धमतरी जिले के एक गांव में एक परिवार को जुर्माना न भरने पर सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। परिवार ने अब प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है और मामले की जांच का आश्वासन मिला है।
बदलते दौर के साथ सामाजिक नियमों में बदलाव जरूर आया, लेकिन आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां पर रूढ़िवादी परंपरा आज भी कायम है। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के एक गांव में एक परिवार को पुराने रूढ़िवादी सोच की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गांव वालों ने इस परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। अब ये परिवार अपनी तकलीफ लेकर प्रशासन के पास पहुंचा है। वे चाहते हैं कि उनका बहिष्कार खत्म हो और उन्हें फिर से समाज में पहले की तरह सम्मान से जीने दिया जाए। परिवार के लोग बताते हैं कि वे लंबे समय से गांव वालों के तानों और अलगाव का सामना कर रहे हैं। इंसाफ पाने के लिए अब वे जगह-जगह गुहार लगा रहे हैं लेकिन अभी तक उन्हें कोई ठोस राहत नहीं मिली है।
परिवार से बात करने पर जुर्माना
अमर उजाला के रिपोर्ट के अनुसार, परिवार के मुखिया देवकरण साहू ने बताया कि 6 माह पहले गांव में बैठक आयोजित कर गाली-गलौज करने का आरोप उनके ऊपर लगाया गया था। जिस पर उनको 10 हजार रुपये से दंडित किया गया। बताया कि आज से 21 दिन पहले गांव में दोबारा बैठक बुलाया गई और दंड की राशि 10 हजार रुपये जमा करने के लिए कहा गया। जिस पर देवकरण ने ग्रामीण अध्यक्ष से कहा कि मुझे किस कारण से दंडित किया गया है वह लिखित में चाहिए। वहीं गांव के कुछ लोगों ने लिखित में देने से इनकार कर दिया और दंड की राशि नहीं देने पर उसके पूरे परिवार का गांव में हुक्का पानी बंद कर दिया गया है।
देवकरण ने बताया कि उनका गांव में बायकॉट होने के बाद उनके घर में लोगों का आना-जाना बंद हो गया है। साथ ही गांव में उनके परिवार से कोई भी व्यक्ति बातचीत नहीं कर रहा है। अगर गांव का कोई व्यक्ति उसके परिवार से बातचीत करता पाया गया तो उस पर भी 5 हजार रुपये का दंड रखा गया है। बताया कि खेती कार्य के लिए उनको मजदूर भी नहीं मिल रहा है और गांव में कोई भी दुकानदार उनको सामान नहीं दे रहा है। जिससे उनका पूरा परिवार मानसिक रूप से काफी प्रताड़ित है। ये परिवार 16 लोगों का परिवार है।
ETV भारत के अनुसार, गांव के लोग हमारे परिवार से बातचीत नहीं करते हैं। अगर हमें मजदूर भी काम के लिए चाहिए तो कोई नहीं मिलता। जो काम के लिए तैयार होता है कई गुणा ज्यादा पैसे मांगता है। जब हमने कोई गलती नहीं की तो हम किस बात के लिए जुर्माना भरें। हम मदद के लिए कई बार जिला प्रशासन के दफ्तरों के चक्कर काट चुके हैं। कहीं से भी हमें कोई मदद नहीं मिली है।
न्याय की मांग के लिए पहुंचे कलेक्ट्रेट
ETV भारत के अनुसार, परिवार ने कलेक्टर से इंसाफ की गुहार लगाते हुए मदद की मांग की है। फरियादी देवकरण साहू ने आकर शिकायत दर्ज कराई है। पवन कुमार प्रेमी, डिप्टी कलेक्टर ने कहा है कि जिला प्रशासन की टीम इस बात की जांच करेगी। अगर कोई इस तरह मामला है तो हम सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे। पूरे मामले की जांच की जाएगी।
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