जिला चित्रकूट ब्लाक मानिकपुर के गाँव नागरनागौर की महिलाएं और पुरुष आधार कोड़ी के जंगल में रोज़ लगभग 7 किलोमीटर जड़ी बूटी तोड़ने जाते हैं और उससे अपने घर की रोज़ी-रोटी चलाते हैं। उनका कहना है कि वे सुबह 8:00 बजे से शाम 8:00 तक काम करते हैं और दिन भर जड़ीबूटियां तोड़ते हैं। वे जड़ीबूटियों को घर लाने के बाद उन्हें मसलते हैं, पीसते हैं, बीनते हैं और तब उन्हें बेचने जाते हैं।
कुछ जड़ीबूटियां तो नदी के किनारे उगती हैं, उनकी जड़ों को खोद के लाते हैं। इनका कहना है कि हमें कोई कही कोई काम नहीं मिलता और नरेगा का भी कोई फायदा नहीं हैं, इस कारण से हमें जंगल का काम करना पड़ता है। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां ये लोग खोजते हैं, इकट्ठा करते हैं। जितना ये लोग म्हणत करते हैं, जब ये बाज़ार जाते हैं तब इन्हें उतना पैसा नहीं मिलता है। इनका कहना है कि उन पैसों से घर भी चलाना मुश्किल होता है। जब ये जंगल में जड़ीबूटियां ढूंढने जाते हैं तब जानवर इनपर हमला कर देते हैं और वन विभाग भी इसके लिए कुछ नहीं करता।