ज़िला चित्रकूट में गौशालाओं में व्यवस्था करने के लिए सरकार की तरफ से प्रशासन को लाखों का बजट दिया गया था लेकिन ज़िले में मौजूद गौशालाओं का हाल बद से बदतर होता नज़र आ रहा है।
जहाँ एक तरफ प्रदेश में शीतलहर के चलते सरकार ने हाल ही में आदेश दिए थे कि यूपी में गाँव-गाँव में सभी गौशालाओं को जल्द ही सुधारा जाए और वहां खान-पान की व्यवस्था की जाए, वहीँ दूसरी तरफ बुंदेलखंड के क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश और बढ़ती ठण्ड से अन्ना जानवर सड़कों पर ठिठुरते नज़र आ रहे हैं। कई जानवरों की ठण्ड से मौत की भी खबरें सामने आई हैं।
ज़िला चित्रकूट में भी गौशालाओं में व्यवस्था करने के लिए सरकार की तरफ से प्रशासन को लाखों का बजट दिया गया था लेकिन ज़िले में मौजूद गौशालाओं का हाल बद से बदतर होता नज़र आ रहा है। गौशालाओं में न ही भूसा है, न ही पानी की सही व्यवस्था है, ऐसे में जानवरों को भी मजबूरन सड़कों पर और गलियों में घूमना पड़ रहा है।
ये भी देखें – महोबा: बम्होरी खुर्द की ऐसी गौशाला जिसकी हो रही तारीफ़
बारिश से बढ़ा संकट-
गाँव के लोगों की मानें तो लोगों ने अपनी जेब से पैसे लगाकर गौशाला में कई बार व्यवस्थाएं सुधारीं भी, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास पैसे के अभाव के चलते यह लोग भी ज़्यादा कुछ नहीं कर पा रहे। फिलहाल लगातार हो रही बारिश ने इन अन्ना जानवरों के लिए नई मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। गाँव में जगह-जगह अन्ना जानवर सड़कों पर बरसात में बर्फीली हवाओं का सामना करते आपको दिख जाएंगे।
ठंड की चपेट में आ रहे अन्ना जानवर-
ज़िले के रामनगर ब्लाक के गुणवा गाँव में 6 जनवरी की रात दो अन्ना जानवरों ने ठंड की चपेट में आकर दम तोड़ दिया। हाल ही में सरैया गाँव में भी लगभग 3 गाय सर्दी के चलते मर गईं। ग्रामीणों की मानें तो इन मौतों का ज़िम्मेदार कौन होगा? सरकार जिसने गौशाला बनवाने के लिए रकम तो देदी, लेकिन उस रकम का इस्तेमाल सही ढंग से किया गया या नहीं, ये किसी को नहीं पता। या फिर प्रधान और प्रशासन जिन्होंने इस रकम का इस्तेमाल सही ढंग से नहीं किया।
बता दें कि 2019-20 के राज्य के बजट में, सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में गौशालाओं के रखरखाव और निर्माण के लिए 247.60 करोड़ रूपए और शहरी क्षेत्रों में कान्हा गौशाला और बेसहारा पशु आश्रयों के रखरखाव के लिए 200 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश में गौशालाओं की हालत में कोई सुधार नहीं आया है।
ग्रामीण कर रहे गौशाला में व्यवस्था की मांग-
ग्रामीणों में पशुओं के साथ हो रहे इस दुर्व्यवहार को लेकर काफी आक्रोश भी देखने को मिला। कुछ लोगों को कहना है कि सरकार हर भाषण, हर रैली में गौ-रक्षा, गौ-माता की हत्या आदि जैसे मुद्दों पर जम कर छींटाकशी तो करती है, लेकिन वहीँ ज़मीनी हकीकत को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम भी नहीं उठाए जाते।
गाँव के लोगों की मानें तो सभी विकास कार्यों से जुडी राशि प्रधान के पास आती है, लेकिन प्रधान इन कार्यों को पूरा कराने में इतनी ढिलाई दिखाते हैं, जिससे किसी का विकास नहीं हो पाता। कुछ लोगों ने यह भी बताया कि अगर हर गाँव में गौशाला को संचालित रूप में कारगर बना दिया जाए, तो अन्ना जानवर भूखे
नहीं रहेंगे और खेतों को नष्ट करना भी बंद कर देंगे।
रामनगर ब्लॉक के गाँव कोटवा के प्रधान राम सूरत ने गौशाला में अव्यस्था की बात को झूठा बताया है। उनकी मानें तो फिलहाल उनके गाँव में लगभग 200 अन्ना जानवर हैं, जिनके लिए गौशाला में पूरी व्यवस्था है। फिलहाल बारिश होने के कारण चरवाहे गायों को चरवाने के लिए नहीं ले जा पा रहे हैं।
रामनगर ब्लॉक के बीडीओ धनंजय सिंह का कहना है कि उन्हें गौशालाओं में हो रही अव्यवस्था के बारे में कोई जानकारी नहीं है। लेकिन अब वो इस मामले में जांच करवाएंगे और जल्द से जल्द अन्ना जानवरों के लिए ज़रूरी इंतेज़ाम किए जाएंगे।
इस खबर की रिपोर्टिंग सहोदरा देवी द्वारा की गयी है।
ये भी देखें : LIVE: अन्ना जानवर से परेशान किसान, सरकार के गौशाला अभियान का कोई लाभ नहीं
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)