सर्व आदिवासी समाज के बस्तर संभाग अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कहा, “दस साल से हमारे पास अपनी जनसंख्या या सामाजिक स्थितियों का स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं था। इसलिए हमने अपना खुद का सर्वेक्षण करने का फैसला किया और यह जारी रहेगा।
छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय ने पहली बार खुद से सामाजिक जनगणना करने का फैसला किया है। यह ऐलान बस्तर संभाग में सर्व आदिवासी समाज के सदस्यों के द्वारा लिया गया। यह फैसला आदिवासी समुदाय ने भारत सरकार द्वारा 2027 में जनगणना कराने के फैसले के बाद। इस जनगणना में पहली बार जाति जनगणना को भी शामिल किया गया है।
भारत सरकार ने 4 जून 2025 को ऐलान किया कि देश की अगली जनगणना 1 मार्च 2027 तक पूरी कर ली जाएगी। इस बार जनसंख्या के साथ-साथ जातियों की भी गिनती की जाएगी। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जबकि अगली जनगणना 2021 में होनी थी। लेकिन 14 दिसंबर 2022 को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते 2021 की जनगणना को टालना पड़ा था।
छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय खुद से करेगा जाति जनगणना
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय की आबादी 78 लाख 22 हजार 902 थी। यह उस समय की कुल जनसँख्या का 30.6 % थी। केंद्र सरकार के जाति जनगणना को शामिल करने के बाद छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदाय ने अविश्वास जताते हुए ये ऐलान किया की वे खुद से ही जाति जनगणना करेंगे।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की 1 जुलाई 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ के सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग के आदिवासी युवाओं और बुजुर्गों द्वारा यह चलाया जा रहा है। यह पहल अब बस्तर संभाग, धमतरी और बालोद जिलों के आस-पास के इलाकों के 1,000 से अधिक गांवों में जाति जनगणना की जाएगी।
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खुद से जाति जनगणना करने की वजह
सर्व आदिवासी समाज के बस्तर संभाग अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि “2001 में जनगणना के दौरान सरकार ने कई गांव को वीरान घोषित कर दिया था जिसकी वजह से हमें भी काफी संघर्ष करना पड़ा था। हमने कहा था कि वास्तव में जनगणना गलत की है और इस बात को राष्ट्रपति से भी गुहार लगाई थी। इसके बाद राष्ट्रपति ने जनगणना को ख़ारिज किया था। जहां जहां वीरान घोषित किया था उस गांव में जाकर फिर से जाँच की। उसके बाद फिर जनगणना को सही माना गया इसलिए अब हम पहले से ही खुद से ही यह फैसला किया है। हम खुद से सर्वेक्षण करें कि हमारे लोग कहाँ-कहाँ, किस स्थिति में रह रहे हैं ताकि आगे जाकर हम सरकार को यह आंकड़ा दिखा सकें।
दशकों से कोई आंकड़ा नहीं, अब से करेंगे आंकड़ें इकट्ठे
सर्व आदिवासी समाज के बस्तर संभाग अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कहा, “दस साल से हमारे पास अपनी जनसंख्या या सामाजिक स्थितियों का स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं था। इसलिए हमने अपना खुद का सर्वेक्षण करने का फैसला किया और यह जारी रहेगा। हम हर चीज का दस्तावेजीकरण करने के लिए एक मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें जन्म, मृत्यु, विवाह, भूमि स्वामित्व, प्रवासन पैटर्न और यहां तक कि ‘टोटम’ और ‘देवताओं’ जैसे सांस्कृतिक तत्व भी शामिल है।
छत्तीसगढ़ जाति जनगणना में इन लोगों को किया शामिल
बस्तर संभाग अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कहा, “यह सर्वेक्षण आदिवासी समुदायों द्वारा किया जा रहा है, लेकिन इसमें इन गांवों में रहने वाले एससी, ओबीसी और सामान्य वर्ग की आबादी सहित सभी सामाजिक समूहों को शामिल किया गया है। इसमें उन लोगों को भी शामिल किया गया है जिन्होंने धर्म परिवर्तन किया है या जिन्होंने ईसाई धर्म अपनाया हो उन आदिवासियों का भी रिकॉर्ड होगा। हमारा मानना है कि आदिवासी पहचान किसी एक धर्म से बंधी नहीं है और यह रिकॉर्ड हमें कानूनी रूप से इसे साबित करने में मदद करेगा।”
आदिवासी समुदाय के जाति जनगणना में समय – समय पर अपडेट
छत्तीसगढ़ के जनजातीय मामलों के मंत्री रामविचार नेताम ने कहा, “समुदाय के प्रतिनिधि और समितियां लोगों के बारे में उचित रिकॉर्ड रखती हैं और इसे समय-समय पर अपडेट किया जाता है। अगर सर्व आदिवासी समाज अपना व्यक्तिगत सर्वेक्षण कर रहा है, तो यह कोई समस्या नहीं है। लेकिन जहां तक जनगणना की प्रामाणिकता पर सवाल उठाने की बात है, तो मैं यह सुनिश्चित करना चाहूंगा कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे बहुत जिम्मेदारी के साथ किया जाता है और कई स्तरों पर इसकी जांच की जाती है।”
आदिवासी जाति जनगणना को आदिवासी नेता का समर्थन
जब आदिवासी समुदाय की तरफ से इस तरह की पहल सामने आई तो बस्तर के वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने टाइम्स ऑफ इंडिया से से बातचीत के दौरान कहा ” यह कई कारकों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। मैं इसका समर्थन करता हूं, खासकर इसलिए क्योंकि यह आदिवासी लोगों में जागरूकता को दर्शाता है। सर्वेक्षण पूरी गंभीरता से किया जाना चाहिए।”
छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय की जाति जनगणना और खुद के बारे में जानकारी इकट्ठा करना सच में एक अच्छी पहल है। यह एकजुटता और अपने समुदाय के अस्तित्व को एक पहचान भी देता है।
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