चित्रकूट जिला ब्लाक मानिकपुर गांव मारा चद्रा पूरवा कोलहाई और करका पडरिया का मजरा छिनहा पुरवा चित्रकूट: लकड़ी बेचकर गुजारा कर रहे आदिवासी परिवारों की क्या है स्थिति?
सारे आदीवासी समुदाय के लोग हैं जिनका रोजगार सिर्स जंगल से लकडी काटना और फिर ट्रेनो से कस्बों मे लेजाकर ढाबो दुकानों मे बेचना 100 रूपये से लेकर 200सो ढाई सौ की प्रतिदिन की की यही इनकी पूंजी होती और उस पैसे से अपने रसोई का खाने पीने का समान लेकर आती ,जैसे दाल चावल आंटा सब्जी तेल मसाला हर दिन के इस्तेमाल लायक अब ट्रेन बंद हैं गांव मे जाकर उन महिलाओं से बात की कैसे चल रहा है उनका खर्च लोगों ने बताया जब से लाँकडाऊन हुआ है आदिवासी परिवारों का कहना है हम सब्जी को तरस गये एक एक चीजों के लिए बैठे रहते हैं, नमक रोटी खा रहे हैं वो रोटी की व्यवस्था है राशन मिल गया या किसी के खेत मे मजदूरी कर ली दाल सब्जी कहा से लाएं इसलिए अगर पचास ग्राम दाल हुई तो पानी की तरह बना लेते हैं और अगर वो भी नहीं है तो सिर्फ नमक रोटी से गुजारा कर रहे हैं न यहां से सब्जी लेने जा पाते हैं न ही यहां कोई बेचने आता है यहां से लगभग 10 किलोमीटर सरैंया है वहां नहीं जा पाते हैं लाँकडाऊन की वजह से रोजी रोटी तो बंद ही है हमारा गुजारा वही लकडियाँ बेच कर होता है काट तो लाएं लेकिन जब ट्रेन ही बंद हैं तो क्या कर सकते हैं किसी तरह चल रहा एक तो पैसा नहीं अगर थोडा बहुत है भी तो ला नहीं सकते