बाणगंगा नदी का आरम्भ जयपुर की बैराठ पहाड़ियों से होता है। जानकारी के अनुसार, उत्तर-भारत से बहने वाली नदियों में से बाणगंगा नदी राजस्थान की एक प्रमुख नदी है। यह राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश तक फैली हुई है।
बाणगंगा कुंड का एक छोटा स्वरूप चित्रकूट जिले के रसिन गांव में बसा हुआ है। लोगों का मानना है कि यह कुंड औषधीय है व कई गुणों से भरपूर है। मूलतः, यह कुंड मध्यप्रदेश के शहडोल में स्थित है। हालांकि, चित्रकूट के गांव में बाणगंगा की उत्पत्ति कैसे हुई, इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं है।
खबर लहरिया ने कुंड के आस-पास रह रहे लोगों से कुंड के बारे में बात की। उनके अनुसार, कुंड चित्रकूट जिले के कर्वी ब्लॉक के कोल्हू बाबा स्थान के पास है। कुंड हरे और घने जंगलों के भीतर प्रकृति की सुंदरता के बीच बसा है। कुंड के अनोखेपन की वजह से दूर-दूर से भी लोग यहां घूमने आते हैं।
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कुंड का पानी न कम होता है, न ज़्यादा – लोग
रसिन गांव के 35 वर्षीय रविकांत बताते हैं,जब से उन्होंने सुध संभाली है तब से बाणगंगा नदी से बने कुंड का पानी जितना है, उतना ही देख रहे हैं। बारिश कितनी भी हो, कुंड का पानी न एक इंच ऊपर होता है और न ही एक इंच नीचे। पूरे बारह महीने, इस कुंड का पानी भरा रहता है।
एक वाक्य बताते हुए कहते हैं कि एक बार कुंड के पानी और उसकी गहराई को भी मापने की कोशिश की गई। कहते हैं, चित्रकूट के डीएम ने मशीन भी लगवाई थी लेकिन फिर भी पानी न कम हुआ और न ही ज़्यादा।
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पाचन का काम करता है कुंड का पानी
रविकांत बताते हैं कि कुंड का पानी पाचन का भी काम करता है। कोई कितना भी खा ले, कुंड का पानी पीते ही सब पच जाता है। यहां रहने वाले लोग कुंड के पानी से खाना बनाते हैं। पीते भी हैं और इसी पानी से नहाते भी हैं।
कुंड में गंदगी फैलाने पर जुर्माना
यह भी बताया कि पहले कुंड में कोई भी कचड़ा फेंक देता था या उसे गंदा कर देता था। इसकी रोकथाम के लिए जिला मजिस्ट्रेट की तरफ से बोर्ड लगवाया गया जिस पर लिखा था कि जो भी कुंड के पानी को गंदा करेगा, हड्डियां-कचरा फेंकेगा, उसे 6 महीने की सज़ा और एक हज़ार रूपये का दंड मिलेगा। इसके बाद से कुंड में लोगों ने कचरा फेंकना या फैलाना बंद कर दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि कुंड के मशहूर होने के बाद उसे पक्का भी करवाया गया।
एमपी का बाणगंगा कुंड
मुख्य रूप से बाणगंगा कुंड मध्यप्रदेश के शहडोल में स्थित है। जानकारी के अनुसार, यह कुंड ऐतिहासिक होने के साथ चमत्कारी व औषधीय गुणों से भरपूर है। कुंड के बारे में यह कहा जाता है कि इसका निर्माण महाभारत काल में अर्जुन ने अपने बाण से किसी विशेष उद्देश्य के लिए किया था। लोगों की कुंड से आस्था भी जुड़ी हुई है।
बाणगंगा नदी की उद्गम
बाणगंगा नदी का आरम्भ जयपुर की बैराठ पहाड़ियों से होता है। जानकारी के अनुसार, उत्तर-भारत से बहने वाली नदियों में से बाणगंगा नदी राजस्थान की एक प्रमुख नदी है। यह राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश तक फैली हुई है। कई जगह इसकी सहायक नदियों के होने की बात लिखी गई है। कई जगह यह लिखा गया है कि यह एकल नदी है जिसकी कोई सहायक नदी नहीं है।
कई जगह इस नदी को ‘अर्जुन की गंगा’ के नाम से भी जाना जाता है।
यह थी बाणगंगा कुंड की एक हिस्से की वह कहानी जिसे लोग सुना रहे हैं। इसकी कहानी अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह से देखी,सुनी व पढ़ी जा सकती है।
रिपोर्ट – गीता देवी
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