आपने ‘कड़क चाय’ के बारे में तो ज़रूर सुना होगा? लेकिन, क्या आपने ‘कड़कनाथ’ मुर्गे के बारे में सुना है?… नहीं, तो आज यहां हम आपको कड़कनाथ मुर्गी पालन के बारे में बताएँगे। जिसका पालन कर महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हैं
कड़कनाथ भारत का एकमात्र काले मांस वाला मुर्गा है। दूसरे मुर्गों के मुकाबले ये सिर्फ चार से पांच महीने में तैयार हो जाता है और बाजार में यह 1500-1800 रुपए में बिक जाता है। स्वाद और सेहतमंद गुणों के चलते इस मुर्गे की मांग पूरे देश में होने लगी है। इसकी खासियत यह है कि इसका खून और मांस काले रंग का होता है।
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सरकार की योजनाओं को हम अक्सर देखते हैं की जमीनी स्तर पर जनता तक नहीं पहुँचती। लोग उसका लाभ नहीं ले पाते। कारण होता है कि लोगों को जानकारी सही नहीं मिलती न ही ये पता होता है किस योजना का लाभ कहाँ से लिया जा सकता है। लेकिन सरकार की उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण अजीविका मिशन के तहत ये योजना जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाती है। साथ ही साथ उनकी अर्थ व्यवस्था भी मजबूत करती है। बहुत ज्यादा नहीं फिर भी महिलाएं घर पर रह कर खुद कमा सकती हैं अपने छोटे मोटे खर्च भी उठा लेती हैं।
इस योजना के तहत महिलायें अपने हिसाब से निर्णय लेती हैं। एक समूह बनाती हैं जिसमें लगभग 12 से 14 महिलाएं होती हैं और वो अपने समूह का क्या नाम रखेंगी वो खुद महिलाएं तय करती हैं। एन आर एम के तहत समूह को डेढ लाख रूपये मिलते हैं जिससे महिलाएं रोजगार कर सके।
चित्रकूट के ब्लॉक कर्वी के ग्रामपंचायत बनाडी के मजरे शेषन पुरवा की शहरून निशा ने इस योजना के तहत कड़कनाथ मुर्गा फार्म खोला है। वो बताती हैं मेरे यहां पहले से ही मुर्गा फार्म था। इससे उन्हें थोड़ा जानकारी थी। और अब कड़कनाथ को पालने में आसानी हो रही है।
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