भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) ने बताया कि आज चंद्रयान-2 महत्वपूर्ण कक्षा में पहुंच गया और उसने स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक चंद्र की कक्षा में स्थापित कर दिया है। इसके बाद अब चंद्रयान के चंद्रमा पर उतरने में कुछ ही दिन शेष हैं। अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अनुसार आज सुबह 9:02 बजे चंद्रयान सफलतापूर्वक चंद्र की कक्षा में पहुंच गया। चंद्रयान-2 में मौजूद सभी उपकरण अत्यधिक वज़नी हैं।
“इसे स्थापित करने में कुशलतापूर्वक किए गए काम की अवधि 1,738 सेकेंड़ रही। इसके साथ ही चंद्रयान-2 चंद्र की कक्षा में स्थापित कर दिया गया। चंद्र की कक्षा 114किमी X 18,072किमी है।” इसरो ने बताया।
इस का अनुपालन करते हुए चंद्रयान-2 स्पेसक्राफ्ट अन्य कक्षाओं में प्रवेश करेगा। अंतिम कक्षा में पहुंचने पर स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की दूरी पर होगा।
बादमें विक्रम, जिसे सतह पर उतरना है वह ऑर्बिट से अलग हो कर चंद्रमा की कक्षा में 100किमी X 30किमी गति से प्रवेश करेगा।
इसरो ने बताया, ‘एक के बाद एक अति महत्वपूर्ण कक्षाओं को पार करते हुए यान, चंद्रमा की सतह पर 7 सितंबर, 2019 को उतरेगा।’
स्पेसक्राफ्ट पर लगातार (इसरो में) मिशन ऑपरेशन कॉम्पेक्स (एमओक्स) के दूरी मापने वाले यंत्रों द्वारा उसके ट्रैकिंग और कमांड (आईएसटीआरएसी) पर बैंगलूरू तथा इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) में एंटीना से कर्नाटक की राजधानी के निकट बायलारू में नज़र रखी जा रही है।
अगली कक्षा में प्रवेश बुधवार दोपहर को 12:30 से 1:30 बजे के बीच होना है।
22 जुलाई को चंद्रयान-2 को अण्डाकार कक्षा में 170X45,475 किलोमीटर पर भारत ने विश्व के सबसे भारी रॉकेट सेटेलाइट को वाहन मार्क -3 के तहत लॉन्च कर स्थापित किया।
स्पेसक्राफ्ट के तीन भाग हैं – ऑर्बिटर जिसका वज़न 2,379 किलोग्राम पैलोड़ है, लैंडर ‘विक्रम’ जिसका वज़न 1,471 किलोग्राम पैलोड़ और रोवर ‘प्रज्ञान’ जो 27 किलोग्राम दो पैलोड़ है।
इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 भारत का दूसरा चंद्र अभियान है। यह चंद्रमा के दक्षिणी भाग पर प्रकाश ड़ालेगा जिसके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं है।
‘यह अभियान हमें चंद्रमा के जन्म और उसकी क्रमवार उन्नति के बारे में स्थलीय अध्ययन एवं उस सतह पर खनिज की उपस्थिति का व्यापक विश्लेषण करने और चंद्रमा की सतह पर अन्य प्रयोग करने में मददगार होगा।’ स्पेस एजेंसी ने बताया।
‘वहीं हम चंद्रयान-1 के द्वारा की गई खोज की जानकारी लेने की कोशिश करेंगे जिसमें पानी की खोज के लिए मोल्यीक्यूज़ की तलाश और चंद्रमा पर पाई जाने वाली चट्टानों के प्रकार पर और बिल्कुल अलग तरह के कैमीकल की रचना की खोज करेंगे।’ यह भी कहा गया है।
ऑर्बिट का जीवनकाल एक वर्ष होगा जबकि लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) का जीवनकाल एक लूनर दिन यानी प्रथ्वी के चोदह वर्ष होगा।
Translated from : https://economictimes.indiatimes.com/news/science/chandrayaan-2-put-into-lunar-orbit-now-just-a-few-days-away-from-landing-on-the-moon/articleshow/70748749.cms