नक्सल संगठन के शीर्ष विचारक सोनू उर्फ मल्लोजुल्ला वेणुगोपाल उर्फ भूपति ने गढ़चिरौली पुलिस के समक्ष सरेंडर (आत्मसमर्पण) कर दिया है। वेणुगोपाल समेत 60 माओवादियों ने भी सरेंडर किया है।
माओवादियों से जुड़ी आज की सबसे बड़ी खबर है जो पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। वो खबर है कि माओवादी के बड़े नेता, विशेष नेता वेणुगोपाल के अपने 60 साथियों के साथ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सरेंडर किया है। प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति के एक तेज़तर्रार सदस्य भूपति को सोनू, सोनू दादा, वेणुगोपाल, अभय, मास्टर, विवेक और वेणु जैसे कई अन्य उपनामों से भी जाना जाता है। ओडिशा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में उस पर 1 करोड़ रुपये से लेकर 10 करोड़ रुपये तक के कई इनाम घोषित थे। दरअसल छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ समय से माओवादियों और सरकार के बीच शांतिवार्ता को लेकर बातें चल रही हैं। बता दें सबसे पहले माओवादियों ने अपने महासचिव बसवाराज उनके मौत के पहले माओवादियों ने एक पत्र जारी किया था।
यह पत्र शांतिवार्ता को लेकर था। फिर उसके कुछ दिन बाद ऑपरेशन में महाराष्ट्र के एक इलाके में उनके महासचिव की मुठभेड़ के दौरान मौत हो गई। उसके बाद फिर से अभय के नाम से एक पर्चा जारी हुआ जो शांतिवार्ता को लेकर ही था। ये बताया जाता है कि सबसे पहले शांतिवार्ता को लेकर पत्र उनके महासचित ने ही लिखा था। इसके बाद जो शांतिवार्ता की बातचीत थी रूपेश (माओवादी सदस्य) और उनके महासचिव द्वारा आपस बातचीत करने के बाद इस पत्र को जारी किया गया। लेकिन जब मुठभेड़ में उनकी मौत हुई तो एक बार फिर शांतिवार्ता को लेकर पत्र किए गए वो माओवादियों के नेता वेणुगोपाल के द्वारा किया गया था।
कौन है वेणुगोपाल
पूर्ववर्ती आंध्र प्रदेश के पेडापल्ली से वाणिज्य स्नातक वेणुगोपाल राव, 2010 में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए वरिष्ठ नक्सली नेता मल्लाजोलु कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी के छोटे भाई हैं। उनकी पत्नी तारक्का ने 2018 में गढ़चिरौली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। अगर विस्तार से बात करें तो 69 वर्षीय वेणुगोपाल को माओवादी आंदोलन के सबसे प्रभावशाली नेताओं और वरिष्ठ रणनीतिकारों में से एक माना जाता है। वह 40 वर्षों से इस प्रतिबंधित संगठन में सक्रिय थे और छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना के “लाल गलियारे” में अपनी गतिविधियां संचालित करते रहे हैं। वह भारत के प्रमुख भूमिगत माओवादी संगठन, भाकपा (माओवादी) के प्रवक्ता भी हैं जिस पर सरकार ने 2009 में प्रतिबंध लगा दिया था।
बीकॉम स्नातक वह लगभग 40 वर्षों तक ‘लाल गलियारे’ में कई बड़े हमलों की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने में शामिल रहा। वह सीपीआई (माओवादी) के केंद्रीय सैन्य आयोग का सदस्य भी है जो सुरक्षा बलों और नागरिकों पर हमलों की योजना बनाने और उन्हें मंज़ूरी देने के लिए ज़िम्मेदार सर्वोच्च माओवादी निकाय है।
वेणुगोपाल के दादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे
करीब 70 से 72 वर्षीय वेणुगोपाल उर्फ भूपति तेलंगाना के पेदापल्ली जिले का रहने वाला है। नक्सल संगठन में अलग अलग नामों से जाने जाने वाले भूपति का असली नाम है मल्लोजुल्ला वेणुगोपाल। पिता का नाम वेंकटैया और दादा का नाम मल्लोजुल्ला। दादा का ये नाम इसलिए पड़ा क्योंकि दादा ने स्वतंत्रता संग्राम का युद्ध लड़ा था। दादा और पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। परिवार ब्राह्मण था लेकिन दादा ने उस वक्त के हैदराबाद प्रांत में बुनकरों की लड़ाई लड़ी थी। इसके चलते बुनकरों ने उनका नाम मल्लोजुल्ला याने कि बुनकरों के लिए लड़ने वाला, युद्ध करने वाला रख दिया। तेलुगु में मल्ल का अर्थ होता है युद्ध और जुल्ला का अर्थ होता है बुनकर। वेणुगोपाल के दादा को बुनकर समुदाय ने यह मल्लोजुल्ला यह नाम दिया था। उनका वास्तविक नाम कुछ और था लेकिन यही उनके पूरे कुनबे की पहचान बन गया। वेणुगोपाल के पिता वेंकटेय्या पेशे से शिक्षक थे। वह परिवार जिसने आजादी की लड़ाई में योगदान दिया। उसके 2 बेटे भारत में लगी इमरजेंसी के दौरान नक्सली बन गए।
माओवादी कार्यकर्ताओं के बड़े हिस्से का समर्थन
सितंबर में वेणुगोपाल ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर हथियार डालने की जानकारी दी थी। उन्हें छत्तीसगढ़ और देश के अन्य हिस्सों में माओवादी कार्यकर्ताओं के एक बड़े हिस्से का समर्थन हासिल था। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार वेणुगोपाल को भाकपा (माओवादी) के उत्तर उप-क्षेत्रीय और पश्चिम उप-क्षेत्रीय ब्यूरो से समर्थन मिला, जिन्होंने अब आत्मसमर्पन के लिए अपनी रुचि दिखाई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कुख्यात नक्सली सोनू ने 15 अगस्त को एक मौखिक और लिखित बयान जारी कर युद्धविराम के लिए तैयार होने का दावा किया था। बता दें कि पिछले हफ्ते ऐसी खबरें आईं थीं कि तेलंगाना के मूल निवासी वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और साथी कार्यकर्ताओं से खुद को बचाने और व्यर्थ बलिदान ना देने की अपील की थी।
पुलिस जांच जारी
इस संबंध में बस्तर संभाग के आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि नक्सल संगठन के नाम से जो पर्चे जारी हुए हैं, पुलिस प्रशासन उनकी जांच कर रहा है। जांच पूरी होने के बाद ही इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया दी जाएगी।
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