उत्तर प्रदेश में बुन्देलखण्ड के सात जिले आते है| जिसमें से यहां के बांदा,महोबा और चित्रकूट सहित कई जिलों में पिछले कई सालों से खनन का कारोबार जोरों पर चल रहा है| एक ओर पहाड़ काटकर उनसे निकलने वाले पत्थर को प्लांट में डाल कर क्रेशर के जरिए गिट्टी बनाई जाती है,तो दुसरी ओर नदियों की जल धारा रोक कर बालू खनन होता है| इससे आम जनता और गरीब मजदूरों के जिन्दगी सहित पर्यावरण में भी बुरा असर पड़ता है| लेकिन खनन से जुड़े कारोबारियों के लिए पहाड़ हो या नदियों की बालू सोना उगल रही है| उन्हें लोगों की जिन्दगी से कोई मतलब नहीं है|
बांदा में नदियों का जलस्तर घटते ही खनन माफिमा दिन-रात रेत यानी बालू की खुदाई के लिए बडी़-बडी़ मशीने लगा देते हैं और ट्रकों में ओवरलोड बालू भर कर किसानों के खेत और सड़कों को उजाड़ रहे हैं|
यहां के स्थानीय लोगों का आरोप है की खनन उद्योग में बड़े-बड़े मठाधीश और रसूलदार शामिल होते हैं| इस लिए पुलिस प्रशासन भी उनका हाथ पकड़ने से डरती रहती है| यही कारण है की वह गरीब लोगों और किसान लोगों की उपजाऊ जमीन को अवैध खनन से बरबाद कर रहे हैं और अगर वह मना करते है, तो उनको जान से मारने की धमकी दी जाती है झुठे मुकदमों में फंसाया जाता है गोलियां बरसाई जाती हैं|
इसी तरह महोबा और चित्रकूट जिले में पहाड़ों के खनन का कारोबार कुछ ज्यादा ही फल- फूल रहा है|,यहां जगह-जहग पर पुकलैट और जेसीबी मशीनें खनन करती दिखेंगी और बड़े-बड़े ट्रक और टैक्टर उन पत्थरों को एक जगह से दुसरी जगह पहुंचाते हुए मिलेंगे| स्थिति ये है की कई जगह के पहाड़ तो खुदाई और ब्लासटिगं की वजह से मैदान बन चुके हैं और यहां काम करने वाले सैकडो़ मजदूर टीवी,स्वांस और दमा जैसी बीमारी का शिकर हो रहे हैं पर यहां गरीब लोगों को दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए भारी मात्रा में रोजगार भी मिलता है|
इस लिए मजबूरी में लोग पहाड़ो में काम करते हैं और वहा होने वाली प्लास्टिंग से निकलने वाली जहरिली गैस और पत्थरों के गिरने से आये दिन मजदूर मौत का शिकार भी होते है, पर प्रशासन इसमें कोई ध्यान और जवाब देही देने को तैयार नहीं होता और उन गरीब मजदूरों की मौत का सौदा खनन माफिया चंद पैसो में करके उनकी आवाज को दवा देते हैं|
जैसे की अभी हाल ही में महोबा जिले के कबरई थाना क्षेत्र के पारा गांव में 11 जून को अचानक पहाड़ में ब्लास्टिंग करने के कारण तीन मजदूरों की मौत हो गई और 3 लोग बुरी तरह से घायल हो गए इसकी सूचना लोगों ने पुलिस को दी पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को निकाल कर इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा मृतकों का शव कब्जे में लेकर पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया परिवार वालों ने बताया कि वह पहाड़ में मजदूरी का काम करते थे|
जिसमें ₹400 दिहाड़ी मिलती थी। वह सुबह मजदूरी करने के लिए आए हुए थे दोपहर में अचानक से पड़ोसी के जरिए उन्हे यह सूचना मिली की पहाड़ में ब्लास्टिंग फट गई है और वहाँ काम कर रहे ब्रजकिशोर सहित तीन लोगों की मौत हो गई है, जिससे सुनते ही वह परिवार बिलखता रहा| इस तरह से आये दिन खनन में मजदूरों की मौत होती रहती हैं| ये कोई नई घटना नहीं है पर होता कुछ भी नहीं है|
इसी तरह बांदा जिले के खपटिहा कला गांव के लोगों का आरोप है की बालू खनन करने वाली कंपनी और बालू माफिया मिलकर उनके गांव की जमीन पर अवैध खनन कर रहें है| इसके लिए उन्होंने कई किसानों को समय से पहले ही अपने खेतों की फसल कटने पर मजबूर कर दिया और फिर उनके खेतों में खडे हरे-भरे पेंडो को काटना शुरू कर खेतों के बीच से रास्ता बनाने के लिए उनकी फसल भी नुकसान कर दी हैं और ये कोई पहला मामला नहीं है जो इस तरह की घटना हुई है|
बांदा जिले की केन,यमुना और बागै नदी पर खनन का मामला दसियों साल से फल-फुल रहा है और गरीब किसान उनकी धौस धमकी से जुझ रहा है| अगर खनन माफियों से विरोध करते हैं तो लडाई झगडे़ भी हो जाते है और यहाँ तक की गोली चल जाती है,जिससे लोगों को अपनी जिन्दगी भी गंवानी पड़ जाती है|
इस लिए लोग खुल कर सामने आने के लिए डरते हैं और खनन माफिया रातो दिन बडी़ बडी़ पोकलैड मशीन से नदियों और नदियों के आस-पास बसे गांव को बद से बत्तर किए रहते है रातो दिन ट्रक और टैक्टर दौडते हैं जिससे रास्ता भी जरजर हो जाती है|
जैसे की नरैनी क्षेत्र के लहुरेटा गांव के लोगों का आरोप है की लहुरेटा घाट में रातो दिन खनन के कारण ओवरलोड ट्रक दौडने से नहर का पुल जरजर हो गया है और बहुत से किसनों के खेतों में रास्ता बना ली गई है | जिससे उनकी उपजाऊ जमीन पुरी तरह बर्बाद हो गई है| साथ ही गांव से पुरवा जाने वाली रास्ता जरजर होने के कारण दलदल से भरी रहती है और बारिश के समय तो वहां के बच्चों का स्कूल भी बंद हो जाता है क्योकिं इतना दलदल है रास्ते में तो बच्चे नहीं निकल पाते| जहां पर कोरोना वायरस महामारी से बचाव के लिए पुरे देश में हुए लॉकडाउन में जब सब लोग अपने घरों के अन्दर कैद थे तब भी खनन माफियों ने इसका भरपुर फायदा उठाया ,जब प्रशासन का ध्यान संक्रमण को फैलन से रोकने और लॉक डाउन का पालन करने में था| ताकि जो थोडा बहुत रोक लगती भी है और लोग विरोध करते हैं वह भी न हो पाए| लेकिन अब वह लोग विरोध भी करते हैं पर अधिकारियों की सह के चलते उनकी कोई सुनवाई नहीं है|