एमपी विधानसभा चुनाव 2023: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक गांव है, जहाँ लोग आजादी के बाद भी बंधुआ मजदूरों की तरह जीवन जी रहे हैं। इस गांव में सड़क न होने की वजह से लोग गांव से निकलने में परेशानी महसूस करते हैं। यहां के लोग इतने बंधे हुए हैं कि जब किसी की मौत होती है, तो उनका अंतिम संस्कार गांव के अंदर ही किया जाता है, या फिर गांव के बाहर उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। यह स्थिति इसलिए है क्योंकि इस गांव में अब तक कोई सड़क नहीं है, और खेतों से बाहर निकलने के लिए भी लोग मारपीट करते हैं।
ये भी देखें – Marriage Equality: LGBTQIA+ शादियों को मान्यता नहीं – SC ने सुनाया फैसला, कहा- कानून बनाना संसद पर
छतरपुर जिले से 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव रसोईया में आज तक कोई सड़क का निर्माण नहीं हुआ है, और इस गांव की आबादी लगभग 800 के करीब है। गांव के लोगों को इस बात का दुःख है कि वे जैसे जेल के अंदर बंद हैं, जैसे कैदी जैल के अंदर बंद रहते हैं। इस गांव में कोई सड़क न होने के कारण, बच्चियां पढ़ाई करने में असमर्थ हैं। इसका उनके भविष्य पर गहरा प्रभाव हो रहा है। बच्चों की शादियाँ भी यहां पर होने में दिक्कतें आ रही हैं, क्योंकि बारात पहुंचने के लिए भी सड़क चाहिए।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’