खबर लहरिया Blog चित्रकूट: 2 महीने बाद दर्ज हुई बलात्कार की घटना, आरोपी अब तक नहीं हुए गिरफ्तार

चित्रकूट: 2 महीने बाद दर्ज हुई बलात्कार की घटना, आरोपी अब तक नहीं हुए गिरफ्तार

पीड़िता का आरोप है कि लगातार 4 दिन तक उसके साथ बलात्कार करने के बाद आरोपियों ने पीड़िता को पहाड़ी ब्लॉक के गाँव दरसेडा के एक व्यक्ति को 40 हज़ार रूपए में बेच दिया।

चित्रकूट ज़िले में लगातार महिला सुरक्षा को लेकर महिला जागरूकता मिशन चलाया जा रहा है। लेकिन इतनी सुरक्षा के बावजूद भी महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही हैं। शारीरिक शोषण, यौन शोषण जैसी घटनाएं आए दिन चित्रकूट ज़िले में सुनने को मिल जाती हैं लेकिन अगर पुलिस रिकॉर्ड देखे जाएँ तो मुश्किल से पांच प्रतिशत ही ऐसे मामलों की रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है।

पुलिस रिकॉर्ड में बलात्कार के मामलों के आंकड़े कम होने का एक कारण यह होता है कि पीड़िता तो रोज़ाना थाने के चक्कर लगाती है लेकिन उसकी रिपोर्ट ही नहीं दर्ज करी जाती है। कुछ ऐसा ही एक मामला सामने आया चित्रकूट मंर जहाँ यौन शोषण की शिकार हुई पीड़िता और उसका परिवार पिछले 2 महीने से थाने में अपनी गुहार लेकर तो जा रहा है लेकिन अभी तक न ही पुलिस ने कोई सुनवाई की है और न ही पीड़ित महिला की रिपोर्ट दर्ज करी है।

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4 दिन तक लगातार किया यौन शोषण-

पीड़िता का आरोप है कि 5 जून 2021 को गाँव के ही दो व्यक्ति पप्पू द्विवेदी और उसका बेटा अंकित द्विवेदी महिला को बेहला फुसला कर अपने घर ले गए और एक कमरे में बंद कर दिया। पीड़ित महिला का कहना है कि बाप और बेटे ने मिलकर अगले 4 दिनों तक महिला के साथ बलात्कार किया और महिला के चिल्लाने पर उसे जान से मारने की धमकी भी दी।

पीड़िता का यह भी आरोप है कि लगातार 4 दिन तक उसके साथ बलात्कार करने के बाद उन दोनों ने पीड़िता को पहाड़ी ब्लॉक के गाँव दरसेडा के एक सोनुवा नामक व्यक्ति को 40 हज़ार रूपए में बेच दिया। पीड़िता ने बताया कि जब महिला ने किसी अनजान व्यक्ति के साथ जाने से इंकार किया तब उन लोगों ने महिला के साथ मारपीट भी की। महिला का कहना है कि उसे मारने के बाद ज़बरदस्ती बोलेरो गाड़ी में बैठा दिया गया। पीड़िता की दर्दनाक कहानी यहां ख़तम नहीं होती है। अगले 15 दिनों तक सोनुवा भी लगातार महिला के साथ यौन शोषण और शारीरिक शोषण करता है। महिला ने कई बार वहां से भागने की कोशिश करी लेकिन उसकी सारी कोशिशें नाकाम रहीं।

 

पुलिस ने नहीं दर्ज करी एफ.आई.आर-

पीड़ित महिला के पिता ने हमें बताया कि उन्होंने अपनी बेटी के गुमशुदा होने की रिपोर्ट पहाड़ी थाने में कई बार लिखवाने की कोशिश करी लेकिन पुलिस ने बस शिकायत पत्र जमा कर लिया और एफ आई आर की कॉपी भी परिजनों को नहीं दी। जब कई दिन बीतने के बाद भी लड़की का कोई पता नहीं चला तब लड़की के घरवालों ने अंकित और आसपास के घरों में पूछताछ शुरू की लेकिन हर बार उन्हें डांट-फटकार कर भगा दिया गया। उसके 15 दिन बाद पुलिस ने उनकी बेटी को दरसेडा गाँव के सोनुवा के घर से बरामद किया।

पीड़िता की पिता की मानें तो थाने में उनकी बेटी ने अपनी पूरी आपबीती पुलिस को बताई लेकिन आरोपी को पुलिस का कोई डर नहीं था। और पुलिस ने भी फ़र्ज़ी मुकदमा लगाकर परिवार को जेल भेजने की धमकी दी और पीड़िता से एक सादे कागज़ पर दस्तखत करा लिए। घर लौटने के बाद आरोपी ने पीड़ित महिला के घर आकर भी धमकियाँ दी और गाली-गलौच करी।

जब पीड़िता और उसके परिवार को इस बात का संदेह हो गया कि पुलिस उन्हें न्याय दिलवाने में कोई सहायता नहीं करेगी तब मजबूरन उन लोगों ने गाँव छोड़ने का फैसला लिया।

 

मामले को लेकर कोर्ट का आदेश

इस मामले में कोर्ट ने 20 जुलाई को आदेश दिया कि आरोपियों के खिलाफ एफ आई आर होनी चाहिए जिसके 11 दिन बाद 1 अगस्त को पहाड़ी थाने में धारा 156,3 के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पहाड़ी थाना प्रभारी रामश्रय यादव का कहना है कि अब पीड़ित महिला अपना बयान देने भी नहीं आ रही है। पुलिस की मानें तो महिला द्वारा लगाए गए सारे आरोप झूठे हैं और कुछ व्यक्तियों को फंसाने के लिए यह साज़िश की गई है।

इस मामले में पुलिस का इस तरह महिला के आरोपों को झूठा बताना यह साफ़ दर्शाता है कि बिना जांच किये कैसे पुलिस एक महिला की गुहार पर कोई सुनवाई नहीं कर रही। इस मामले में क्या सच है और क्या झूठ यह तो कार्यवाही होने के बाद ही पता चलेगा लेकिन इस तरह आरोपियों का क़ानून अपने हाँथ में लेना कितना सही है? और प्रशासन का भी महिला मुद्दों में कार्यवाही न करना भी क्या सही है?

इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी रिज़वी द्वारा की गयी है। 

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