खबर लहरिया Blog Census 2027: भारत की अगली जनगणना 2027 में, पहली बार साथ होगी जाति गणना

Census 2027: भारत की अगली जनगणना 2027 में, पहली बार साथ होगी जाति गणना

केंद्र सरकार ने बुधवार को ऐलान किया कि देश की अगली जनगणना और जाति आधारित गणना का काम अगले साल की शुरुआत में शुरू किया जाएगा।

जाति जनगणना की सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

लेखन – हिंदुजा 

भारत सरकार ने 4 जून को ऐलान किया कि देश की अगली जनगणना 1 मार्च 2027 तक पूरी कर ली जाएगी। इस बार जनसंख्या के साथ-साथ जातियों की भी गिनती की जाएगी। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जबकि अगली जनगणना 2021 में होनी थी। लेकिन 14 दिसंबर 2022 को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते 2021 की जनगणना को टालना पड़ा।

क्या होती है जाति गणना?

जाति गणना का मतलब है जनगणना के दौरान जाति से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करना — जैसे कौन सी जाति कहां रहती है, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति क्या है, शिक्षा का स्तर कैसा है आदि। ब्रिटिश राज में 1881 से 1931 तक हर जनगणना में जाति की जानकारी ली जाती थी। लेकिन आज़ादी के बाद 1951 से यह प्रक्रिया बंद कर दी गई। तब से केवल अनुसूचित जाती, अनुसूचित जनजाती और धर्म के आधार पर जानकारी जुटाई जाती रही है। ओबीसी की भी गणना नहीं होती थी, लेकिन राज्य सरकारें अपने स्तर पर ओबीसी की सूची बना सकती थीं। अभी तक बिहार, कर्नाटक और तेलंगाना अपने स्तर से जाति गणना करा चुके हैं।

जनगणना की प्रक्रिया दो चरणों में होगी

जनगणना दो चरणों में की जाएगी – पहला चरण इस साल जून में शुरू होगा जिसमे मकानों की गिनती होगी जिसके तहत घरों की जानकारी इकट्ठा की जाएगी और इसमें 5 से 6 महीने लगेंगे। दूसरा चरण जनसंख्या गणना का होगा जो फरवरी 2027 में शुरू होकर एक महीने चलेगा।

जाति गणना भी साथ होगी, लेकिन OBC का समूहीकरण नहीं

सरकार के मुताबिक, इस बार जनगणना के साथ-साथ जाति गणना भी की जाएगी लेकिन इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को एक समूह के तौर पर दर्ज नहीं किया जाएगा, बल्कि सिर्फ जातियों की एक सामान्य सूची तैयार की जाएगी। गृह मंत्रालय ने कहा, “जनसंख्या जनगणना 2027 दो चरणों में होगी, जिसमें जातियों की गणना भी शामिल रहेगी।”

परिसीमन, महिला आरक्षण और ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़ सकता है

यह जनगणना इसलिए भी अहम है क्योंकि इसके बाद परिसीमन की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। परिसीमन का मतलब है लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या और सीमा का दोबारा निर्धारण करना। संविधान के अनुच्छेद 82 के मुताबिक, हर जनगणना के बाद परिसीमन होना चाहिए, लेकिन 1976 और फिर 2001 में इसे 25 साल के लिए टाल दिया गया था। अब यह 2026 के बाद की पहली जनगणना के आधार पर होना है।

2023 में संसद ने 128वां संविधान संशोधन करके लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33% आरक्षण देने का कानून पास किया था। लेकिन इस कानून में शर्त थी कि यह आरक्षण तभी लागू होगा जब जनगणना के बाद परिसीमन किया जाएगा। साथ ही, यह आरक्षण 15 साल के लिए ही लागू रहेगा तो जनगणना संसद में महिला आरक्षण के लिए भी ज़रूरी है।

इस जनगणना के साथ बीजेपी की लोकसभा और विधानसभा चुनाव (वन नेशन, वन इलेक्शन) की योजना पर भी अमल किया जा सकता है।

जाति गणना की मांग में विपक्ष की भूमिका

विपक्षी गठबंधन इंडिया (INDIA) ब्लॉक और कांग्रेस नेता राहुल गांधी लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे थे। उनका तर्क है कि इससे सटीक सामाजिक-आर्थिक आंकड़े मिलेंगे, जिससे नीतियों को बेहतर तरीके से बनाया जा सकेगा। जाति गणना की घोषणा उस समय हुई जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘जितनी आबादी, उतना हक़’ का नारा देकर जातिगत आधार पर प्रतिनिधित्व की मांग तेज़ की थी। माना जा रहा है कि इससे 2024 के लोकसभा चुनावों में विपक्ष को लाभ हुआ। बीजेपी जाति गणना के पक्ष में नहीं रही है लेकिन केंद्र सरकार ने यू-टर्न लेते हुए 30 अप्रैल को जाति गणना को मंजूरी दी।

 

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