इस पुस्तक प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को किताबों से जोड़ना है, ताकि हर वर्ग और हर उम्र के लोग पढ़ाई-लिखाई से जुड़ें और जागरूक बनें। चाहे विषय नाटक, कहानी, कानून, महिलाओं के अधिकार हों या बच्चों के लिए चित्रों व कहानियों से भरपूर पुस्तकें हर किसी की रुचि और ज़रूरत का ध्यान इस मेले में रखा गया है।
रिपोर्ट – संगीता
वो कहते हैं न, आपकी सबसे अच्छी दोस्त किताबें होती हैं। किताबों से आप बहुत कुछ सीखतें भी हैं और दूसरों को सिखाते भी हैं। लेकिन आजकल के बच्चों ने हाथों में मोबाइल क्या ले लिया वो तो किताबों से दूर होते जा रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चे पढ़ने के बजाय मोबाइल में रील देखना पसंद करते हैं, लेकिन इसी उम्र में तो वे तेजी से समझना और पढ़ना सीखते हैं। अयोध्या जिले में एक सप्ताह का पुस्तक प्रदर्शनी मेला आयोजित किया गया है, जो 21 अगस्त से 27 अगस्त तक चलेगा। यह मेला के.एस. साकेत पी.जी. कॉलेज में लगाया गया है।
मेले में अनगिनत किताबें
इस मेले में बच्चों के लिए रंगीन चित्रों और रोचक कहानियों से उनकी रुचि को जगाने का प्रयास किया गया है, वहीं किशोरों, युवाओं और बड़ों के लिए ज्ञानवर्धक, सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों की पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं।
अयोध्या पुस्तक मेले का उद्देश्य
इस पुस्तक मेले का उद्देश्य जनता को पुस्तकों के प्रति आकर्षित करना और उनके जीवन में किताबों के महत्व को फिर से लाना है। पुस्तक प्रेमियों के लिए यह मेला एक सुनहरा अवसर है, जहाँ वे विभिन्न विषयों की पुस्तकों से रूबरू हो सकते हैं और ज्ञान की दुनिया में एक बार फिर लौट सकते हैं। इस पुस्तक प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को किताबों से जोड़ना है, ताकि हर वर्ग और हर उम्र के लोग पढ़ाई-लिखाई से जुड़ें और जागरूक बनें। चाहे विषय नाटक, कहानी, कानून, महिलाओं के अधिकार हों या बच्चों के लिए चित्रों व कहानियों से भरपूर पुस्तकें हर किसी की रुचि और ज़रूरत का ध्यान इस मेले में रखा गया है।
किताबों का ज्ञान जरुरी
इस पुस्तक मेले में अम्बेडकर नगर से आए शिव करन भी सम्मिलित हुए हैं, जिन्हें भूमि और संपत्ति से संबंधित पुस्तकों में विशेष रुचि है। उनका मानना है कि आजकल पारिवारिक जीवन में ज़मीन-जायदाद को लेकर अक्सर विवाद उत्पन्न हो जाते हैं। यदि लोगों को इस विषय में सही और समुचित जानकारी हो तो कानूनी परेशानियों और कोर्ट-कचहरी के चक्कर से बचा जा सकता है।
शिव करन जैसे जागरूक पाठकों की भागीदारी यह दर्शाती है कि पुस्तक मेला न केवल साहित्यिक रुचि का केंद्र है बल्कि यह व्यावहारिक ज्ञान और कानूनी समझ बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम भी बन रहा है।
मेले में लगभग 60 भाषाओं में किताबें उपलब्ध
पुस्तक प्रदर्शनी में 60 भाषाओं में किताबें उपलब्ध हैं। जिस व्यक्ति को जिस भाषा में किताब पढ़नी हो वो उसी भाषा में अपनी पसंद की कहानियां, नाटक या जो भी उनकी रूचि की किताब हो वो खरीद सकते हैं।
किताबों से जुड़ाव जरुरी
डिजिटल माध्यमों ने जहाँ सूचना को सुलभ बनाया है, वहीं यह भी देखा गया है कि लगातार मोबाइल पर पढ़ने और स्क्रीन पर निर्भर रहने के कारण लोगों की स्मरणशक्ति पर असर पड़ रहा है और भूलने की आदत आम होती जा रही है। इसलिए ज़रूरत है कि हम एक बार फिर किताबों की ओर लौटें क्योंकि किताबें न सिर्फ ज्ञान देती हैं, बल्कि सोचने, समझने और याद रखने की शक्ति भी बढ़ाती हैं।
किताबों से दूर होती नई पीढ़ी
आज के इस आधुनिक डिजिटल युग में लोग तेजी से किताबों से दूर होते जा रहे हैं। पहले जहाँ लोग घंटों तक किताबों में डूबे रहते थे, अब वही रुचि मोबाइल और डिजिटल माध्यमों में सिमट कर रह गई है। चाहे वह कहानी हो, नाटक हो, या किसी विषय की गहराई लोग अब किताबों को हाथ में लेकर पढ़ने की बजाय मोबाइल स्क्रीन पर स्क्रॉल करना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे में इस तरह से पुस्तक मेले लगने से बच्चों में किताबों को पढ़ने और किताबों से दोस्ती करने का एक रास्ता खुल जाता है।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’


