ये लोग खुले आसमान के नीचे रखी फसल को बचाने के लिए किसी तरह पॉलिथीन से ढक कर सुरक्षित करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
बुंदेलखंड का किसान हमेशा से ही समस्याओं से जूझता नजर आया है। कहीं खेती में पैदावार न होने से, तो कहीं क्रय विक्रय केंद्रों में खरीद न हो पाने से, तो कहीं बारिश न होने से। जैसा कि हम देख रहे हैं कि इस समय मौसम ने अपने तेवर पूरी तरह से बदल लिए हैं और बुंदेलखंड में लगातार चार दिन से रात-दिन बारिश हो रही है, जिससे किसानों की चिंताएं बढ गई हैं। क्योंकि एक तरफ मण्डी और क्रय केन्द्रों में धान बेचने के लिए पड़ा किसानों का धान पानी से शराबोर हो चुका है, तो वहीँ दूसरी तरफ कड़ी मेहनत से तैयार की गई हरी भरी दलहन तिलहन फसल बारिश के कारण खेतों में सड़ रही है।
अतर्रा : खरीद केंद्रों में अपनी धान की उपज लेकर पड़े किसानों की उपज बारिश की भेंट चढ़ रही है। उनके सामने अब बारिश के साथ अन्ना जनवरों से भी फसल बचाने की चुनौती है। खरीद केंद्रों के बाहर भीषण ठंड व बारिश में रात गुजार रहे हैं किसान परेशान हैं। पहले टोकन व्यवस्था और अब तीन दिनों से हो रही बारिश के चलते खरीद बंद है। किसान अपने खून पसीने से तैयार धान की उपज को बारिश से बचाने के लिए स्वयं यहाँ खड़े हो कर भीग रहा है। जिससें उन्हें भी ठंड लगने का खतरा है, साथ ही लगातार बढ़ रहे कोरोना के केसेस का भी डर इन लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर खड़ा रहने से सता रहा है।
शासन के निर्देश पर राजकीय कृषि उत्पादन मंडी परिसर अतर्रा में आठ धान खरीद केंद्र खुले हैं। यहाँ किसान अपनी उपज का सही मूल्य पाने के लिए धान बेचने आते हैं, लेकिन खरीद केंद्रों में बोरों व उठान न होने की समस्या के कारण तौल न होने से किसान परेशान होता है, तो कभी टोकन व्यवस्था लागू रहने के चलते परेशान रहता है। अब तीन दिनों से हो रही बारिश के चलते क्रय केंद्रों में खरीद बंद चल रही है। जिसके चलते महीनों से उपज बेचने का इंतजार कर रहे किसान परेशान हैं।
ये लोग खुले आसमान के नीचे रखी फसल को बचाने के लिए किसी तरह पॉलिथीन से ढक कर सुरक्षित करने की कोशिश में लगे हुए हैं। किसानों का कहना है कि अभी तक ये लोग लागू टोकन व्यवस्था से परेशान थे, लेकिन किसी तरह वह व्यवस्था बंद हुई तो बारिश के चलते खरीद नहीं हो रही है। आऊ गांव के किसान मलखान बताते हैं कि वो भाड़े के ट्रैक्टर में बिक्री के लिए धान लेकर आये थे, लेकिन महीनो के इंतजार के बाद भी बिक्री नहीं हो पा रही है। मलखान की मानें तो उपज बिक्री की धनराशि का एक-तिहाई भाड़ा ही खर्च हो जाएगा। ऐसे में आखिर कैसे रबी फसल की खाद व सिंचाई होगी?
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किसानों की मेहनत पर प्रशासन की लापरवाही और बारिश ने फेरा पानी-
नरैनी कस्बे के बांदा रोड स्थित सरकारी धान खरीद केंद्र पर किसान कई दिनों से अपना धान बेचने के लिए रखे हुए हैं। लेकिन उनका धान समय से न बिक पाने के कारण तीन दिन से हो रही बरिश में पूरी तरह से भीग गया है, किसानों ने बताया कि ये लोग कई दिनों से क्रय केंद्रों पर अपना धान लिए हुए इस कड़ाके की सर्दी में पड़े हुए हैं, लेकिन टोकन न मिलने के कारण धान बिक नहीं पा रहा है। ऐसे में इनका धान तीन दिन से हो रही बारिश के कारण पूरी तरह से भीग चुका है। अब मजबूरन इन लोगों को वापस अपना धान ले जाकर दोबारा से सुखवाना पड़ेगा तब जाकर ये बेचने की कगार पर आ पाएगा।
किसानों ने बताया कि टोकन निकालने के लिए ये लोग सारा दिन साइबर कैफे के चक्कर लगाते रहते हैं फिर भी इन्हें टोकन नहीं निकल पा रहा है। कुछ किसानों ने यह भी बताया कि सुबह 10:00 बजे से मात्र 5 या 10 मिनट के लिए टोकन निकलने का समय मिलता है लेकिन तुरंत ही खरीद केंद्रों की निर्धारित मात्रा खत्म हो जाती है। जिसके कारण लोगों का टोकन नहीं मिल पाता है।
किसानों ने शासन प्रशासन से मांग की है कि टोकन सिस्टम को खत्म कर सीधे खरीद की जाए तो हो सकता है कि लोगों का धान समय से बिक पाएगा अन्यथा बुंदेलखंड के किसान भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे। लोगों ने यह भी बताया कि खेती करने के लिए साहूकारों से लिया गया कर्ज गले का फास बना हुआ है। आए दिन साहूकारों की धमकियों का सामना करना पड़ रहा है इसके बावजूद ये लोग हफ्तों से क्रय केंद्रों पर जमे हुए हैं, जबकि प्राइवेट दुकानों में खरीद कर रहे व्यापारी आधे पौने दामों में धान खरीद कर सरकारी में बेचकर हजारों का मुनाफा कमा रहे हैं।
तेराबा निवासी किसान नत्थूराम ने बताया है कि वो 29 दिसंबर को धान बेचने आए थे और आठ तारीख तक उन्होंने चार बार टोकन निकलवाया है। इस टोकन को निकलवाने में ही लोगों के एक बार में 40 रूपए लग रहे हैं।
वहीं बड़ोखर खुर्द ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले मोहनपुरवा के किसान चुन्नीलाल,छुट्टू और फक्कड़ बताते हैं कि उनके यहां धान की फसल तो नहीं होती है, लेकिन गेहूं, चना, मसूर, सरसों, मटर और अरहर होती है। सरसो मटर अरहर होता है। इस समय 3 दिन से हो रही लगातार बारिश ने खेतों को तालाब जैसा भर दिया है। जिसके कारण मटर, चना, मसूर, सरसों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। इन किसानों ने कड़ी मेहनत की थी और काफी पैसे भी खर्च किए थे। एक बीघा खेत को जोतने में रोज़ाना इन लोगों 1 हज़ार से ऊपर की रकम खर्च करनी पड़ रही थी। इन लोगों ने इस फसल में कम से कम 30 हज़ार खर्च किए हैं लेकिन अब इन्हें सिर्फ निराशा ही नजर आ रही है।
छतरपुर में भी बारिश बनी परेशानी का सबब-
उधर एमपी के छतरपुर जिले में भी 3 दिनों से लगातार हो रही बारिश लोगों के काम में बाधा डाल रही है। ज़िले के ग्रामीण इलाकों से कच्ची झोपड़ियों के गिरने की खबर सामने आई है, इसके साथ ही बर्फीली हवाएं इन गरीब परिवारों के लिए आफत बन चुकी हैं। जिन लोगों के घर भारी बारिश के कारण ढह गए हैं वो अपने परिवार को लेकर ठंड के इस मौसम में इधर-उधर भटक रहे हैं। जिनके पक्के मकान हैं, उनको भी कोई राहत नहीं है। ज़िले के कई मोहल्लों में पानी का निकास न हो पाने के चलते घरों के अंदर बारिश का पानी भर गया है।
चने की फसलें हुई नष्ट-
बारिश के कारण किसानों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। किसानों की चने की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं। अगर ऐसे ही बरसात होती रही तो बची हुई फसलें भी बर्बाद हो जाएँगी।
उधर देश में कोरोना की तीसरी लहर ने भी दस्तक देदी है और कई शहरों में लॉकडाउन लगने की भी संभावना है। ऐसे में ये किसान अपनी बची हुई फसल से कुछ मुनाफा करना चाह रहे हैं, लेकिन बारिश थमने का नाम ही नहीं ले रही। ऐसे में न ही ये लोग बाज़ार जाकर फसल बेच पा रहे हैं और न ही अपने खेत बचा पा रहे हैं।
किसान मुश्ताक़ अली का भी चने का खेत इस तीन की बारिश में नष्ट हो चुका है। मुश्ताक़ ने बताया कि कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि के कारण भी सारी फसलें नष्ट हो गई हैं। किसानों ने सरकार से कुछ मुआवज़ा मिलने की भी उम्मीद छोड़ दी है। इन लोगों की मानें तो पिछले कई वर्षों से बाढ़ के कारण, सूखा पड़ने के कारण फसलें बर्बाद हो रही हैं, लेकिन ऐसे में किसानों को सरकार की तरफ से भी कोई राहत नहीं मिलती है।
बारिश के कारण जिन परिवारों के कच्चे घर गिर गए हैं, ये लोग भी फिलहाल आवास न होने के चलते प्रशासन से आवास मिलने की मांग कर रहे हैं। लेकिन प्रशासन की तरफ से भी इन्हें किसी प्रकार की राहत नहीं मिल रही है। लोगों की मानें तो गाँव का पटवारी लोगों से आवास दिलवाने के लिए 20 हज़ार रूपए की मांग कर रहा है।
जब हमने पटवारी उमेश मिश्रा से बात की तो उन्होंने अपनी सफाई में कहा है कि उन्होंने किसी से कोई भी पैसे नहीं मांगे हैं। उनकी मानें तो कुछ लोगों के खाते में दिक्कत आ रही है, जिसके कारण लोगों को अबतक आवास नहीं मिल पाया है।
क्या कहते हैं नगर पालिका के अधिकारी
नगर पालिका अधिकारी ओमपाल भदौरिया का कहना है कि बिन मौसम हो रही इस बारिश ने आम जनता को मुसीबत में डाल दिया है, लेकिन जिन किसानों को जिस प्रकार का भी नुकसान हो रहा है, उसकी भरपाई की जाएगी। ओलावृष्टि के कारण जिन लोगों की फसलें तबाह हो रही हैं उनको जितनी पात्रता है, उतना मुआवजा दिलवाया जाएगा। सभी लोग बैठकर इस पर चर्चा करेंगे और उसके बाद ही मुआवज़े की रकम तय की जाएगी। आवास न मिलने के मामले में उन्होंने बताया कि वो अपनी तरफ से जांच करवाएंगे और जिन लोगों के कच्चे मकान बरसात में ढह गए हैं, उनके लिए कुछ इंतज़ाम करवाया जाएगा।
इस खबर की रिपोर्टिंग अलीमा व गीता देवी द्वारा की गयी है।
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