खबर लहरिया ताजा खबरें जन्म लेने से पहले ही सरकारी तंत्र का शिकार हुआ मासूम

जन्म लेने से पहले ही सरकारी तंत्र का शिकार हुआ मासूम

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की तहत देश के 50 करोड़ गरीबों के लिए गंभीर बीमारी की स्थिति में हर परिवार को 5 लाख रूपए तक की मदद प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। पर क्या इसके ज़रिये असल में गरीबों को मदद मिल रही है?

बाँदा की रहने वाली एक गर्भवती महिला के बच्चे का उसके गर्भ में ही अंत हो गया। कई सारे सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों के चक्कर काटने के बाद भी उस माँ को अपने बच्चे को बचाने के लिए कोई मदद नहीं मिल पाई।

शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 पर 67-70 के बीच है।

उत्तरप्रदेश में डॉक्टरों के पद- 16,289    तैनात डॉक्टर-11,301

महिला और बाल विशेषज्ञ के पद- 3300  तैनात महिला विशेषज्ञ डॉक्टर– 400

इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैण्डर्ड के मुताबिक प्रदेश के प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र पर 4 गयिनाकोलोजिस्ट, 4 बाल-चिकित्सक, 4 एंस्थेटिस्टकी नियुक्ति का दावा किया है।

इतनी योजनाओं के बाद भी आखिर गरीबों को मदद क्यों नहीं मिल रही? कब तक ऐसी ही हर माँ अपना बच्चा खोती रहेगी? क्या सरकार इस मामले पर कुछ कहेगी या फिर चुप ही रहेगी?