चित्रकूट: जंगल में दुर्लभ जड़ी-बूटियों को एकत्रित करते है ये आदिवासी परिवार :जिला चित्रकूट ब्लाक मानिकपुर गांव खिचडी मजरा उमरी यहा के संखी का कहना है की मानिकपुर क्षेत्र मे 62 ग्रामपंचायत है ज्यादातर आदिवासी परिवार के लोग है जंगल की जड़ी बूटी पे काम करते हैं जैसे बहेरा चिरौंजी अपने-अपने सीजन में तोड़ के लाते हैं जंगल से व्यापारी कम दाम में लेते हैं हम लोग से तो कम दाम में ले लेते हैं पर जहां अपना बेचते हैं वहां महंगे दामों पर बेचते हैं हम लोग को कुछ सहारा नहीं है इस कारण से जंगल के जड़ी बूटी तोड़ कर भेजते हैं मुलेठी हर्रय अब जंगल मे कम होता है ज्यादातर बहेरा इस महिना मे टूट रहा है चिरौजी बैसाख के महिना मे टूटे गी हम लोग से व्यापारी चिरौजी दो सौ रूपिया किलो ले लेते फिर वही माहेगे दाम मे बेचते है इसी तरह बहेरा आठ रूपये किलो लेते है वही महेगे दामो व्यापारी बेचते है हम लोग सुबह जंगल निकल जाते है पूरा दिन भूखे व्यासे तोडते है घर आ कर खाना बाना खाना पडता फिर बहेरा फोडते सूखाते है जब हप्ता भर मे इकठ्ठा होता है तो व्यापारी के पास बेचने ले जाते है तो पूरा दिन के मजदूरी नही निकलती हर मौसम मे अलग अलग जडी बूटी तोडते है पूरी महिलाएं तोडने जाते जंगल हर तरह का डर होता जंगली जानवर साफ विछ्छू सब का डर होता है तब पर भी कम रेट मे व्यापारी लेते है मजदूरी भी नही मिलती समय से इस कारण से मजबूरी मे काम करना पडता है