जिला चित्रकूट, ब्लाक मनिकापुर, गांव पठागढ़ा की रहने वाली सूरज कली का कहना है कि 7 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी। ससुराल वाले मुझे गलत नज़रिये से इस्तेमाल करते थे और दूसरों के यानि की बड़े जाति के घर मुंह दिखाई के लिए ले जाते थे तो मुझसे बर्दाश्त नहीं होता था। कई बार उनके साथ हिंसा हुई और उन्होंने बर्दास्त किया। पढ़ी-लिखी न होने के चलते उन्हें कोई जानकारी नहीं होती थी। जब सब बर्दास्त के बाहर हो गया तो वह अपने मायके आ गई।
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सूरजकली की माता-पिता ने सूरजकली के लिए अलग घर बनवा दिया। और उनके पति के नाम ज़मीन लिखवा दी दोनों मायके में ही रहने लगे।
2014 में सूरजकली ने दूसरी शादी कर ली और अलग-अलग संस्थाओं के साथ काम करके वह आज खुशहाल जीवन जी रही हैं।
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