छतरपुर : मवासी गांव में लगभग हर 4 साल में ग्रामीणों को चेचक की बीमारी होती है। इस समय अधिकतर ग्रामीण चेचक बीमारी से ग्रस्त हैं। उनकी मानें तो वह चेचक बीमारी नहीं बल्कि माता है। इस अंधविश्वास में ग्रामीण इलाज नहीं करा रहें। स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया जाता।
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इस समय गांव के लगभग 40 घरों में 10-15 दिनों से चेचक बीमारी फैली हुई है। ग्रामीण कहते हैं, चेचक बीमारी एक की ठीक होती है तो दूसरे को हो जाती है। ग्रामीण चेचक को माता मानते हैं और कहते हैं कि पूजने से यह चली जाती है। यह उनकी पुरानी परंपरा है। उनका यह मानना है कि अगर वह इलाज कराएंगे तो माता गुस्सा हो जाती हैं।
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मामले को लेकर खबर लहरिया ने जिला अस्पताल के सिविल सृजन महेंद्र गुप्ता से ऑफ कैमरा बात की। उन्होंने बताया कि चेचक बीमारी होने के बाद भी ग्रामीण इसका इलाज नहीं कराते। यह महामारी की तरह होती है जिसके लिए टीकाकरण भी होता है। उन्होंने कहा कि वह वह गाँव में टीम भिजवाकर दवाई छिड़कवा देंगे क्यूंकि यह बीमारी आमतौर पर गंदगी की वजह से ही होती है। साथ ही जिला चिकित्सालय में चेचक बीमारी के लिए जो भी लोशन है वह भी गांव में वितरित कराई जायेगी।
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