छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में भारी बारिश और बाढ़ के वजह से आम लोगों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। बारिश के कारण कई पुल टूट गए। हैं जिससे बच्चे तार के सहारे स्कूल जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के बस्तर के दंतेवाड़ा में इस बार बाढ़ तबाही लेकर आई है। तेज बारिश और भीषण बाढ़ के कारण दंतेवाड़ा जिले में 23 पुल पुलियों को 26 अगस्त को आई बाढ़ ने तबाह कर दिया। वहीं, सड़कें भी टूट गई और घर बिखर गए।
पुल टूटा है मगर बच्चों का जुनून नहीं
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जो दंतेवाड़ा के बारसुर गांव का है। लगातार बारिश होने के कारण रास्ते बंद हो गए हैं। गांवों से जगदलपुर और चित्रकूट जैसे शहरों तक मार्ग जोड़ने वाले सारे पुल टूट चुके हैं। अब इन रास्तों में आना जाना बंद हो गया है। फिर भी बारसुर गांव के स्कूली बच्चे स्कूल जाते दिख रहे हैं वो भी एक तार के भरोसे। वे एक तार का सहारा लेकर स्कूल जाने पर मजबूर हैं। इसे देख कर इतना समझ आता है कि भले पुल टूटे हैं मगर पढ़ाई के लिए बच्चों का जुनून नहीं टूटा है बल्कि बाढ़ और बारिश से कई गुना ज़्यादा जुनून क़ायम है। बता दें इस टूटे पुल पर बाढ़ से बहकर पहुंचे बड़े-बड़े पेड़ पर तार के सहारे जोखिम उठाकर लोग आना जाना करने को मजबूर हैं।
स्कूली बच्चे खतरे में
पुल टूट जाने से स्कूल और आंगनबाड़ी दोनों प्रभावित हो गए हैं। अब बच्चे बेहद मुश्किल हालात में पढ़ाई के लिए आ-जा रहे हैं। स्कूली छात्र तार पकड़कर धीरे-धीरे पुल के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक जाते हैं। रेकागांव के 20 से ज्यादा बच्चे इसी टूटे हुए पुल पर मोटी लकड़ी रखकर रोज़ाना खतरा उठाते हुए आते-जाते हैं। ज़रा सी चूक होने पर पैर फिसल सकता है और सीधा 20 फीट गहरे नाले में गिरने का डर बना रहता है।
ग्रामीणों ने अपनी ओर से इस पुल पर एक मोटी लकड़ी लगाकर अस्थायी रास्ता बनाया है और साथ ही बिजली का खराब तार बांध दिया है। बच्चे उसी तार को पकड़कर पार करने को मजबूर हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि अब तक शिक्षा विभाग की ओर से इस स्कूल को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है।
बच्चों ने जाहिर की अपनी परेशानी
एनडीटीवी के रिपोर्ट के अनुसार, छठी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा असवंती, लछनी और कक्षा 7वीं में पढ़ने वाली संतोषी, दूसरी क्लास में पढ़ने वाली समली, तीसरी पढ़ने वाली दशमी शिवंती, छात्र सूरज व छन्ना ने बताया कि बाढ़ का पानी अब काफी हद तक नीचे उतर गया है पर लकड़ियों से पार करने में डर लगता है।
बस्तर में आई बाढ़ से लोगों की ज़िंदगी बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस आपदा का सबसे ज्यादा असर मासूम स्कूली बच्चों पर दिख रहा है जिन्हें मजबूरी में खतरे उठाकर पढ़ाई के लिए जाना पड़ रहा है। सरकार और प्रशासन भले ही आपदा प्रबंधन को युद्ध स्तर पर करने का दावा कर रहे हों लेकिन हकीकत यह है कि टूटा हुआ पुल अब भी वैसा ही पड़ा है। अब सबकी नज़र इस बात पर है कि आखिर कब तक पुल के टूटे हिस्से की मरम्मत होगी ताकि ग्रामीणों और बच्चों को रोज़ाना अपनी जान जोखिम में डालकर उसे पार न करना पड़े।
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