गांव में बाढ़ का पानी कम तो हो गया हैं लेकिन इसके कारण जगह-जगह समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं। कही साफ़-सफाई की दिक्कत हो रही है तो कहीं पर बच्चे के जन्म के बाद उसकी माँ को चिकित्सा सम्बंधित सुविधाएं भी ठीक से नहीं मिल पा रहीं हैं।
चित्रकूट जिला के ब्लॉक मऊ के गांव मवई कला की एक घटना सामने आयी है जिसके तहत गांव में बाढ़ के दौरान एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया और उसको लेकर वह मजबूरन एक प्राइमरी स्कूल में रह रही थीं। बच्चे की डिलीवरी के 8 दिन बाद महिला जब घर आयी तो उनका घर बाढ़ के पानी में आधा डूबा हुआ था।
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उनके परिवार को गांव के बाकी लोगों के साथ पास में स्थित प्राइमरी स्कूल में ठहराया गया था। कहने के नाम पर प्रशासन ने सारी सुविधाएं दे तो रखी थी, लेकिन वहां पर न तो बिजली ठीक से थी न ही शौच की सुविधाएं थी। इसी कारण से महिला और उसके बच्चे को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बिजली न होने के कारण बच्चे का रो-रो के बुरा हाल था।
निरीक्षण के लिए एक दिन एसडीएम की टीम आयी और वहां पर रह रहे लोगों को लगभग 10 किलो राशन और 2 रूपए वाला पार्लेजी बिस्कुट दिलवाया था। लेकिन इससे इनका क्या ही कुछ होगा।
महिला के पति से बातचीत में मालूम हुआ की डॉक्टर ने महिला को पौष्टिक चीज़े खाने को कहा है, लेकिन गांव का ऐसा हाल हो रखा था कि कहां से इंतज़ाम होता। उनका कहना हैं उनकी इतनी आमदनी भी नहीं हैं कि वह इन सब चीजों ज़रूरत को पूरा कर सके। पहले ही बच्चे की पैदाइश में उनका काफी पैसा खर्च हो चुका है।
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मऊ एसडीएम नवदीप शुक्ला का कहना है कि प्रशासन द्वारा जो भी मदद की जा सकती थी वो की गयी है। गाँव में जितने भी घर बाढ़-ग्रस्त हुए हैं उन्हें जल्द-से -जल्द मुआवज़ा भी दिया जायेगा।
मऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक राजेश कुमार सिंह का कहना है कि बाढ़ के दौरान स्कूल में हमारी चिकित्सा टीम तैनात थीं। उस दौरान किसी को भी किसी चीज़ में दिक्कत होती थी तो हमारी टीम पूर्ण रूप से उनकी जांच करती थीं।
उन्होंने बताया कि इस महिला के बच्चे की डिलीवरी इनके अस्पताल में नहीं हुई थी तो इसके बारे में उनके पास पर्याप्त जानकारी नहीं है। अगर उन्हें आगे कोई दिक्कत होती है यया उनके बच्चे की जांच करनी होगी तो हम अच्छे से उनकी जांच करेंगे।
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