चित्रकूट के पहाडी ब्लाक.थाना पहाडी गांव मकरी की आशा देवी की शादी फरवरी. दो हजार 19 मे हुई थी माइके वाले का आरोप.है शादी के बाद से ही विवाहिता से लडके और उसके परिवार की गाड़ी और दहेज़ मांग थी|
दहेज़ इस शब्द से ही दिल घबरा जाता है कैसे एक ब्बप अपनी ज़िन्दगी भर की कमाई एक पराये आदमी को दे देता है लेकिन तब भी इन भिकारियों का पेट ही नहीं भरता ,इस दहेज़ की वजह से लाखों लड़कियां मौत के मुह में जा चुकी हैं आग में जल चुकी हैं और नदियों में डूब चुकी हैं
दहेज प्रथा, जिसमें दुल्हन के परिवार को दूल्हे के परिवार के लिए नकदी के रूप में उपहार देने और कीमती चीजें देना भी शामिल है, की काफी हद तक समाज द्वारा निंदा की जाती है लेकिन कुछ लोगों का तर्क यह भी है कि इसका अपना महत्व है और लोग अभी भी इसका अनुसरण कर रहे हैं तथा यह दुल्हन को कई तरीकों से लाभ पहुँचा रही है।
विवाहिता के घर वालों ने पहले ही कहा था कि गाडी की हम नहीं दे सके और आशा बहुत समय से माइके मे थी और 14 फरवरी 2 हजार 20 को उसका पति लेने आया हमने उसे खुशी खुशी बिदा किया और जब शाम मे हमने बात करना चाही तो बात नहीं कराई
बाद मे दूसरो के जरिए पता चला की ससुराल वाले अफवाह उडा रहे है आशा अपने प्रेमी के साथ भाग गई हमने बदौसा थाने मे रिपोर्ट लिखाई वहां कोई कार्यवाही नहीं की 22 फरवरी को पहाडी के पास पहश्योनी नदी मे मिली उसकी लाश पूरी तरह सड गाई थी हांथ मे गुदने से पहचान हुई उसकी ससुराल पक्ष का कहना है
उन्हे कुछ नहीं पता वो वहां कैसे पहूच गई किसने मारा आशा के जेठ ने बताया की उसका दूसरे से अवैध संबंध था इहलिए मेरे भाई ने बताया की मारना नहीं चाहता था गलती से मार दिया हत्या हो गई