रायपुर से लगे नकटी गांव में घरों तो तोड़ने का नोटिस आया, प्रशासन का कहना है कि लोग अवैध रूप से रह रहे हैं जिसके विरोध में लोगों का गांव में प्रदर्शन जारी है।
लेखन- रचना
छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में स्थित नकटी गाँव के लोग अपने घरों को खाली करने के नोटिस के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। ग्रामीणों का दावा है कि यह जमीन उनके पूर्वजों की है और इसे शासकीय जमीन कैसे घोषित कर दिया गया। वे एक हफ्ते से अधिक समय से गांव के चौराहे पर धरना दे रहे हैं और जनप्रतिनिधियों से भी बातचीत कर चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
ग्रामीणों का आंदोलन और उनका दावा
नकटी गांव के निवासियों को जमीन खाली करने का नोटिस मिला है। दरसल जमीन खाली करने की खबर पिछले एक साल से चल रही थी। तीन महीने पहले ग्रामीणों को खबर पता लगी कि घरों को तोड़ने का आदेश आया है। चार दिन पहले उन्हें नगर निगम प्रशासन के ओर से एक नोटिस मिलती है कि गांव वालों को दो दिन में घर खाली करना होगा। ग्रामीण दावा कर रहे है कि वे पिछले 40 से 50 सालों से रह रहे हैं। ये जमीन उनके पूर्वजों द्वारा दी गई है और लोग आपस में भाईचारा दिखाते हुए थोड़े-थोड़े हिस्सों में घर बनाकर गुजारा कर रहे थे। घर टूटने की खबर से लोगों की मानो पैर के नीचे से जमीन खिसक गई हो। इसी का विरोध करते हुए वहां के ग्रामीण पिछले एक सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं।
आवास योजना से बने घर भी तोड़े जाएँगे
सूत्रों के अनुसार उस गांव में 80 से 85 परिवार निवास करते हैं जो मुख्यतः खेती किसानी कर अपना जीवनयापन करते आ रहे हैं। नकटी गांव में 30 से 35 घर ऐसे हैं जिसे सरकारी द्वारा आवास योजना के तहत बनाया गया उसे भी इस आदेश के तहत तोड़ा जाएगा। कुछ मीडिया चैनलों द्वारा पता लगा कि लोगों का कहना है कि आवास योजना का कुछ पैसा आया था जिसमें वे खुद के मेहनत से कमाएं अपने निजी पैसों से घर का निर्माण करवा रहे थे जो अभी पूरा भी नहीं हुआ है और उसे तोड़ने का आदेश मिल गया है। उन्होंने बताया कुछ विधायक और नेताओं का पहले कहना था कि आवास से बने घर नहीं तोड़े जाएंगे लेकिन अब पूरे गांव के घर एक साथ तोड़े जाने की नोटिस मिल चुकी है।
जनप्रतिनिधियों से बातचीत
ग्रामीणों ने पिछले तीन महीने में कई बार जनप्रतिनिधियों से भी बात की, विधायकों से मिले लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं की जा रही। जनप्रतिनिधियों से बात करने पर कहा जाता है कि वे कुछ नहीं कर सकते हैं। प्रशासन का कहना है कि नकटी की जमीन शासकीय है जिसमें लोग अवैध रूप से कब्जे कर के रह रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है।जितने हिस्से में नकटी गांव बसा हुआ है उसे तोड़ कर छत्तीसगढ़ के विधायकों के लिए कालोनी बनाई जाएगी। उसी विधायक कालोनी के लिए ग्रामीणों को उनके घर से निकाला जा रहा है।
ना मुआवजा ना ही जमीन
ग्रामीणों को उनके घर के बदले ना कोई मुआवजा और ना ही किसी तरह की जमीन देने की बात नहीं कही जा रही है। ग्रामीण कहां जाएंगे, कैसे रहेंगे इसकी कोई भी जिम्मेदारी की बात सरकार के तरफ अभी तक नहीं आइ है। ऐसे में लोगों के ऊपर पहाड़ टूट पड़ा है। और इसी के कारण वे अपने गांव के चौराहे पर एक सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं जिसमें 70 साल की बुजुर्ग महिला भी हैं और 5 साल का बच्चा भी।
कांग्रेस ग्रामीणों के साथ
पूर्व विधायक अनिता शर्मा ने कहा कि हम ग्रामीणों के साथ हैं।ग्रामीणों की ओर से संरक्षित जमीन पर वहां के गांव वालों का हक है।ग्रामीणों के घर उजाड़ कर विधायक कालोनी बनाने पर हमारा पुरजोर विरोध रहेगा।
सवाल सिर्फ छत्तीसगढ़ की नहीं है पूरे देश की है जहां अलग अलग कारणों से बुलडोजर चलवाया जा रहा है। सवाल है कि जिन कारणों से गरीबों की बस्ती और घर तोड़े जाते हैं उसमें से कोई कारण नकटी गांव नहीं है। लोग ना तो बांग्लादेशी हैं और ना ही मुस्लिम फिर क्यों नोटिस पे नोटिस थमाई जा रही है ? और अगर अवैध है तो कानूनी रूप से भी प्रक्रिया की जा सकती है। क्या भाजपा का बुलडोजर केवल गरीबों के घरों पर चलाने के लिए है।18 लाख आवास का सपना दिखाकर सत्ता में आई भाजपा अब उसी ताकत के नशे में ग्रामीणों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ कर रही हैl
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