छत्तीसगढ़ : मजदूरों की बस्ती औद्योगिक क्षेत्र वियजनगर को छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा संगठन ने 2003-04 में बसाया था। यहां पर देश के कई राज्यों और जिलों से आये सभी मजदूर रहते हैं। बिजली, पानी, सड़क, आवास और स्कूल जैसी सरकारी सुविधाओं के लिए संगठन ने लोगों के साथ लड़ाई लड़ी और अभी आगे की लड़ाई जारी है।
चुन्नी साहू विजयनगर सरोरा में कई सालों से रह रही हैं। यहां पर रहकर कम्पनियों में काम करती हैं। जब से वह इस बस्ती में रह रही हैं तो स्थाई रूप से रह रही हैं। साथ ही अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई के साथ उनकी परवरिश कर पा रही हैं। वह जब छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा में अपने हक़ और अधिकार के प्रति लड़ना सीख लिया। इसलिए सबसे बड़ी बात कि उनको खुद के नाम का घर बन गया। वह खड़ और उनके पति दोनों कम्पनी ने काम कर रहे हैं। बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।
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जमुना धुरु बताती हैं कि वह यहां से पहले किराये के घी में रहकर कंपनी म3न काम करती थीं लेकिन जब वह संगठन में जुड़ गईं तो उनका खुद का घर हो गया। एक घटना ऐसी हुई कि कम्पनी में काम करते समय उनके हाथ की उंगलियां कट गईं। कम्पनी वाले इलाज कराने को तैयार नहीं थे। संगठन के सहयोग से उंन्होने यह लड़ाई लड़ी और कम्पनी मालिक ने इलाज करवाया।
सोहन साहू बताते हैं कि वह कंपनी में काम करते हैं। दो सौ नब्बे रुपये एक दिन की मजदूरी मिलती है। 2010 में वह छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से जुड़कर आने गांव से यहां आकर यहां बस गए। कमाने खाने के लिए परिवार समेत यहां आ गए। छोटी छोटी सुविधाओं के लिए भी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। संगठन इनका भरपूर सहयोग कर रहा है।
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छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा संगठन की कार्यकर्ता नीरा बताती हैं कि तीन किस्तों में मजदूरों की बस्ती बसाई। सरकारी जमीन में कब्जा करके मजदूरी की बस्ती बसाया है। इस बस्ती को नगर पालिका में जुड़वाने के लिए बहुत मशक्क्त करनी पड़ी। सरकारी सुविधाओं के लिए भी लड़ाई ली और कई सुविधाएं मिल गईं लेकिन अभी कई अधूरी हैं उनकी लड़ाई जारी है। सरकार की नजरें अभी भी इस जमीन में गड़ी हैं। सभी मजदूर अलग अलग जिलों, राज्यों के लोग यहां रहकर काम कर रहे हैं। संगठन लगातार इन मजदूरों के लिए काम कर रहा है और आगे भी करता रहेगा।
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