कोरबा जैसे क्षेत्रों में कोल माइन्स के कारण मानव और भूमि अधिकारों का उल्लंघन लंबे समय से जारी है, खासकर 2008 से। खनन परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण अक्सर खनन शुरू होने से 10-20 साल पहले किया जाता है, जिससे स्थानीय समुदायों, खासकर किसानों और आदिवासी जनजातियों के लिए गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं। आइए देखें कि 2008 से अब तक क्या हो रहा है, जो आज भी जारी है।
ये भी देखें –
तमनार में बढ़ती कोयला खदानों से बिना स्वास्थ्य सुविधा कौन रहेगा जीवित? | रायगढ़,छत्तीसगढ़
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’
मौलिक अधिकार का खुला उल्लंघन यही होता है। किसी अधिकारी को बस इतना ही करना होता है कि किसी भी जगह को बोल दिया जाता है कि फलां जगह मेरा है, फिर वो बीस तीस चालीस साल के लिए सो जाता है फिर अचानक आकर कहता है इस जगह को हमने तीस साल पहले अधिग्रहित कर लिए है अब तुम लोग भागने की तैयारी करो ।
फिर होता है असली खेल मुआवजा का । अब यहां जिसके पास जितना पैसा है वो उतना ही ज्यादा घर बना कर भ्रष्ट अधिकारी से मिल कर मुआवजा का बंदरबांट करता है ।
Secl Deepaka gevra kusamunda manikpur bahut jyada pradushan faila raha hai dast rokane ke liye pani ka chhidkav nahin kiya ja Raha blasting ke liye Jo drill face banaya jata hai usmein Pani nahin Dala ja Raha aane Wale kuchh salon mein pradushan ke Karan ham mare jaenge iske liye Sarkar ko thos kadam uthana chahie