महोबा शहर के समाजसेवी राम मनोहर बाबला 10 आंखों से दिव्यांग बबच्चों को सिर्फ रहने और खाने की सुविधा नहीं दे रहे बल्कि साथ में उन्हें डिजिटल रूप में भी सक्षम बना रहे हैं. कई बच्चों ने बताया है कि हम लोग महोबा आकर बहुत खुश हैं। हमें तो लगता है कि जो हमारे सर हैं वो मां-बाप की ही तरह हैं जो हमें अच्छी दिशा दिखा रहे हैं|
यह सेंटर लगभग 6 महीना से खुला है पहले तो हमने यहां के बारे में सोचते थे कि पता नहीं क्या होगा।लेकिन जब कुछ बच्चे जो यहाँ पढ़ते थे उन्होंने हमारा संपर्क कराया। तब पता लगा , हमने फोन के थ्रू संपर्क किया तो उन्होंने हमें बुलाया और कहा कि हम आपकी पूरी रहने और खाने की व्यवस्था करेंगे और आपको संगीत सिखाने के साथ ही ऑनलाइन पढ़ाई भी करवाएंगे।
हमने सोचा कि अच्छी व्यवस्था है और यहाँ रहने लगे. विपिन जो महोबा जिले के ब्लाक पनवाड़ी गांव बहादुर पुरका रहने वाला है ने बताया कि ”मैं b.a. की पढ़ाई कर रहा था लेकिन लॉकडाउन की वजह से कॉलेज बंद थे। मुझे लगता था कि मेरी पढ़ाई कैसे हो पाएगी और मैं पेपर कैसे दे पाऊंगा ? क्योंकि मेरे पास स्मार्टफोन भी नहीं था. लेकिन यहाँ राम मनोहर सर ने हमें भरोसा दिया था कि हम आपके पेपर करवाएंगे भले ही आपके पास मोबाइल नहीं हैं और ऐसा हुआ भी. उन्होंने हम लोगों की ऑनलाइन पेपर करवाया है जिससे हमें बहुत खुशी है|
राम मनोहर बाबला ने बताया कि पिछले 3 सालों से मैं महोबा जिले के गरीब असहाय लोगों को भोजन करवा रहा हूँ. फिर मैंने सोचा ऐसा क्यों ना सोचा जाए जो बेसहारा लोग हैं जो देख नहीं सकते ऐसे युवा जो पढाई कर रहें है लेकिन व्यवस्था न हो पाने के कारण पढाई में बाधा आ रही है उनके लिए संगीत, खाना, रहना के साथ ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था करा सकूँ। ये काम 6 महीना से चल रहा है जिसमे 10 दिव्यांग बच्चे हैं और आगे हमारा प्रयास रहेगा कि हम इसी तरह के बच्चों को कुछ बना सकें।