उत्तर प्रदेश सरकार राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक स्तर को सुधारने के लिए स्वयं सहायता समूहों का गठन करती है और हर साल इसके लिए करोड़ों रूपए की धनराशि भी दी जाती है, इन समूहों की सहायता से अब तक हज़ारों महिलाएं आत्मनिर्भर हो चुकी हैं और अलग-अलग तरह के काम करके अपने पैरों पर खड़ी हैं। लेकिन कई बार समूहों के अंतर्गत होने वाले कामों में प्रबंधन की लापरवाही और घोटाले देखने को मिल जाते हैं। जिसके चलते न ही सिर्फ महिलाओं के काम करने के लिए बनाई गयी फैक्ट्रियां बंद हो जाती हैं बल्कि इन लोगों का रोज़गार भी ठप्प हो जाता है। कुछ ऐसा ही मामला देखने को मिला हाल ही में चित्रकूट ज़िले के गाँव खुटहा और बनकट में। जहाँ कुछ महीनों पहले स्वयं सहायता समूह के अंतर्गत सैनिटरी पैड की मशीनें लगाईं गयी थीं लेकिन सैनिटरी पैड बनाने का मटीरियल इतना ख़राब निकला कि किसी ने उन्हें खरीदा ही नहीं और परिणाम स्वरुप इस फैक्ट्री को बंद कर दिया गया।
फैक्ट्री में काम करने वाली महिलाओं ने हमें बताया कि सैनिटरी पैड का मटिरयल बहुत ही ख़राब और पतला था जिसके कारण कोई भी उन्हें खरीद नहीं रहा था, यहाँ तक ये महिलाएं भी उसका इस्तेमाल नहीं कर पा रही थीं। ऐसे में धीरे-धीरे सभी ने काम छोड़ दिया और फैक्ट्री बंद हो गई। ये लोग अब कोई दूसरा रोज़गार का ज़रिया तलाश रही हैं लेकिन इस समय कोई भी दूसरा काम ढूंढ पाना इन लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है।
कर्वी के ब्लॉक मिशन प्रबंधक पंकज शर्मा का कहना है कि मशीनों को अब ठीक कर दिया गया है और अब वो पहले से बेहतर काम कर रही हैं। इसके साथ ही अब इस काम में और कई ग्रामीण महिलाएं हिस्सा भी लेंगी।
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