मध्यप्रदेश के पन्ना और छतरपुर जिले के कई गांव के किसानों की खेती केन बेतवा गठजोड़ परियोजना के डूब क्षेत्र में जा रही है। इस बात से किसान बहुत ज्यादा चिंतित है। किसानों के चेहरे की मायूसी बता रही है कि उनकी जो खेती है जिसमें वह फसल उगाते हैं वह कितनी ज्यादा अच्छी पैदावार देने वाली है और जब डूब जाएगी तो उनकी क्या स्थिति होगी।
छतरपुर जिले के बिजावर ब्लॉक अंतर्गत आने वाले ढोड़न गांव के किसानों ने बताया कि उनके यहां की जैसी पैदावार देने वाली खेती पूरे मध्यप्रदेश में कहीं और नहीं मिलेगी। वह जिस खेती में फसल पैदा करते हैं वहां पर ना तो उन्हें सिंचाई लगती है, ना ही खाद लगती है। यहां तक कि उन्हें जोताई करवाने की भी जरूरत नहीं है बिना जोते हुए खेतों में अगर वह मुट्ठी में राई भर के फेंक देते हैं तब भी बहुत अच्छी पैदावार देती है। इसका कारण है नदी किनारे और जंगल के बीच बस हुआ गांव हैं। हर साल नदी में बाढ़ आती है। जिसका लेफा खेतों में जाता है जो देसी खाद का काम करता है।
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पानी नदी से ही ले लेते हैं अगर जरूरत पड़ी तो वैसे तो ज़्यादातर ज़रुरत ही नहीं होती किसानों ने बताया कि उनका यह एरिया राई कांड के नाम से फेमस है यहां पर बहुत ज्यादा राई पैदा होती है अब आप सोच सकते हैं कि जिस क्षेत्र में इतनी ज्यादा राई पैदा होती है की राई कांड के नाम से जाना जाता है,तो वहां के किसानों को भला कितना फायदा होता होगा लोगों को आज के समय में महंगाई के कारण ₹200 किलो तेल खरीदना मुश्किल हो रहा है,लेकिन यहां के किसानों की मजबूरी है कि उस सोना उगलने वाली खेती को डूब क्षेत्र में जाने से नहीं रोक सकते।
वहां की जो खेती है ज्यादातर यादव समाज करते हैं जबकि वह खेती आदिवासी परिवारों की है लेकिन आदिवासी परिवार ठेके में उठा देते हैं और बाहर कमाते हैं। उस खेती को यादव परिवार लेकर करते हैं और मालामाल होते हैं किसानों का कहना है कि अगर उनकी कृषि डूब क्षेत्र में जा रही है तो भले ही उनको मुआवजा मिलेगा हो सकता है उनके हिसाब से मिले भी ना पर वह कहीं दूसरी जगह अगर खरीदेंगे भी तब भी इतनी पैदावार वाली खेती नहीं मिल पाएगी इस चीज का उन्हें हमेशा अफसोस रहेगा।
किसानों ने यह भी बताया कि उन्हें केन बेतवा परियोजना से कोई लाभ नहीं है और उन्हें नुकसान ही है क्योंकि उनकी इतनी अच्छी खेती डूब क्षेत्र में जा रही है। किसानों ने बातया कि और जगहों में भले ही पानी की कमी से किसान रोते हो लेकिन उनके यहां सिंचाई के लिए पानी की कमी नहीं है किसानों ने यह तक बताया कि जिस साल ज्यादा बारिश होती है उस साल तो पैदावार भले ही कम हो लेकिन जिस साल सूखा पड़ जाता है उस साल तो उनके यहां और भी अच्छी पैदावार होती है यह सुनकर के मैं तो चौक गई कि अरे सूखा पड़ जाता है, तो लोग कहते हैं अरे अब क्या करेंगे कैसे खेती बोई जाएगी सूखा पड़ गया अनाज नहीं होगा भुखमरी आ जाएगी लेकिन वहां के किसान कहते हैं कि जिस साल सूखा पड़ जाता है उस साल और अच्छी खेती होती है। यह तो सोचने वाली बात है कि आखिरकार ऐसा क्या है उस जमीन में जबकि जंगल और पहाडों के बीच की जमीन है।
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