जहां इतने दिनों से देश का किसान तीन कृषि विधेयक कानून बिल को लेकर के आंदोलन कर रहे थे। प्रदर्शन जिले और तहसील स्तर में कई बार हुआ और गांव गांव में इसको लेकर के किसान नेताओं द्वारा पंचायतें भी हुईं। वहीं दूसरी तरफ छोटे और बटाईदार किसान इस कानून के बारे में आज भी अनजान हैं। उनको तो सिर्फ अपने खेतों में काम करने से मतलब है बाहर क्या और क्यों हो रहा है,उसकी जानकारी गिने चुने लोगों को है। उसमें भी लोगों को कानून लागू और वापस के फायदे लाभ पर नहीं अपनी समस्याओं के बारे में है। ‘
जब हमने इसपर कवरेज किया कि और जाना की उनकी आर्थिक स्थिति क्या है और अब सरकार ने जो तीन कृषि कानून विधेयक बिल वापस लेने का फैसला सुना दिया है उससे उनको क्या फायदा है तो वह क्या महसूस कर रहे हैं तो उन्होंने यह जरूर कहा कि अच्छा ही है सब क्योंकि महंगाई दिन पर दिन बढ़ती जा रही है लेकिन उनके अनाज का कोई मोल नहीं है। इस सरकार में वह काफी परेशान हो गए हैं।
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उनको नहीं पता कि क्या है तीन कृषि विधेयक कानून बिल। जब हमने उनसे कहा कि वह अपने खेतों को क्या ठेके पर देना चाहते हैं, तो लोगों ने कहा कि नहीं इतनी उनके पास खेती है जिसके सहारे उनकी जीवका चलती है, परिवार का भरण पोषण होता है अगर यह भी वो ठेके में दे करके मजदूरी करते हैं, तो परिवार का पालन कैसे करेगें।
वह चाहते हैं कि सरकार उन गरीब किसानों की भी सुनवाई करें महंगाई कम करे। अगर महगांई बढ़ा रही है तो उनके आना का भी सही रेट दे। किसान महंगाई और कृषि कार्य में उतनी पैदावार और अनाज का दाम सही न मिलने के कारण दिन पर दिन गिरता चला जा रहा है और उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली जा रही है। जबकि रातों दिन वो खेतों में काम करता है पर अगर देखा जाए तो उसके मेहनत की मजदूरी निकलना भी मुश्किल हो जाती है।
न तो उनको समय से खाद पानी और बिजली मिल पाती है और न ही अन्ना जानवरों से छुटकारा मिल रहा है। सरकार किसानों के लिए वादे तो बड़े-बड़े करती है, लेकिन वह वादे उनके लिए किसी भी तरह के कोई फायदेमंद नहीं होते जो चाहे जो किसानों के ऊपर थोप दिया जाता है वह गरीब और अशिक्षित किसान इन सब चीजों के बारे में नहीं जानते हैं।
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