खबर लहरिया Blog Chhattisgarh,Gariyaband: अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग करने पर पत्रकारों पर हमला, छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा की कोई गारंटी है भी या नहीं?

Chhattisgarh,Gariyaband: अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग करने पर पत्रकारों पर हमला, छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा की कोई गारंटी है भी या नहीं?

गरियाबंद जिले में अवैध रेत खनन की खबर कवर करने गए 3 से 4 पत्रकारों के ऊपर रेत मफियाओं द्वारा जानलेवा हमला किया गया। मारपीट के साथ दो बार फायरिंग भी की गई। 

Journalists saved their lives by hiding in the fields during the attack

                      हमला के दौरान खेतों पर छिप कर पत्रकारों ने अपनी जान बचाई (फोटो साभार: सर्वोच्य छत्तीसगढ़ न्यूज़)

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से पत्रकारों के ऊपर जानलेवा हमला किया गया और जान से मारने की धमकी दी गई। मुकेश चंद्रकार की याद अभी गई नहीं जिसने छत्तीसगढ़ के माओवादी प्रभावित इलाके में चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया और उन्हें बेरहमी से मार दिया गया था, और अब फिर से पत्रकारों पर सच दिखाए जाने पर हमला किया जा रहा है। कुछ दिन पहले  (26 अप्रैल 2025)  ही छत्तीसगढ़ के मेकाहरा अस्पताल में कवरेज के लिए गए पत्रकारों को धक्का मुक्की कर, पिस्तौल दिखा कर जान से मारने की धमकी दी गई। अब फिर से पत्रकारों के ऊपर हमला की खबर सामने आ रही है, जो प्रेस की आजादी और पत्रकारों के सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि देश में पत्रकारों की स्थिति कितनी गंभीर है लेकिन यह कहना भी गलत नहीं होगा कि छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की स्थिति ज्यादा निंदनीय और चिंताजनक है। इससे यह भी सवाल उठता है कि क्या छत्तीसगढ़ में अवैध तरीके से काम और भ्रष्टाचार की गिनती ज्यादा दिखाई पड़ती है जिसे उजागर करने के लिए पत्रकारों को अपनी जान हथेली पर ले कर चलना पड़ता है।

जानिए पूरा मामला क्या है?

  कल यानी 9 जून 2025 को छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में राजिम क्षेत्र के पितईबंद घाट (पैरी नदी) इलाके में अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग करने गए पत्रकार इमरान मेमन, थानेशवर साहू, जितेंद्र सिन्हा समेत 3 से 4 निजी चैनल के पत्रकार गए हुए थे। जैसे ही उन्होंने कैमरे से रिकॉर्डिंग शुरू की, वहां मौजूद रेत मफियाओं के गुर्गों द्वारा उन पर हमला किया गया। बताया जा रहा है कि इस दौरान हवाई फायरिंग भी की गई है। 

कवरेज करने गए पत्रकारों की पहले माफिया के गुर्गों से बहस हुई। इसके बाद माफिया के गुर्गों ने पत्रकारों से उनका आईकार्ड और कैमरा छीन लिया।बताया जा रहा है कि, ये रेत माफिया के गुर्गे थे जिनके पास हथियार भी थे। 

पत्रकार इमरान की सिर पर लोहे के हथियार से वार किया गया, जिससे उनके सिर से खून भी बहने लगा। पत्रकार खून से सने हालात में मौके से जान बचाकर भागने में सफल हुए। फिर गुर्गों ने स्कूटी और बाइक से लगभग तीन किलोमीटर तक पीछा भी किया। इसके बाद पत्रकारों ने किसी भी तरह खेतों में छिपते हुए अपनी जान बचाई। 

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल 

वारदात के समय किसी तरह जान बचाकर भाग रहे पत्रकारों ने भागते हुए वीडियो बनाया, जिसमें वह खून से सने नजर आ रहे हैं। वीडियो में दिख रहा है कि तीन लोग दौड़ रहे हैं और कह रहे हैं कि रेत माफिया ने हम पर हमला किया है।प्रशासन पत्रकारों को बचाए। यह वीडियो करीब 14 सेकेंड का है। पत्रकारों की यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

वॉट्सऐप ग्रुप पर शेयर किया गया वीडियो 

दैनिक भास्कर के रिपोर्टिंग के अनुसार, पत्रकारों के पास जब बचने का रास्ता नहीं बचा तो वीडियो बनाकर गरियाबंद के प्रशासनिक ग्रुप में शेयर किए। इसके बाद अधिकारी वीडियो देखकर एक्टिव हुए। कलेक्टर भगवान सिंह यूके ने तुरंत एसडीएम को घटनास्थल के लिए रवाना किया। एडिशनल एसपी जितेंद्र चंद्राकर ने बताया कि राजिम पुलिस और प्रशासन की टीम घटनास्थल पर गई थी। पत्रकारों की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ मामूली धारा के तहत FIR दर्ज की गई है। जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पत्रकारों में आक्रोश और इस घटना का विरोध 

 इस घटना ने छत्तीसगढ़ के पत्रकारों में आक्रोश पैदा कर दिया है। रेत माफिया की गुंडागर्दी को लेकर बड़ी संख्या में पत्रकारों ने राजिम क्षेत्र  के सुंदर लाल शर्मा चौक पर धरने पर बैठे। रेत माफिया को सरंक्षण देने वाले जिले के खनिज अधिकारियों और रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं। पत्रकारों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांग की है। पत्रकारों ने प्रशासन से यह भी मांग किया है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम प्रशासन के तरफ से उठाए जाए ताकि पत्रकार स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता कर पाए। इसके साथ ही पत्रकारों ने गरियाबंद में हो रहे अवैध रूप से रेत खनन का भी विरोध किया है। कार्यवाही में लापरवाही बरतने वाले जिला खनिज अधिकारी को हटाने की भी मांग की गई है।

केवल FIR गिरफ्तारी नहीं

 छत्तीसगढ़ के कई मीडिया चैनलों द्वारा जानकारी के अनुसार रेत दोषियों के खिलाप पुलिस थाने में  सिर्फ FIR दर्ज की गई है उनकी गिरफ़्तारी की खबर अभी तक नहीं आई है। जिसके कारण छत्तीसगढ़ के तमाम पत्रकार इस घटना का विरोध और दोषियों को सजा दिलवाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। यह है देश की स्थिति और देश की न्याय व्यवस्था जहां न्याय पाने के लिए लोगों को धरना प्रदर्शन करना पड़ता है।

प्रशासन का बयान

सर्वोच्य छत्तीसगढ़ न्यूज़ के मुताबिक राजिम पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए रेत माफियाओं को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम गठित की है। पुलिस ने क्षेत्र में छापेमारी शुरू कर दी है और संदिग्धों की तलाश जारी है।

स्थानीय प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लिया और दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ने का आश्वासन दिया है। पुलिस अधीक्षक ने कहा, “हम इस मामले में कड़ी कार्रवाई करेंगे। पत्रकारों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।” साथ ही, अवैध रेत खनन के खिलाफ चल रही कार्रवाइयों को और तेज करने की बात कही गई है।

गरियाबंद में कितने अवैध रेत खदान 

दैनिक भास्कर के रिपोर्ट के अनुसार, गरियाबंद के पैरी और महानदी में सिर्फ 4 रेत खदानों का लाइसेंस है। 12 रेत खदान अवैध तरीके से चल रहे हैं। पितईबंद रेत घाट में पत्रकारों से मारपीट हुई, वहां बिना लाइसेंस रेत खनन हो रहा है। आरोप है कि भाजपा नेता के संरक्षण में राजिम क्षेत्र में 17-18 घाटों में अवैध रेत खनन किया जा रहा है।

माफिया चाहे नदी का बहाव रोके, चाहे अवैध रेत डंप करने के लिए वन विभाग द्वारा लगाए गए हजारों पौधों की बलि दे दे। चाहे अवैध रेत उत्खनन रोकने वाले पुलिस और राजस्व कर्मियों पर हमला करें। उसके बाद भी रेत माफियाओं पर कोई कार्रवाई नहीं होती ऐसे में छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की स्थिति निंदनीय और चिंताजनक है। सवाल तो यह है कि ऐसे मफियाओं और भ्रष्टाचारों के ऊपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जाती? यह प्रेस के आजादी और पत्रकारों की सुरक्षा पर बेहद बड़ा सवाल है। क्या किसी भी तरह की हिंसा या भ्रष्टाचार को दिखाने की सजा पत्रकारों के लिए मौत से जूझना है? क्या छतीसगढ़ के पत्रकारों की सुरक्षा की गारंटी नहीं है? दुखद बात तो यह है कि पत्रकारों को न्याय के लिए हर बार प्रदर्शन करना पड़ता है और तब जाकर कोई कार्यवाही प्रशासन के तरफ से की जाती है। रेत घाटों में पत्रकारों पर होते हमले प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। ऐसा लग रहा है सरकार का नहीं माफियाओं का राज चल रहा है।

यह सब देख कर ऐसा लगता है एक समय आएगा जब नेता लोग न्याय की बात करेंगे, नियम की बात करेंगे तब तक ये माफिया और गुंडे इतने ताकतवर हो जाएँगे कि नेताओ की कुर्सी का सौदा इनके हाथ मे होगा और सारा तंत्र बस बेबस हो जाएगा।

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke