एक तरफ महिला सुरक्षा के नाम पर एंटी रोमियो चलता है पुलिस सादे कपड़ों में लोगों की जांच करती है ताकि महिलाएं और लड़कियां सुरक्षित रहें लेकिन दूसरी तरफ दिन पर दिन महिलाएं असुरक्षित होती जा रही हैं। आए दिन उनके साथ हत्या, लूट और बलात्कार जैसे मामले सामने आते हैं।
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हाल ही में ऐसा एक मामला सामने आया है चित्रकूट जिले के मऊ थाना अंतर्गत आने वाले 1 गांव से जहाँ घटना 25 मार्च की है, जब करीब शाम 7:00 बजे पीड़िता घर से शौच करने के लिए खेतों की तरफ निकली थी। पीड़िता का आरोप है कि खेतों में आरोपी ने उसे पकड़ कर उसके हाँथ-पैर बाँध दिए और फिर इस वारदात को अंजाम दिया।
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आरोपी ने पीड़िता को खेतों में ही बंधा छोड़ दिया और वहां से भाग निकला। पीड़िता के घरवालों ने उसके गुमशुदा होने की रिपोर्ट मऊ थाने में दर्ज कराई, लेकिन सुबह गाँव के एक व्यक्ति को पीड़िता खेतों में मिल गई। घर पहुँचने पर पीड़ित किशोरी ने मामले की जानकारी अपने घरवालों को दी और तुरंत ही उसके घरवाले उसे लेकर थाने पहुंचे।
पीड़िता के घरवालों का आरोप है कि पुलिस स्टेशन में उसके पिता के साथ मारपीट की गई, जिससे उन्हें काफी चोटें भी आयीं और वो बेहोश हो गए।
पीड़ित परिवार ने यह भी बताया कि मऊ थाने की पुलिस ब्लैक मेलिंग का काम करती है। वह गरीब लोगों को सताती है न्याय नहीं दिलाती ऐसा ही कुछ उसके साथ भी हुआ है। उसको उल्टे 376 में फंसा कर मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी गई है और मारपीट की गई है जिससे उसका अभी तक इलाज चल रहा है। पीड़ित परिवार की मानें तो पुलिस पीड़िताओं को कुछ नशीला पदार्थ दे देती है जिससे वो लोग सही से बयान भी नहीं दे पाते।
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मऊ थाने के सीओ सुबोध गौतम का कहना है कि इस मामले में अभी विवेचना चल रही है।
अब ऐसे में सवाल यह उठा सकती हैं कि महिलाओं के साथ शोषण जैसे मामलों में पुलिस कार्यवाही करने में देर क्यों लगाती है? साथ ही आर्थिक रूप से कमज़ोर पीड़ितों के साथ पुलिस द्वारा ऐसा दुर्व्यवहार कितना सही है? प्रशासन की तरफ से इस दुर्व्यहार के लिए कोई जवाबदेही भी नहीं मांगी जाती, ऐसा क्यों?