नमस्कार दोस्तो, मैं हूं मीरा देवी, खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ़। मेरे शो राजनीति, रस और राय में आप सबका बहुत-बहुत स्वागत है।चित्रकूट जिले की मऊ मानिकपुर 237 विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हुए जिसकी वोटिंग 21 और काउंटिंग 24 अक्टूबर को थी। इस बार कुल वोटर 3 लाख 38 हजार 116 में से 1 लाख 77 हजार 204 वोट पड़े। एक बार फिर से नये नेता को यहां की कुर्सी मिल गयी। गौरतलब है कि यहां के विधायक रहे आर के पटेल लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए तब से यह सीट खाली थी। इस सीट पर 1977 से अब तक तीन बार कांग्रेस, दो बार भाजपा व चार बार बसपा का कब्जा रहा है। सपा को अभी इस सीट पर एक बार भी सफलता नहीं मिली है।इस विधानसभा क्षेत्र में डकैतों का हस्ताक्षेप 1984 से शुरू हुआ। इस दौरान यहां से माननीय बने कुछ लोगों पर दस्यु संरक्षण के मामले तक दर्ज हुए। हालांकि इस समय कोर्ट से सभी लगभग बरी हैं। ऋषि मुनियों की साधना के केंद्र धर्मनगरी के वनवासी अंचल पाठा की मऊ मानिकपुर विधानसभा सीट डकैतों के कारण अभिशप्त है। चार दशक से डकैतों के फरमान पर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला बदलने वाली धरती में खूंखार डकैत ददुआ की मौत के बाद एक उम्मीद जगी थी। लोगों को लगा कि विकास का पहिया घूमेगा पर छुटभैया डाकुओं की चहलकदमी ने इस पर पानी फेर दिया।यहां के लिए विकास की घोषणाएं बहुत हुईं पर पिछड़ेपन का कलंक अभी तक इस क्षेत्र से नहीं छूटा है। पूर्व के चुनावों में बंदूक के बूते नेताओं के भाग्य का फैसला करने वाला डकैत ददुआ अब नहीं है, लेकिन उससे बड़े तमाम डकैतों की सक्रियता लगातार बनी हुई है। इनसे निपटना प्रशासन के लिए चुनौती है। डकैतों की वजह से यहां की सड़कें उखड़ी हैं। डकैत अक्सर चौथ वसूली के लिए लोगों को डराते-धमकाते और मारते हैं।तहसील मुख्यालय मऊ को गांव का दर्जा मिला है। वर्षों पूर्व नगर पंचायत का दर्जा देने का प्रस्ताव यहां से गया पर उस पर कोई अमल नहीं हुआ। इंडस्ट्रियल एरिया बरगढ़ क्षेत्र में है पर डकैतों के खौफ की वजह से किसी उद्योगपति ने यहां उद्योग नहीं लगाया। यहां के मुख्य चुनावी मुद्दे 1-दस्यु समस्या का खात्मा 2-तेंदू पत्ता श्रमिकों को उचित मजदूरी 3- पेयजल की उपलब्धता 4- किसानों को लिए सिंचाई, खाद, बीज की व्यवस्था 5- युवाओं का नौकरी के लिए दूसरे राज्यों में पलायन हैं। जिनके बाल पर नेता हर बार जीतते हैं लेकिन इन मुद्दों में काम नहीं किए।यहां के जनप्रिय नेता आर के पटेल चाहे जिस भी पार्टी में जाएं इसी के चलते उन्होंने अब तक में बसपा से सपा, और सपा से भाजपाई हो गए। यहां के लोगों ने इनको कई बार एमपी एमएलए का ताज़ पहनाया पर इन्होंने लोगों को मायूसी ही दी है। मेरे ही द्वारा किए गए इंटरव्यू में सांसद आर के पटेल बोले थे कि विधानसभा चुनाव 2017 में विधानसभा सीट कर्वी बदल कर मऊ मानिकपुर से सीट चुनाव लड़ रहा हूं ताकि पाठा क्षेत्र का उद्धार कर सकूं पर उन्होंने सांसद बनकर अपना उद्धार कर लिया। जब मैं चुनाव कबरेज कर रही थी वहां की जनता वोट तो डाल रही थी लेकिन बहुत गुस्से के साथ। उनका गुस्सा जायज़ था। लोग आज भी उसी स्थिति में रह रहे हैं जो स्थिति कई दशकों से चली आ रही है। हर बार लोग इसी उम्मीद के साथ नेता चुनते हैं, और चुनते रहेंगे पर नेता नेतागिरी छोड़कर कभी यहां का उद्धार करेंगे? इन्हीं सवालों और विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा। अगली बार फिर आउंगी नए मुद्दे के साथ तब तक के लिए नमस्कार