ध्यप्रदेश। पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में आ रहे छतरपुर जिले के ढोडन गांव में लोग सर्दियों से नदी का पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। उनके लिए नदी का पानी संजीवनी बूटी की तरह बन गया है। गांव से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर केन नदी है। जिसका रास्ता खेतों के बीच से है। सर्दी हो गर्मी हो या बरसात लेकिन पानी तो नदी का ही पीना है क्योंकि जल है तो जीवन है। इसलिए लोग कड़ी मेहनत के बाद पीने के पानी का जुगाड़ करते हैं लेकिन आज तक किसी के भी द्वारा उनके लिए पीने के पानी की व्यवस्था नहीं की गयी है।
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हमारी कवरेज के दौरान कैमरे को देखकर एक महिला भड़क उठी। बोली एक तो इस गांव कोई जल्दी आता नहीं है क्योंकि जंगल के बीच बसा हुआ है। दूसरा अगर कोई आता है, तो फोटो खींच कर चला जाता है। वह लोग मुसीबत से जूझ रहे हैं। पीने के पानी के लिए गांव में कोई सहारा नहीं है। वह कहती हैं कि अगर यहां पास में नदी नहीं होती तो क्या होता। लोगों का कहना है कि पानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं करवा रहा है। लोगों का गुस्सा अपनी जगह जायज़ है। पानी का काम तो सभी जानते हैं। खासकर महिलाओं को ही पानी भरना पड़ता है।
महिलाओं का कहना है कि अगर वह दिन में चार बार पानी भरने के लिए जाती हैं तो पूरा दिन चला जाता है। घर के बाकी काम काज और मेहनत मजदूरी का काम पड़ा ही रहता है। वह गरीब लोग बिना मेहनत मजदूरी के अपना बसर नहीं कर पाते। गांव में पानी की कमी उनके लिए एक बड़ा कारण है जो बहुत से कामों में रूकावट डालती है। पीने से लेकर खाना बनाना, कपड़े धोना, नहाना और जानवरों के लिए पानी लगता है। फिलहाल वह लोग कपड़ा धोने, नहाने और जानवरों का सारा काम नदी जाकर ही करती हैं क्योंकि इन कामों के साथ-साथ उनके घर में पीने का पानी भी नदी से ही आता है। घर के सारे कामों के लिए महिलाएं व बच्चें तीन-तीन बर्तन सर पर रखकर पानी भरने के लिए जाते हैं।
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