खबर लहरिया Blog रेलगाड़ी की पटरियों को बाधित करने के मामले आ रहे सामने, आखिर जिम्मेदार कौन?

रेलगाड़ी की पटरियों को बाधित करने के मामले आ रहे सामने, आखिर जिम्मेदार कौन?

उत्तर प्रदेश में रेल दुर्घटनाओं को लेकर अकसर खबरें आती रहती है जैसे कहीं रेलगाड़ी पटरी से उतर गई तो कहीं रेलगाड़ी का इंजन अलग हो गया तो कहीं रेलगाड़ी के डिब्बे पटरी से नीचे उतर गए। ऐसे ही कुछ घटनाएं अब रेल परिचालन को बाधित करने की भी आ रही हैं। जैसे कहीं रेलवे ट्रैक पर गैस सिलेंडर, पत्थर, बजरी, लोहे का पोल आदि मिले जिससे बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। ऐसे में यह रेलवे सुरक्षा को लेकर कई सवाल मन में उठाता है।

Cases of obstructing train tracks

                                                                                           ट्रेन ट्रैक को बाधित करने की सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार – सोशल मीडिया)

यूपी के कानपुर सेंट्रल और फतेहपुर के बीच पड़ने वाला स्टेशन प्रेमपुर रेलवे स्टेशन पर रेल की पटरी पर 5 लीटर का गैस सिलेंडर मिला जोकि खाली था। यह घटना कल रविवार 22 सितम्बर की बताई जा रही है। समय रहते मालगाड़ी के रेलवे चालक ने ब्रेक लगा दिए जिससे हादसा टल गया। जानकारी के अनुसार अगस्त महीने से लेकर अब तक यूपी की यह छठी घटना हैं जिसमें रेलगाड़ी की पटरी पर इस तरह का सामान देखा गया है। इस तरह की लापरवाही का जिम्मेदार कौन है और इसके आकड़ें बढ़ते क्यों जा रहे हैं?

उत्तर प्रदेश में रेल दुर्घटनाओं को लेकर अकसर खबरें आती रहती है जैसे कहीं रेलगाड़ी पटरी से उतर गई तो कहीं रेलगाड़ी का इंजन अलग हो गया तो कहीं रेलगाड़ी के डिब्बे पटरी से नीचे उतर गए। ऐसे ही कुछ घटनाएँ अब रेल परिचालन को बाधित करने के आ रहे हैं जैसे कहीं रेलवे ट्रैक पर गैस सिलेंडर, पत्थर, बजरी, लोहे का पोल आदि मिले जिससे बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। ऐसे में यह रेलवे सुरक्षा को लेकर कई सवाल मन में उठाता है। यूपी में हो रहे इस तरह की घटनाओं के पीछे आखिर क्या कारण हो सकता है? इस तरह की घटना रेलवे सुरक्षा कर्मी की तरफ से लापरवाही को भी दर्शाती है। इस तरह के आंकड़ें दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं और कई वीडियो भी सामने आ रहे हैं। ऐसी घटनाएं लोगों के अंदर डर तो पैदा करती है साथ ही रेलवे परिचालन में भी बाधा डालती है। पटरियां बाधित होने से कई रूट और ट्रेन रद्द की जाती है साथ ही पटरियों को क्लियर (मार्ग साफ़) करने में भी समय लगता है। चलिए जानते हैं आखिर ऐसी उत्तर प्रदेश में कितनी घटनाएँ सामने आई जिसमें पटरियों को केंद्र में रखा गया।

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प्रयागराज से कानपुर जाने वाली मालगाड़ी

रविवार 22 सितम्बर 2024 को कानपुर से प्रयागराज जाने वाली मालगाड़ी को रेल चालक ने सुबह 5:50 बजे प्रेमपुर स्टेशन पर पटरियों पर गैस सिलेंडर पड़ा देखा।  चालक ने ट्रेन को रोकने के लिए आपातकालीन ब्रेक लगाए गए। जाँच के बाद गैस सिलेंडर को हटा दिया गया और फिर से यात्रा शुरू करने की अनुमति दे दी गई।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक कानपुर के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने कहा, “हालांकि पटरी से उतरने की संभावना नगण्य थी, क्योंकि चलती ट्रेन की गति ने संभवतः सिलेंडर को दूर धकेल दिया होगा, लेकिन जानबूझकर गैस सिलेंडर को ट्रैक पर रखना, अपराधी चाहे कोई भी हो, निस्संदेह तोड़फोड़ की मंशा को दर्शाता है।”

रामपुर में बिलासपुर रोड के पास रेलवे ट्रैक पर टेलीकॉम पोल की खबर

हाल ही में ऐसे ही घटना चर्चा में रही जिसमें उत्तर प्रदेश के रामपुर में बिलासपुर रोड के पास रेलवे ट्रैक पर चोरी किया हुआ टेलीकॉम पोल ( छह मीटर लंबा) मिला। ट्रेन नंबर 12091 के लोको पायलट ने आपातकालीन ब्रेक लगाए और पोल को हटाया। इसके बाद राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने जांच शुरू कर दी। सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय जानकारी के आधार पर रविवार 22 सितम्बर 2024 को दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

गाजीपुर घाट और गाजीपुर सिटी के बीच रेलवे ट्रैक पर मिली लकड़ी

रिपोर्ट के अनुसार, 16 सितंबर 2024 की सुबह दिल्ली जा रही स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस (12561) के मार्ग (गाजीपुर घाट और गाजीपुर सिटी रेलवे स्टेशन) में रेल पटरी पर लकड़ी का लट्ठा मिला था। जो रेल के इंजन से टकराने के बाद फेल हो गया। लकड़ी का बड़ा टुकड़ा ट्रेन के साथ करीब आधे किलोमीटर तक घिसटा गया। उसके बाद एक्सप्रेस रुक गई।

कानपुर-कासगंज रूट पर मिला भरा हुआ गैस सिलेंडर

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पटरियों पर गैस सिलेंडर रखने की कोशिश पहले भी हो चुकी है जिसमें 8 सितंबर की रात को कानपुर नगर जिले में भिवानी जाने वाली कालिंदी एक्सप्रेस (14117)  जा रही ट्रेन  कानपुर-कासगंज मार्ग पर बर्राजपुर और उतरीपुरा के बीच रेरेल की पटरी पर एलपीजी से भरे गैस सिलेंडर मिला था। जो रेल के इंजन से टकरा गया था। रेल की पटरियों के पास एक मोलोटोव कॉकटेल (पेट्रोल बम) भी मिला था। जाँच अधिकारीयों के अनुसार यह एक बड़े हादसे को अंजाम देने की कोशिस थी।

10 सितम्बर को हुई एक घटना में गाजीपुर घाट और गाजीपुर सिटी रेलवे स्टेशन के बीच बजरी डाल दी थी साथ ही प्रयागराज-बलिया पैसेंजर पर पथराव करने की भी खबर सामने आई थी।

कानपुर-कासगंज मार्ग पर 24 अगस्त को लकड़ी का बड़ा टुकड़ा पटरी पर मिला था जिसमें बाद में एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया गया था।

वाराणसी से अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस एक पुराने जंग लगे पटरी से टकरा गई थी। यह घटना 17 अगस्त की बताई जा रही थी।

इतने सारे मामले सामने के बाद यह सवाल उठता है कि क्या रेल पटरियों की जाँच नहीं की जाती? रेलवे विभाग और अधिकारी जाँच में जुटी है फिर भी उन आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। जाँच की टीम ये कहकर टाल देती है या तो यह किसी की शरारत है या तो ये साजिश है, पर इसके पीछे क्या वजह है? जो इस तरह की घटनाएं हो रही है। क्या रेल में सफर करना अब खतरे से खाली नहीं है?

 

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