याचिकाकर्ता सुभाषिनी अली ने कहा, हम तो यही मांग कर रहे हैं कि बिलकिस को सुरक्षा मिलना चाहिए, मुआवज़ा मिलना चाहिए। एक अच्छी ज़िंदगी मिलनी चाहिए, यह हमारी मांग है लेकिन गुजरात सरकार और भाजपा सरकार क्या करेगी, इसके लिए हम ज़िम्मेदार नहीं हैं।
Bilkis Bano Case: “मैंने राहत के आंसू रोये। मैं डेढ़ सालों बाद पहली बार मुस्कुराई। मैनें अपने बच्चों को गले लगाया। ऐसा लग रहा है कि पहाड़ के समान जो पत्थर मेरे सीने पर था, वह अब उतर गया है और मैं फिर से सांस ले सकती हूँ”- बिलकिस बानो ने 8 जनवरी, सोमवार को अपने एक बयान में कहा। यह राहत की सांस सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद आई जिसमें उन्होंने बिलकिस बानो मामले में शामिल 11 दोषियों को दो हफ़्तों के अंदर जेल अधिकारियों को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया।
बिलकिस कहतीं, “न्याय कुछ ऐसा महसूस होता है। मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय का धन्यवाद करती हूँ जिन्होंने मुझे,मेरे बच्चों व हर जगह की महिलाओं के लिए प्रमाण व आशा के साथ सबके लिए एक समान न्याय का वादा किया।”
“Today is truly the New Year for me” – statement of #BilkisBano on #SupremeCourt judgment. pic.twitter.com/f7Uyr8v6TY
— Live Law (@LiveLawIndia) January 8, 2024
गुजरात सरकार ने साल 2022 में बिलकिस बानो मामले में शामिल 11 दोषियों को रिहा कर दिया था, जिसे रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया। बता दें, साल 2002 में गुजरात दंगो के दौरान गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था व उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी जिसके दोषियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था। उस समय बिलकिस ने बस यही कहा कि, “क्या एक औरत को दिए गए न्याय का अंत यही है?”
सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के बाद बिलकिस के आँखों में खुशी के आंसू दिखें। कहतीं, “आज मेरे लिए असल में नया साल है।” वो साल, वो दिन, वो समय जिसका इंतज़ार वह एक बार फिर खुलकर जीने के लिए कर रही थीं। वह भी उस देश में जहां बेटी-बेटी का नारा पूरे साल लगता है लेकिन जब उनके समर्थन में आवाज़ लगाने की बात आती है तो हर नेता, पार्टी, कोर्ट सन्नाटे में शामिल हो जाते हैं।
यह लड़ाई हज़ारों साधारण लोगों व महिलाओं के साथ, के ज़रिये जीती गई है, जिन्होंने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। एक दूसरे को थामे रखा, एक दूसरे को हिम्मत देते रहे तब तक जब तक उन्हें इंसाफ नहीं मिला।
बिलकिस बानो मामले में याचिकाकर्ता सुभाषिनी अली का क्या है कहना
खबर लहरिया की प्रबंध संपादक मीरा देवी ने बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाये गए फैसले को लेकर सुभाषिनी अली (Subhashini Ali) से बात की। सुभाषिनी अली, बिलकिस बानो मामले की याचिकाकर्ता हैं जिनकी पहचान एक राजनेता के रूप में भी है।
उन्होंने बताया, “इस फैसले का हम लोग निश्चित रूप से स्वागत कर रहे हैं लेकिन सवाल इससे कई ज़्यादा बड़ा है। हम लोग AIDWA/ एआईडीडब्ल्यूए, अपनी महिला समिति के साथ गुजरात गए थे, दंगो में। बिलकिस बानो से हादसे के दो दिन बाद कैंप में मिले थे।
मैं कभी भूल नहीं सकती,उसकी क्या हालत थी। बहुत कमज़ोर थी लेकिन उसने बड़ी हिम्मत दिखाई और आठ साल तक अपना केस लड़ा। उसके पति ने भी उसका साथ दिया। आठ साल बाद महाराष्ट्र से उसे न्याय मिला और उन लोगों को सज़ा मिली। लेकिन गुजरात की सरकार ने लगातार उन्हीं लोगों की मदद की जबकि केस चल रहा था तब भी उन्हीं लोगों की मदद कर रही थी। जब वे जेल में थे तब भी उन्हें लगातार पैरोल पर लगातार छूट मिलती रहती थी।
हमें सबसे ज़्यादा धक्का तब लगा जब 15 अगस्त को प्रधानमंत्री लाल किले से यह कह रहे थे कि महिलाओं का सम्मान होगा और उनकी सुरक्षा होगी। ठीक उसी समय उनकी सरकार ने गुजरात के अंदर इन लोगों को रिहा कर दिया।
जब ये जेल से निकले तो इन्हें माला पहनाई गई, इन्हें मिठाई दी गई, इनका माहिमा-मंडन हुआ। कहा गया ये तो संस्कारी ब्राह्मण है तो ऐसा लगा कि इस देश अब होने क्या जा रहा है जब इतना जघन्य अपराध करने वालों का संरक्षण सरकार की तरफ से इस तरह से होगा। वहीं पीड़ित पक्ष को अकेला छोड़ दिया जाएगा। उनकी कोई सुरक्षा नहीं होगी फिर समाज में अब होगा क्या।”
सरकार ने अपराधियों की हर संभव मदद की – अली
अली ने कहा, उन्होंने सोचा कि इसके खिलाफ उन्हें कोर्ट में ज़रूर से जाना चाहिए। इस बारे में उन्होंने जाने-माने व बड़े वकील कपिल सिबल से चर्चा की। इसके बाद सुभाषिनी अली ने रूप रेखा वर्मा व ज्योति लाल के साथ मिलकर याचिका दायर की। इसके बाद और भी कई लोगों ने मामले को लेकर याचिका दायर की।
आगे कहा,
‘कोर्ट में काफी दिन लग गए क्योंकि गुजरात की सरकार मामले को सिर्फ लंबित ही करना चाहती थी। कभी ये कागज़, कभी वो कागज़…… मतलब जितना सम्भव किसी की मदद हो सकती है वो दोनों सरकारों ने उन अपराधियों का किया।”
सरकार से सवाल
इन सब चीज़ों के अलावा और भी मेरे कई बड़े-बड़े सवाल है – अली ने कहा।
– क्यों एक सरकार इतना ज़्यादा अपराधियों की मदद कर रही है? क्या उसकी मज़बूरी है, क्या उसकी सोच है?
– क्या वो ये सन्देश देना चाहते हैं कि अगर आप हमारा साथ दोगे तो चाहें आप बलात्कार करो, चाहें आप हत्या करो, चाहें कुछ भी करो, हम आपके साथ है। हम आपका बाल-बांका होने नहीं देंगे। क्या ये सन्देश देना चाहते हैं?
– जो पीड़ित पक्ष है, जो हमारे देश की महिलाएं हैं उन्हें क्या संदेश मिल रहा है? वो कैसे लड़ेंगी न्याय के लिए? वो कैसे न्याय प्रात करेंगी?
इन सवालों के जवाब सरकार में बैठे हुए लोगों से मांगा जाना चाहिए। जिस तरह से उन्हें छूट मिल रही है, कुछ करें, कुछ भी बोले…. इस बंद होना चाहिए। उनसे यह सवाल किया जाना चाहिए कि
– आप लोग लगातार अपराधियों और बलात्कारियों का साथ क्यों दे रहे हैं?
‘हम आपकी लड़ाई में साथ देंगे’ – अली
अली ने कहा, हम दूसरी तरफ महिलाओं को यह सन्देश देना चाहते हैं, हाँ हम मानते हैं कि हालात जो हैं वह बहुत निराशाजनक है। आप लोग भी सोच रहे होंगे कि हम कैसे लड़ें लेकिन हम सब लड़ने के लिए तैयार है। तमाम संगठन और एक्टिविस्ट हैं, आप हिम्मत मत हारिये। हम लोग आपकी लड़ाई में आपका साथ देंगे।
सरकार को यह करना चाहिए
हम तो यही मांग कर रहे हैं कि बिलकिस को सुरक्षा मिलना चाहिए, मुआवज़ा मिलना चाहिए। एक अच्छी ज़िंदगी मिलनी चाहिए, यह हमारी मांग है लेकिन गुजरात सरकार और भाजपा सरकार क्या करेगी, इसके लिए हम ज़िम्मेदार नहीं हैं – याचिकर्ता अली ने कहा।
उन्होंने आखिर में एक बेहद सवाल उठाते हुए कहा कि,” ये लड़ाई बहुत कठिन है और यह सवाल है कि आखिर कितने लोग सुप्रीम कोर्ट तक जा सकते हैं? लोगों को भी यह समझना चाहिए कि ये किस तरह की सरकार है। ऐसा थोड़ी न हो सकता है कि आपको न्याय भी चाहिए और आप सरकार का समर्थन भी करेंगे, ऐसा थोड़ी न हो सकता है।”
और यह सवाल हर एक व्यक्ति से है, हर एक व्यक्ति से जुड़ा हुआ है। इंसाफ की पहुंच हर किसी के पास नहीं होती, हर किसी के पास मदद नहीं पहुँचती इसलिए लड़ाई की शुरुआत होना ज़रूरी है, ताकि ये लड़ाई साथ लड़ी जा सके सबके लिए।
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’