बुलंदशहर प्रशासन ने 3 दिसंबर को सियाना में हुए गौकशी मामले को लेकर हिंसात्मक हमले में गिरफ्तार हुए तीन लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लागू किया है, जिसमें इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक स्थानीय युवक सुमित कुमार की मृत्यु हो गई थी।
नदीम, महबूब और अजहर के खिलाफ सख्त एनएसए लगाया गया है, जिन्हें गौ-हत्या अधिनियम, 1955 की धारा 3 , 5 और 8 के तहत गिरफ्तार किया गया है। तीनों बुलंदशहर के सियाना के ही निवासी हैं।
बुलंदशहर के जिला मजिस्ट्रेट अनुज झा ने कहा कि “हमने एनएसए की शुरुआत कर दी है क्योंकि आरोपियों की जमानत याचिका सुनवाई के लिए आ गई है। चूंकि वे 3 दिसंबर को किए गए अपराध के कारण हिंसा और सार्वजनिक शांति भंग करने के लिए ज़िमेदार पाए गये थे, और ऐसे में अगर हम उन्हें बाहर छोड़ देंगे तो एसी दुर्घटना फिर से भी हो सकती है। इस तरह की रोकथाम के उपाय को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है”।
बुलंदशहर पुलिस ने मुख्य आरोपी योगेश राज और शिखर अग्रवाल सहित इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या के लिए 35 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन एनएसए द्वारा दंगे और हत्या के आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना अभी बाकी है। सूत्रों के मुताबिक, प्रशासन एनएसए की कार्यवाही शुरू करने पर विचार करेगी साथ ही में भीड़ द्वारा हिंसा के मामले में आरोपियों की जमानत पर सुनवाई भी होगी।
एक अधिसूचना में यूपी के पुलिस महानिदेशक के कार्यालय ने दावा किया कि कार्यवाही करना ज़रूरी था क्योंकि गौ-हत्या अधिनियम के कारण सियाना क्षेत्र में स्थिति काफी बिगड़ गयी थी।
“गौकशी मामले में दूसरे आरोपियों के खिलाफ भी एनएसए द्वारा कार्यवाही की जाएगी। हिंसात्मक हमले और पुलिसकर्मी की हत्या के मामले में अभियुक्त के लिए एक ही सिद्धांत लागू किया जाएगा। अब भी जांच चल रही है”, ऐसा पुलिस अधीक्षक अतुल कुमार श्रीवास्तव का कहना है।