जिला शिवहर, प्रखंड तरियानी का गांव बैजनाथपुर। यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेतों पर मजदूरी करना हैं । जिले से करीब 18 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में ज्यादातर लोगों के पास खेती की जमीन बहुत ही कम है लेकिन ये किसान मजदूर बटाई और ठेके पर बड़े जमीनदारों की खेती लेकर किसानी करते हैं।
इस समय इन लोगों ने खेतों में धान लगाया हुआ है। धान के लिए खाद और सिंचाई के लिए पानी भी नहीं मिल पा रहा है। हफ्तों से ढंग की बारिश भी नहीं हुई है कि उससे सिंचाई की जा सके। छोटे और मजदूर किसानों के पास इतना पैसा भी नहीं कि सिंचाई के लिए पानी भी खरीद सकें।
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सत्तर वर्षीय महेंदर शाह और उनकी पत्नी 65 वर्षीय गायत्री देवी कहते हैं कि उनके पास एक बीघा खेती है, उसमें उन्होंने धान लगाएं हुए हैं। इन्होंने दो बोरी खाद बाजार से और दो बोरी खाद सोसायटी से खाद ली हुई हैं। बहुत मेहनत करने के बाद यह खाद तो मिल गई लेकिन पानी कैसे खरीदें।
पचास से सौ रुपये का घण्टा सिंचाई का पैसा लेते हैं। सिचाई के लिए एक बीघा ज़मीन में कम से कम दस घण्टे लगते हैं। मतलब कि एक हज़ार रुपये एक बार की सिंचाई के लिए पैसा चाहिए होता हैं। इतना पैसा न होने के कारण धान सूख रहा है।
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शैल देवी जो कि किसान मजदूर हैं, वह बताती हैं कि उन्होंने डेढ़ बीघा खेती बटाई पर ली हुई है। उसमें उन्होंने धान लगाया है। अब तक उनके कुल तेरह हज़ार रुपये खर्च हो चुके हैं।यह 18 मन का बीघा खेत हैं। जिस किसान का खेत है उसको एक सीजन का 14 मन 18 किलो देना होता है। खेती तो जुआ का खेल है। कुछ पैदा हो या न हो किसान को तो उतना पैसा देना ही पड़ेगा।
बिंदेश्वर साहनी कहते हैं कि वह गरीब किसान हैं। उनको खाद नहीं मिला तो उनके दस कटा के खेत में खाद नहीं डाल पा रहें हैं। पानी भी नहीं है। बारिश भी नहीं हुई है कई दिनों से इसलिए धान सूख रहा है।
किसान विशेखराय, लालू कुमार और खिलाड़ी रॉय कहते हैं कि यूरिया की खाद छह सौ रुपये मिल रही है। किसान के लिए सरकार कोई काम नहीं कर रही है। यहलोग धान भी मुश्किल से पैदा कर पा रहे हैं क्योंकि इनको खाद और पानी की भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं।
जमीला खातून बताती हैं कि इन्होने बटाई पर दूसरे का खेत ली हुई हैं। उसमें इन्होंने धान लगाया हुआ हैं। सरकारी सोसाइटी में खाद भी बहुत मुश्किल से मिल रहा है। इस समय सोसाइटी में भी बहुत भीड़ लग रही है इसलिए भी किसानों को खाद नहीं मिल रही है।
वहां के वार्ड सदस्य मोहम्मद अय्यूब का कहना है कि गाँव की आबादी ज्यादा है, इस कारण 100 गल्ला खाद भी कम पड़ जाता है । और खरीदने के लिए पैसे भी तो चाहिए होते हैं, ग़रीब आदमी इतने पैसे कहा से लाएगा ।
प्रखंड पदाधिकारी तरियानी, जिला शिवहर ने ऑडियो रिकॉर्डिंग में बताया कि यह सब ग़लत अफवाह है। गांव में समय-समय पर खाद और पानी का इंतज़ाम किया जाता है और गाँव में जाकर खाद का वितरण होता है। उन्होंने बताया की इस बार तो उनके कार्यालय में खाद से सम्बंधित कोई शिकायत नहीं आई हैं।
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