी बारिश और जाम नाली के कारण मकान रात 3 बजे ढह गया। पत्नी-पति घायल निकले, लेकिन 5 साल की शिवानी और 1 साल के शिवा की जान नहीं बच सकी।

पड़ोसियों ने बताया कि परिवार बेहद गरीब था। खाने तक के लाले थे, मकान खतरनाक था लेकिन मजबूरी में वहीं रह रहे थे।

बारिश से जर्जर मकान की टूटी हुई तस्वीर (फोटो साभार – खबर लहरिया)

महोबा में 50 घर डूबे

महोबा ब्लॉक के जैतपुर गाँव लाडपुर में कल 17 जुलाई 2025 को सुबह 10:00 बजे से लगातार बारिश हुई जिसकी वजह से करीब 50 घर (कुशवाह बस्ती) डूब गए। आज 18 जुलाई हो गई अभी तक पानी कम नहीं हुआ है जिससे काफी समस्या हो रही है। लोगों का सारा जरूरत का सामान पानी में भीग गया।

वाराणसी में बाढ़ का प्रभाव

खबर लहरिया की रिपोर्ट में कल 17 जुलाई की हुई बारिश से नदियों में पानी 5 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है। गंगा और वरुणा नदी के सटे हुए गांव बाढ़ से हुए प्रभावित हो गए है। इनमें सालारपुर, रसूलगढ़, कोटवा, कोनिया गांव शामिल है। आलोक कुमार वर्मा एसडीएम सिटी का कहना है कि सलारपुर के प्राथमिक विद्यालय में राहत शिविर लगाया गया है। इस समय लगभग 15 परिवार जो की 2 दिन से यानी 17 और 18 जुलाई तक 15 परिवार जिसमें 60 लोगों की लिए रहने, खाने और सोने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हालात और बिगड़ते हैं तो पास के विद्या बिहार इंटर कॉलेज में व्यवस्था की जाएगी।

सलारपुर के प्राथमिक विद्यालय में राहत शिविर की तस्वीर (फोटो साभार: खबर लहरिया)

बुंदेलखंड में ब्रह्मा नदी पर बना रपटा टूटा

बुंदेलखंड में महोबा के पनवाड़ी ब्लॉक में स्थित गांवों नौगांव, फदना, बुढोरा, नटर्रा समेत करीब 10 गांव इस समय भारी संकट से जूझ रहे हैं। ब्रह्मा नदी पर बना अस्थायी रपटा (कच्चा पुल) हाल की बारिश में टूट गया, जिससे इन गांवों का मुख्य सड़क मार्ग पूरी तरह कट गया है। बच्चों का स्कूल जाना, मरीजों का अस्पताल पहुंचना और रोजमर्रा का आना-जाना सब कुछ ठप हो गया है।इस गंभीर समस्या को लेकर बुंदेलखंड किसान यूनियन ने 16 जुलाई 2025 को ब्रह्मा नदी में उतरकर जल सत्याग्रह किया।

मध्य प्रदेश में बाढ़ का प्रभाव

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के सरानी दरवाजे में भारी बारिश से घर और खेत डूब गए हैं। लगातार बारिश की वजह से खेतों में लगी फसल पर भी असर पड़ा है। खबर लहरिया के इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि खेत में पानी भरा हुआ है। इस खेत में उड़द और मूंगफली बोई गई थी और अब पानी भर जाने से बीज सड़ गए हैं। बारिश की वजह से किसानों को बहुत नुकसान झेलना पड़ रहा है।

बिहार में बिजली गिरने से 19 की मौत

एनडीटीवी की 17 जुलाई 2025 की रिपोर्ट, बिहार में पिछले 24 घंटों में बिजली गिरने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई।

सबसे अधिक 5 मौतें नालंदा में हुईं। उसके बाद वैशाली में 4, बांका और पटना दो-दो तो वहीं शेखपुरा, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद, जमुई और समस्तीपुर जिले में एक-एक मौत हुई।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीड़ितों के परिवारों के लिए 4-4 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की।

पाकिस्तान में 24 घंटे में 57 की मौत

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी पाकिस्तान में भारी बारिश के कारण 24 घंटे में कम से कम 54 लोगों की मौत हो गई। तीन हफ़्तों में 26 जून से अब तक पाकिस्तान में पंजाब, उत्तर-पश्चिम में खैबर पख्तूनख्वा, दक्षिण में सिंध और दक्षिण-पश्चिम में बलूचिस्तान में 178 मौतें हुई हैं मौत हो गई। यह जानकारी अधिकारियों ने गुरुवार 17 जुलाई, 2025 को दी।

पाकिस्तान मौसम विभाग ने कहा कि बारिश के कारण अचानक बाढ़ आ गई है और कई गांव जलमग्न हो गए हैं, क्योंकि देश में इस महीने जुलाई 2024 की इसी अवधि की तुलना में 82% अधिक बारिश होने का अनुमान है।

जलवायु परिवर्तन का इतना भयावह रूप देश के कई हिस्सों में देखा गया कहीं भारी बारिश, बाढ़ भूस्खलन की वजह से मौत के आंकड़ें आए दिन बढ़ते जा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन का कारण सरकार, विकास और हम भी है, जो बिना पर्यावरण की चिंता किए बस उसे नुकसान पहुंचा रहे है। आने वाले समय में स्थिति और भयावह हो सकती है जिसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

 

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