खबर लहरिया Blog बुंदेलखंड : स्वच्छता का प्रतीक शौचालय पर लटक रहे ताले

बुंदेलखंड : स्वच्छता का प्रतीक शौचालय पर लटक रहे ताले

गांवों को खुले में शौच मुक्त करने के लिए प्रसाशन ने जगह-जगह सामुदायिक शौचालय का निर्माण करवाया है, लेकिन शहर के अंदर बने कई सामुदायिक शौचालयों में ताले लटक रहे हैं। इससे न चाहते हुए भी लोगों को खुले में शौच करने के लिए जाना पड़ रहा है। इससे सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के दावे कि पोल खुल रही है।

बुंदेलखंड में स्वच्छ भारत मिशन के तहत सामुदायिक शौचालयों का निर्माण लाखों रुपये खर्च करके कराया गया है। जिसमें शहरी क्षेत्र में सामुदायिक शौचालयों की देखरेख की जिम्मेदारी नगर निकाय और ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों की है लेकिन शौचालयों की स्थिति बदहाल है। कहीं टोंटी चोरी हो गई तो कहीं टंकी उखड़ी पड़ी हैं तो कहीं पर ताला लटका नजर आ रहा है। शासन ने कई-कई लाख की धनराशि लगाकर शौचालयों का निर्माण कराया है लेकिन उसमें ताले लटके रहेंगे तो ऐसे शौचालयों का क्या मतलब?

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6 महीने से शौचालय में लटका है ताला

                                                                                                         सामुदायिक शौचालय पर लगा ताला ( सांकेतिक फोटो)

महोबा जिला का कुलपहाड़ कस्बा जहां हर दिन लगभग 15 गाँव के लोगों का आना जाना होता है। वहाँ के गांधी चौराहा के पास बने सार्वजनिक शौचालय में 6 महीने से ताला लटका है। लोगों से पूछने पर पता चलता है की शौचालय तो बस दिखावटी बना है। ऐसे में लोग कहाँ जाएंगे। दुकानों के पीछे, झाड़ियों में या दूर कहीं सूनसान जगह लोग ढूढ़ते नजर आते हैं। ऐसे में अगर किसी के साथ कोई दुर्घटना हो जाती है तो कौन जिम्मेदार होगा? वह प्रशासन जो शौचालय बनवाई तो है लेकिन उसमें ताला जड़ रखी है।

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भूख प्यास रोक सकते हैं लेकिन शौच ..

फूला भाई, तरन्नुम और दीपक जो कुलपहाड़ कस्बे में छोटी दुकान लगाकर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। उन्होंने बताया की काफी दूर-दूर से लोग बाजार करने आते हैं। शौचालय जाने के लिए जगह खोजते हैं। काफी गुस्से में होते हैं लोग की वह कहाँ जाएँ क्या करें? भूख प्यास तो है नहीं की रोक लिया जाए। लेकिन करें तो क्या करें।

स्लोगन का लोगों के जीवन में कोई महत्त्व नहीं..

दुकानदारों ने यह भी कहा कि उन्होंने नगर पंचायत में कई बार ताला खोलने की मौखिक शिकायत भी की है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वैसे तो स्वच्छ भारत मिशन के तहत बड़े-बड़े अक्षरों में स्वच्छता पर स्लोगन लिखा दिख जाता है लेकिन क्या इस स्थिति में लोग स्वच्छ और स्वस्थ रह पाएंगे।

खुले में शौच मतलब बेशर्मी का टैग

नौगांव से आई गोमती महोबा जा रही थी। बातों-बातों में उन्होंने बताया कि उन्हें टॉयलेट लगी थी लेकिन उन्हें जगह नहीं मिली। सरकारी गाड़ियां रुकती भी हैं लेकिन प्राइवेट बसें जल्दी रुकती भी नहीं है। 30 से 35 किलोमीटर के सफर में कब तक पेशाब रोककर बैठा जा सकता है। अगर रोड में लुक-छुप के टॉयलेट के लिए बैठ भी जाते हैं तो लोग कहते हैं कितनी बेशर्म है। नगर पंचायत कुलपहाड़ के सफाई नायक संतोष ने बताया है कि पानी की सुविधा न होने के चलते शौचालय बंद है वहीं नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी कुलपहाड़ निर्दोष कुमार ने बताया है कि अभी तक उनको जानकारी नहीं थी उसका बोर ठीक कराकर शौचालय का ताला खोलवाया जाएगा।

यह सिर्फ महोबा जिले की समस्या नहीं है ऐसी समस्या लगभग हर एक गाँव में देखने को मिल जाएगी। बांदा जिला इन दिनों बाढ़ की समस्या से जूझ रहा है। चारों तरफ पानी भर गया है ऐसे में शौचालय न होने से लोग काफी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। बांदा जिले के तिंदवारी कस्बे में बना सामुदायिक शौचालय पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। 2020-21 में सरकार ने लोगों की सुविधाओं के लिए लाखों रुपया खर्च करके शौचालय बनवाया था, लेकिन वह शौचालय गंदगी से भरा हुआ है। कोई वहां जाने के लिए तैयार नहीं हैं। सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे लगाती है, लेकिन वही बेटियां सामान खरीदने बाजार आई तो शौच के लिए जगह खोजती रहती हैं।

शौचालय में रखे जाते हैं जलावन

सत्यम गुप्ता और मनीष गुप्ता का कहना है कि जो सरकार ने शौचालय बनवाया है वह लोगों की सुविधा के लिए तो है पर देखा जाए तो लोगों को सुविधा नहीं मिल रही है। सरकारी कर्मचारी सरकारी धन से अपनी जेब भरते हैं और आम जनता यहाँ वहाँ भटक रही है। घर-घर शौचालय बनवाने की बात हुई और उसमें भी खाना पूर्ति की गई। आधे-अधूरे शौचालय बनवाए गए किसी में उपले रखे हैं तो कोई यूं ही अपनी बदहाली पर आँसू बहा रहा है। जिनके घर शौचालय नहीं बने हैं वह इस बरसात के मौसम में कहाँ जाये? जिसके खेत में जाए तो मालिक गाली दे। सड़क पर शौच करे तो बेशर्म? ग्रामीण जनता करे तो करे क्या?

तिंदवारी चेयरमैन मुन्नी देवी का कहना है कि सार्वजनिक शौचालय नगर पंचायत से लोगों की सुविधा के लिए बनवाये गये हैं पर लोग चाहते ही नहीं है की उन्हें सुविधा मिले। शौचालय बनवाया गया है तो साफ-सफाई का ध्यान रखना ग्रामीणों की जिम्मेदारी है। शौचालय को खेत बना रखा है साफ-सफाई नहीं करते दोष पंचायत के अधिकारी या फिर प्रशासन को देते हैं। कोई भी दिक्कत होगी उसे सही कराना प्रसाशन की जिम्मेदारी है लेकिन साफ-सफाई रखना शौच जाने वालों की। लोग गंदगी फैलाते हैं। इस वजह से ताला लगाके रखते हैं।

इस खबर की रिपोर्टिंग श्यामकली और गीता देवी द्वारा की गयी है। 

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