खबर लहरिया Blog छतरपुर: नहीं आई आवास की क़िस्त, भारी बारिश में गिरीं ग्रामीणों की कच्ची झोपड़ियां

छतरपुर: नहीं आई आवास की क़िस्त, भारी बारिश में गिरीं ग्रामीणों की कच्ची झोपड़ियां

गाँव के ज़्यादातर घर कच्चे बने हुए थे और लगातार हो रही बारिश के कारण इन घरों की कच्ची दीवारें पूरी तरह भीगी हुई थीं। लोगों का कहना है कि मिट्टी के बने इन घरों में से हर समय पानी चूता रहता है और कई घर तो जर्जर होकर गिर भी गए हैं।

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मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गाँव हमा में ग्रामीणों को आजतक लोक आवास योजना के अंतर्गत आवास बनवाने के लिए पैसे नहीं मिले हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि यह लोग 15-20 बार फॉर्म भर चुके हैं लेकिन अबतक न ही विभाग के किसी अधिकारी ने आकर इस गाँव का सर्वे किया है और न ही इन्हें आवास दिलवाने के लिए कोई कदम उठाया है।

हमारी रिपोर्टिंग के दौरान हमने देखा कि गाँव के ज़्यादातर घर कच्चे बने हुए थे और लगातार हो रही बारिश के कारण इन घरों की कच्ची दीवारें पूरी तरह भीगी हुई थीं। लोगों का कहना है कि मिट्टी के बने इन घरों में से हर समय पानी चूता रहता है और कई घर तो जर्जर होकर गिर भी गए हैं। इन लोगों ने बताया कि बारिश के मौसम में घरों के अंदर रखा सामान, बिस्तर, कपड़े सब कुछ भीग जाता है, लेकिन इसके बावजूद भी यह इन्हीं झोपिड़यों में बैठे रहते हैं। इन लोगों के पास सिर छिपाने के लिए कोई दूसरी छत नहीं है और न ही इतने पैसे हैं कि ये अपनी झोपड़ियों की मरम्मत करा सकें।

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बारिश के कारण झेलनी पड़ रही परेशानी-

इसी गाँव की रहने वाली पार्वती अहिरवार ने हमें बताया कि उनका घर मूसलाधार बारिश होने के चलते गिर गया है, जिसके बाद से उन्हें बगल में बने एक स्कूल में रहना पड़ रहा है। बरसात के कारण जिन-जिन लोगों के घर गिर गए थे, प्रधान ने फिलहाल उन्हें स्कूल में खाली पड़े एक कमरे में ठहरा रखा है।

ग्रामीणों का कहना है कि ये लोग आवास मिलने की मांग कई दिनों से कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से इन्हें कोई सहायता नहीं मिली है और आवास बनवाने के लिए पैसे भी बैंक खातों में नहीं आए हैं। स्कूल में रह रहे इन लोगों का कहना है कि जब बारिश बंद होगी तो ये लोग वापस से अपने परिवार के लिए मिट्टी के घर बनाना शुरू करेंगे ताकि इन्हें कुछ राहत मिल सके।

कब तक लगाएं योजनाओं के लाभ मिलने की आस?

इसी गाँव की रहने वाली रामवती का कहना है कि उनके गाँव में किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। न ही कभी कोई अधिकारी यहाँ इन लोगों की शिकायतें सुनने आता है और न ही प्रधान इनकी मांगों की कोई सुनवाई करते हैं। रामवती का कहना है कि जब-जब वोट मांगने का समय आता है तब तो विधायक और नेता हर दिन यहाँ आते हैं लेकिन चुनाव ख़तम होते ही सारे वादों पर पानी फिर जाता है। इन ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को इन गरीबों के बारे में सोचना चाहिए और योजनाओं का लाभ दिलवाने में मदद करनी
चाहिए।

जब हमने इस बारे में गाँव के प्रधान कैलाश रावत से बात की तो उनका कहना है कि उन्होंने सभी लोगों के आवास के आवेदन वापस से विभाग में जमा करवाए हैं, और उन्हें पूरी उम्मीद है कि एक महीने के अंदर सभी लोगों के खातों में आवास की क़िस्त आ जाएगी। प्रधान ने बताया कि फिलहाल इन लोगों को रात में रूकने के लिए स्कूल में जगह दे दी गई है ताकि बारिश में उन्हें कुछ राहत मिल सके।

उन्होंने हमें बताया कि इन लोगों को बल्ली और पन्नी भी दे दी गई है, अभी यह लोग बल्ली और पन्नी डालकर वहां पर खाना बना सकते हैं और रह सकते हैं।

इस मामले में जिला पंचायत सीईओ का कहना है कि ग्रामीणों को आवास दिलवाने के लिए सर्वे और करवाई जा रही है और जल्द ही उनके आवेदन की स्वीकृति की जाएगी।

इस खबर को खबर लहरिया के लिए अलीमा द्वारा रिपोर्ट किया गया है।

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