हर साल नहरों की मरम्मत और सफाई के लिए बजट आता है, लेकिन हमेशा चारों तरफ टूटी फूटी और गंदगी से भरी ही नहरें नजर आती हैं, जिससे किसानों को सिंचाई के दौरान बहुत ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ता है। अगर मैं हाल ही की बात करूं तो इस समय खरीफ की फसल में ज्यादातर क्षेत्र में धान बोया हुआ है, लेकिन जिन जगहों में ध्यान नहीं है वहां पर नहरों के कटान की वजह से एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। लोगों का कहना है कि नहरों की कटान की वजह से खरीफ की फसल खराब हो जाती है और सड़ जाती है, तो दूसरी तरफ जहां धान बोया है वहां के लोगों का कहना है कि नहर की कटान की वजह से खेतों में पानी भरा हुआ है। भले ही धान में पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है लेकिन खाद छीटने के लिए पानी का भराव ठीक नहीं होता उस समय लोगों को पानी निकालना पड़ता है और अगर ज्यादा जलभराव हमेशा रहा तो फसलों में दिक्कत होती है।
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कहीं-कहीं तो नहरों की कटान की वजह से पानी नहीं जा पाता इसलिए दिक्कत होती है लोगों ने कई बार विभाग से मांग की लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
लोगों का कहना है कि अतर्रा माइनर में बड़ी नहर है जो हड़ा काबली होते हुए तिवारी का पुरवा में जाकर मिलती है। यह नहर जगह-जगह से कटी हुई है और कुछ पटरियां भी टूटी हुई हैं जिसके कारण खेतों में बहुत ज्यादा जलभराव हो रहा है और दिक्कतें आ रही हैं।
सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता अजय कौशिक के कहना है कि नहरों का पूरा सिस्टम काफी पुराना हो चुका है जिसके कारण जगह-जगह से कटान की दिक्कत हो रही है, लेकिन जैसे ही कहीं से कटान की जानकारी मिलती है, वैसे ही सिंचाई विभाग से कर्मचारी जाकर वहां की मरम्मत करते हैं।
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