मिट्टी के घरौंदे: बांदा जिले के जमवारा गाँव में था छोटे छोटे बच्चे मिटटी के घर बनाने में जुट गये हैं, कहते हैं की दिवाली के समय हर बड़े घर के सामने छोटा घर बनाया जाता है जिससे घर में बरक्कत होती हैदेखिए वाराणसी और छतरपुर में ऐसे मनाया गया दीपावली को शुभ
दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है. इस दिन सभी हिन्दू अपने घरों में दीये जला कर अमावस्या की रात को भी रौशन कर देते हैं. अलग-अलग रंगों और आकारों की लाइट्स से सजे घर, दरवाजों पर चमकते हुए मिट्टी के दीपक नजारे को और भी खूबसूरत बना देते हैं. लोग नए कपड़े पहन कर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं. साथ ही एक दूसरे को मिठाइयां और उपहार भेज कर शुभकामनाएं भी देते हैं.
यही वो समय है, जब हम अपने करीबी और प्रिय लोगों के साथ रिश्तों को और मजबूत बना सकते हैं. इस त्योहार का सभी हिन्दू धर्म के लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. ये सभी के लिए सबसे महत्वपूर्ण और पसंदीदा त्योहार है खासतौर पे बच्चे इसे सबसे ज्यादा पसंद करते हैं.
दिवाली आने के पहले ही बच्चे अपनी खुशी के लिए बनाते हैं, दीपावली के दिन इस छोटा सा घर में हम दीये जलाएंगे और और धूमधाम से अपना छोटा सा घर में खेलेंगे, यह खेल खासकर बच्चे ही खेलते हैं उसमें गुड्डी और गुड्डा भी खेलते हैं छोटा सा घर में और बच्चे बच्चे पार्टी मनाते हैं कहते हैं कि दीपावली का ऐसा त्यौहार है कि हमें अच्छा लगता है और हम छोटा सा घर बना कर रोशनी लाते हैं इसी की गाँव की रहने वाली किरन जिन्होंने बहुत प्यारा घर बनाया है वह कहती हैं लगभग 10 दिन के अन्दर मैंने ये घर बनाया है अभी इसकी सजावट कर देंगे तो बहुत से लोग देखने आते हैं और फोटो क्लिक करते हैं