जिला चित्रकूट ब्लॉक मऊ गांव खोहर मजरा लक्ष्मी पुरवा में रहने वाले आदिवासी परिवार झोपड़ी में अपना गुज़ारा कर रहे हैं। लगभग पचासो साल से इस गांव में लगभग दो सौ घर आदवासी परिवार के हैं पफिर अभी तक इन्हें आवास नहीं मिले हैं। ये रोज़ कमाने, रोज़ खाने वाले लोग हैं। इनके पास इतने पैसे नहीं है कि वह खुद अपना घर बनवा सकें। कोई प्रदेश रहते हैं तो कोई शंकरगढ़ में बालू फोड़ने का काम करते हैं तो कोई ईंटा गारा का काम करते हैं। इसी से वह अपने बच्चों का पेट भरते हैं। लेकिन इनके पास सर ढ़कने की कोई जगह नहीं है। लगातार चार दिन से बारिश हो रही हैं। ये आदिवासी परिवार पन्नी डालकर रहते हैं। अगर कोई रिश्तेदार आ जाये तो उनके रहने के लिए भी जगह नहीं हो पाती। छोटी से झोपड़ी में ही खाना-पीना बनता है। जब बारिश होती है तो सब भीग जाता है। अनाज हो या घर का सामान कुछ भी नहीं बचता। चुनाव के समय बस प्रत्याशी आकर बड़े-बड़े वादे करते हैं। लेकिन जीत जाने के बाद कुछ नहीं करते।
मऊ ब्लॉक के बीडीओ हिमांशु पांडये से हुई बातचीत कहना है कि जो कोल परिवार है उनका सर्वे हर गांव से हुआ है और सूची जिले में चली गयी है। मऊ ब्लॉक से लगभग 11 सौ के आस-पास की सूची गई है। जिस गांव का नहीं हुआ है वह उस गाँव के सचिव को उस गाँव का सर्वे करने के लिए बोला जाएगा। जो पात्र है उन्हें आवास दिया जाएगा।
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