बसपा उम्मीदवार मयंक द्विवेदी की टक्कर भाजपा के वर्तमान सांसद आरके सिंह पटेल व समाजवादी पार्टी से शिव शंकर सिंह पटेल जोकि पूर्व में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं, उनसे होगी। यह त्रिकोणीय टक्कर सवर्ण समाज से आने वाले लोगों के बीच देखने को मिलेगी जिनकी पहचान समाज के सवर्ण लोगों से ज़्यादा जुड़ी है।
बहुजन समाज पार्टी ने बाँदा-चित्रकूट की लोकसभा सीट से मयंक द्विवेदी को उम्मीदवार घोषित किया है। मयंक, समाज की सवर्ण जाति से आते हैं जिसे समाज ने ब्राह्मण जाति का नाम दिया है।
बसपा उम्मीदवार मयंक द्विवेदी की टक्कर भाजपा के वर्तमान सांसद आरके सिंह पटेल व समाजवादी पार्टी से शिव शंकर सिंह पटेल जोकि पूर्व में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं, उनसे होगी। यह त्रिकोणीय टक्कर सवर्ण समाज से आने वाले लोगों के बीच देखने को मिलेगी जिनकी पहचान समाज के सवर्ण लोगों से ज़्यादा जुड़ी है।
जब हम बसपा की तरफ देखते हैं जो दलितों और पिछड़ों की आवाज़ होने का दावा करते हैं और ये उम्मीद करते हैं कि वह अपने दावे के अनुसार उनकी जगहों पर उन्हें ही आने का मौका देंगे, ऐसे में वर्तमान प्रत्याशी को देखकर यह सब गलत साबित हो जाता है।
मयंक द्विवेदी पहली बार उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। वर्तमान में वह जिला पंचायत सदस्य भी हैं। इनके परिवार की बात की जाए तो इनका पूरा परिवार ही एक तरह से राजनीति में रहा है। पिता पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी बसपा में जाने-मानें विधायक रहे हैं।
जनता की नज़र से प्रत्याशी
बरुआ गाँव की रानी वर्मा का कहना है कि, “जिस तरह से कहा जाता है कि बसपा दलितों और पिछड़ों का है, उस हिसाब से नेताओं का चयन नहीं होता इसलिए बसपा पार्टी नीचे गिरती जा रही है।”
वहीं इसी गांव की अफ़रोज़ बानो का कहना है कि वह नहीं जानती कि प्रत्याशी कौन है लेकिन ये सुना है कि मायावती का कार्यकाल अच्छा रहता है। इस बार अगर ब्राह्मण प्रत्याशी भी खड़ा है तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें बस पार्टी से मतलब है।
बाबूलाल जोकि दलित हैं व नरैनी ब्लॉक के पिपराही गांव के रहने वाले हैं। उनका चुने प्रत्याशी को लेकर यही कहना है कि उन्होंने गांव में सीसी रोड व नाली बनवाने का काम किया है तो वह चाहते हैं कि सांसद जीते।
जनता की प्रत्याशी व पार्टी, दोनों को लेकर ही अलग-अलग प्रतिक्रिया रही। बता दें, बांदा में 20 मई को चुनाव होने हैं। थोड़ा पीछे चलकर देखें तो साल 2019 लोकसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा उम्मीदवार आरके सिंह पटेल को जीत मिली थी। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में आरके सिंह पटेल बसपा की तरफ से लड़े थे जहां वह दूसरे स्थान पर आये थे व पहले नंबर भाजपा प्रत्याशी भैरों प्रसाद मिश्रा रहे थे।
बसपा का दोनों ही लोकसभा चुनाव के दौरान कोई दबदबा देखने को नहीं मिला। हालांकि, वह पार्टी की पहचान व दलित समुदाय को वोट बना इसे लड़ रही थी जो दोनों ही लोकसभा चुनावों में सफल नहीं हो पाया।
जातिगत राजनीति को देखते हुए ब्राह्मण उम्मीदवार उतारने के बाद भी जब पिछले दो लोकसभा चुनावों के आंकड़े देखते हैं तो उसके बाद भी यह कहना मुश्किल है कि बसपा बाँदा-चित्रकूट की सीट पर अपने पैर जमा पायेगी।
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गई है।
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