खबर लहरिया Blog दलित जाति के बच्चों घड़ा न छूना, नहीं तो पानी गंदा हो जाएगा | Editorial Brief

दलित जाति के बच्चों घड़ा न छूना, नहीं तो पानी गंदा हो जाएगा | Editorial Brief

5 सितम्बर को शिक्षक दिवस और  14 नवम्बर को बाल दिवस मनाया जाता है। इन दोनों दिवसों को टीचर और स्टूडेंट के बीच होने वाले पवित्र रिश्ते को जोड़ा जाता है जो एक दूसरे पर समर्पित हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है। हां जब से इन दोनों के रिश्तों को जताने के लिए खास दिन बना दिये गए तब से शिक्षक दिवस और बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। जब मैं भी स्कूल में पढ़ती थी तो यह एहसास मुझे भी इन खास दिवसों पर आता था और आज भी याद है। इन खास दिवसों के मौकों पर हमने शिक्षक और छात्र के बीच के रिश्तों को कुछ इस तरह देखा जो आप सब जानते हैं।

दलित होना कोई अभिशाप तो नहीं है लेकिन इसका बोलबाला हर स्तर पर देखने को मिलता है। अब स्कूलों में ही देख लीजिए कि पानी का घड़ा छूने पर भी ऐसी मार कि बच्चे की जान तक चली गई। फिर भी हम मना रहे हैं शिक्षक दिवस

महोबा जिले की सदर कोतवाली के अंतर्गत आने वाले गांव छिकहरा गांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में दलित छात्रा मानवी के साथ उच्च जाति के शिक्षक ने इसलिए मारपीट की कि उसने टीचर के घड़े से पानी निकाल कर पी लिया मतलब घड़े को छू लिया था।

इसी तरह से राजस्थान के जालौर जिले के सुराणा गांव के निजी स्कूल में एक शिक्षक की पिटाई से तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले नौ साल के इंद्र मेघवाल की मौत 13 अगस्त 2022 को हो गई। पिटाई का मामला 20 जुलाई का बताया जा रहा है। मतलब पिटाई के 24 दिन तक इलाज चलता रहा और परिजन बच्चे के इलाज के लिए शहर-शहर भटकते रहे।

 

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