दिल्ली: 15 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और उसके आस-पास के इलाकों 16 दिसंबर को भी प्रदर्शन जारी रहा। दिल्ली पुलिस के ऊपर छात्रों ने आरोप लगाया कि छात्र-छात्राओं के साथ वहां के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मारपीट की। इतना ही नहीं जामिया का मुख्य गेट तोड़कर लाइब्रेरी के अंदर घुसकर पढ़ रहे छात्र-छात्राओं के साथ मारपीट की। आंसू गोले दागे और गोलियां चलाई। इसमें कई छात्र और पुलिस वाले गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
मामला यह है कि नागरिकता (संशोधन) कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समीप न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में पुलिस के साथ झड़प हो गई। उसके बाद डीटीसी की चार बसों और दो पुलिस वाहनों में आग लगा दी गई। झड़प में छात्रों, पुलिसकर्मियों और दमकलकर्मी समेत करीब 60 लोग घायल हो गए। पुलिस ने भीड़ को खदेडने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े लेकिन छात्र-छात्राओं पर गोलियां चलाने की बात से इनकार किया है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। सड़कों पर आगजनी और झड़प के बाद दिल्ली पुलिस जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के परिसर में घुस गई जहां हिंसा में कथित तौर पर शामिल होने को लेकर कई लोगों को हिरासत में ले लिया। फिर बाद में जामिया के छात्रों ने पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ पुलिस हेडक्वार्टर पर देर रात तक प्रदर्शन किया।
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वहीं, अलीगढ़ के एएमयू में हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने 21 लोगों को गिरफ्तार किया है। साथ ही 56 नामित तथा अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। एएमयू के प्रॉक्टर अफिफुल्लाह खान ने कहा कि किसी भी छात्र को हॉस्टल में नहीं रहने दिया जाएगा। हॉस्टलों को पूरी तरह खाली कराने का आदेश जारी किया गया है।
इस मामले को लेकर हमने अपने जिलों के कुछ छात्र-छात्राओं और राजनीतिक लोगों से बात की।
बांदा के पंडित जवाहर लाल नेहरू पी.जी. विश्वविद्यालय के छात्र नेता अभय प्रताप सिंह का कहना है कि पुलिस ने छात्रों के साथ मारपीट की। मारपीट करने का किसी को हक़ नहीं है। इसी तरह एक ही आवाज के साथ कई छात्र-छात्राओं ने बोला पुलिस ने बहुत ही गलत किया। इसकी जांच होनी चाहिए।