बुंदेलखंड के किसान कभी सूखा तो कभी बाढ़ से ग्रस्त नज़र आते हैं। पिछले महीने कई जिलों में आई बाढ़ ने किसानों की फसलों को तबाह कर दिया। लोगों के बीघा के बीघा खेत जलमग्न हो गए। हज़ारों की लागत पानी में डूब गयी। लोगों ने कहा, इतना सब होने की बावजूद भी यहां किसी अधिकारी ने कदम तक नहीं रखा। अब वह अपनी परेशानी कहें भी तो किससे जब सुनने वाला ही कोई नहीं है।
जानकारी के अनुसार, अकेले बांदा जनपद के पैलानी तहसील के अंतर्गत आने वाले गांवों में 3600 बीघे खेत चौपट होने की संभावना बताई जा रही है। लोगों के अनुसार यमुना नदी में आई जबरदस्त बाढ़ के चलते जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया था। जिससे बांदा जनपद के सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे। बाढ़ से किसानों की मेहनत पर भी पानी फिर गया है। जिन किसानों ने अपने खेतों में अरहर,मूंग, ज्वार और तिल की फसलें बोई थी। वह सब बाढ़ के पानी में खराब हो गयी हैं।
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बाढ़ के कारण सबसे ज़्यादा तबाही पैलानी तहसील के गांवों में हुई है। इस क्षेत्र के किसानों का कहना है कि खेतों में बुवाई फसल पूरी तरह खराब हो गई है लेकिन उनके गांव में सर्वे के लिए कोई नहीं आया। उन्होंने कड़ी मेहनत के साथ पैसा खर्च करके खेतों में बीज डाला था। आजकल सभी जानते हैं कि जुताई, बुवाई कितनी महंगी है और बीज भी महंगा आता है।
पैलानी तहसील के एसडीएम लाल सिंह का कहना है कि बाढ़ में पैलानी क्षेत्र के 35 गांव डूबे थे और 90 प्रतिशत फसलों का नुकसान होने की जानकारी मिल रही है। इसका जायज़ा लेने के लिए राजस्व टीम को लगाया गया है। राजस्व की टीमें उन गांवो में पहुंचकर सर्वे करने में जुटी है। फसलों के क्षति के आंकलन के लिए तहसील से सूची मिलते ही कृषि विभाग भी अपनी ओर से सर्वे करेगा। इसके साथ ही कितने किसानों का कितना नुकसान हुआ है इसका आंकलन होने के बाद पीड़ित किसानों को फसल का मुआवजा देने की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
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इस तरह से चित्रकूट जिले के राजापुर और मऊ में यमुना का जलस्तर खत्म होते ही फसलों की बर्बादी का नज़ारा खेतों में दिखने लगा है। किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। फिलहाल बाढ़ प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए कृषि विभाग सहित प्रशासन की टीमों ने सर्वे शुरू कर दिया है। यहां पर भी अनुमान लगाया जा रहा है कि छह हजार हेक्टेयर में बोई गयी फसलें बर्बाद हो गयी है।
जिला कृषि अधिकारी आरपी शुक्ला ने बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों में फसलों की क्षति का आंकलन करने के लिए टीमें बना दी गई हैं। राजस्व कृषि व बीमा कंपनी के कर्मचारियों की संयुक्त टीमें बाढ़ प्रभावित गांवों में जाकर सर्वे कर रही हैं। इसके बाद आंकलन कर मुआवज़ा दिया जाएगा।
बाढ़ से प्रभावित खेती का आंकलन
बांदा जिले के डीएम अनुराग पटेल ने बताया कि
पैलानी तहसील में बाढ़ से प्रभावित हुई खेती – 850.32 हेक्टेयर
बबेरु तहसील में बाढ़ से प्रभावित हुई खेती – 26.20 हेक्टेयर
सर्वे के अनुसार पूरे जनपद का प्रभावित क्षेत्रफल 876. 52 हेक्टेयर है। यह भी बता दें कि बाढ़ से प्रभावित किसानों की संख्या लगभग 3 हजार 671 है। वहीं अभी तक 1,149 किसानों के खातों में राज्य सरकार की तरफ से 22 लाख रूपये भेजे जा चुके हैं।
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