खबर लहरिया Blog Chhattisgarh: रायगढ़ में मरीन ड्राइव बनाने के लिए तोड़े गए आम लोगों के घर 

Chhattisgarh: रायगढ़ में मरीन ड्राइव बनाने के लिए तोड़े गए आम लोगों के घर 

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के प्रगति नगर कयाघाट क्षेत्र में मरीन ड्राइव बनाने के लिए निगम द्वारा बुलडोजर चलाया गया। वहां के निवासी जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विरोध के बावजूद भी हुई तोड़फोड़ 

Photo of clash between local residents and police

मोहल्लेवासियों और पुलिस में झड़प की तस्वीर (फोटो साभार: खबर चालीसा न्यूज़)

बुलडोजर का कहर रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। इस समय देश के लगभग आधे राज्यों के गरीब लोगों के घरों में बुलडोजर चला कर आम लोगों को बेघर किया जा रहा है। वादा जरुर किया जाता है कि बदले में एक पक्का मकान दिया जाएगा लेकिन सच्चाई कुछ और ही होती है। 

ठीक इसी तरह छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में भी बुलडोजर द्वारा आतंक की खबरें सामने आई। हाल ही में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के कयाघाट क्षेत्र से मकानें तोड़ने की खबर सामने आई और इस मकानों को तोड़कर उस जगह में शहर के सौंदर्यकरण और मरीन ड्राइव (समुद्र किनारे की सड़क)के नाम पर प्रशासन ने गरीबों के आशियाने को उजाड़ने की कार्यवाही शुरू कर दी है।

295 घर तोड़ने की नोटिस 

प्रशासन का कहना है कि लोग अवैध रूप से रह रहें हैं। प्रशासन ने शनिवार 14 जून 2025 को 20 घरों को गिरा दिया फिर रविवार सुबह से ही दोबारा बुलडोजर की कार्यवाही शुरू कर दी गई। बाकी के घर कुछ दिन बाद तोड़े जाएंगे। नगर निगम ने 295 मकानों को नोटिस जारी किया और इन घरों को एक-एक कर तोड़ने का आदेश दिया।

इधर मोहल्लेवासियों का आरोप है कि उन्हें बिना पूर्व सूचना के जबरन उजाड़ा जा रहा है। रात 9.30 बजे उन्हें नोटिस थमाकर कहा गया कि कल सुबह 8 बजे तक घर खाली कर दो। लोगों का यह भी कहना है कि वर्षों से वे यहां रह रहे हैं और अचानक मरीन ड्राइव परियोजना के नाम पर उनके घरों को तोड़कर उन्हें बेघर किया जा रहा है।

मोहल्लेवासियों द्वारा किया जा रहा विरोध प्रदर्शन 

मिली जानकारी के मुतबिक घरों पर बुलडोजर चलाने के विरोध में 4 जून 2025 की रात भारी संख्या में मोहल्लेवासी कलेक्टर आवास के बाहर धरने पर बैठे और कई घंटे तक नारेबाजी की।लेकिन इसके बावजूद कोई परिणाम नहीं निकल सका। सुबह होते ही भारी संख्या में पुलिस कयाघाट के लिए रवाना हुई। पूरा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है। 

छत्तीसगढ़ खबर के अनुसार तोड़फोड़ का विरोध करते हुए महिलाएं जेसीबी के सामने बैठ गई थीं। इसके बाद भी प्रशासन ने कार्रवाई नहीं रोकी। विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओं को पुलिस ने बल पूर्वक वहां से हटाया। इसके बाद वहां तनाव की स्थिति बन गई।जिसे देखते हुए वहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।

इस दौरान मोहल्लेवासीयों के साथ तोड़फोड़ का विरोध करने आई महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ धक्का मुक्की के बाद उन्हें भी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। 

कांग्रेस का एलान 

मीडिया चैनल द सूत्र के अनुसार शहर अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने कहा कि “प्रशासन गरीबों के साथ अन्याय कर रहा है। मरीन ड्राइव जैसी परियोजनाएं बिना किसी का घर तोड़े भी बनाई जा सकती है। ये सिर्फ बिल्डर्स को फायदा पहुंचाने की योजना है और हम इसे बर्दाश नहीं करेंगे।

विरोध के दौरान महिलाएं अपने घर को बचाने के लिए जमकर विरोध कर रहीं थी तभी पुलिस से धक्का मुक्की  भी हुई और पुलिस ने पूर्व महिला कांग्रेस अध्यक्ष बरखा सिंह सहित कुछ महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हो गई।

प्रशासन का पक्ष 

मौके पर पहुंचे एसपी और प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों को समझाया कि सभी प्रभावितों को घर के बदले घर और जमीन के बदले जमीन दी जाएगी। सभी लोगों को पहले ही नोटिस दिए गए हैं, और निर्माण कार्य पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत किया जा रहा हैं।

अब आगे ये देखना होगा कि कयाघाट क्षेत्र के निवासियों को उनके मकान के बदले पुनर्वास की कोई वैकल्पिक व्यवस्था प्रशासन के द्वारा दी जाती है या नहीं।

लेकिन तब भी सवाल उठता है कि क्या विकास और शहर का सौंदर्यकरण का रास्ता हमेशा झुग्गियों और गरीब लोगों को कुचल कर ही निकलेगा? सिर्फ गरीब बस्ती और मेहनतकश लोगों के ही आवास को अवैध करार दिया जाता है और सरकार चाहे किसी की भी हो अपना राज आते ही अचानक उन्हें अवैध ज़मीन की याद आ जाती है और फिर अंधाधुन झुग्गियों, बस्तियों और बाज़ारों में बुलडोजर चलने लगती है।

प्रशासन को विकास करते समय लोगों की भावनाओं और ज़रूरतों का ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो यह योजना सुंदरता नहीं, बल्कि असंवेदनशीलता की मिसाल बन जाएगी।

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke