खबर लहरिया Blog बिहार: चुनाव हारने पर पूर्व मुखिया ने तोड़ी सड़क, गांव वालों ने लगाया आरोप

बिहार: चुनाव हारने पर पूर्व मुखिया ने तोड़ी सड़क, गांव वालों ने लगाया आरोप

बिहार के जहानाबाद के नौरू पंचायत के सिबल बीघा गांव का एक मामला सामने आया है जिसमें नाराज मुखिया ने चुनाव हारने पर सड़क को तहस-नहस कर दिया।

Bihar News: Villagers alleged, former gram pradhan broke the road after losing the election

                                                                      शनिवार 5 अक्टूबर को,  टूटी सड़क को लेकर दर्जनों गांव वालों ने जिला अधिकारी को ज्ञापन सौंपा (फोटो साभार – फर्स्ट बिहार झारखंड X अकाउंट)

जहानाबाद सदर प्रखंड के नौरू पंचायत के सिबल बीघा गांव में पूर्व मुखिया छोटन यादव ने अपनी ही बनाई गई सड़क को तोड़ दिया। सड़क के टूटने से पांच गांव का रास्ता अवरुद्ध हो गया। पूर्व मुखिया छोटन यादव ने कहा कि सड़क उनकी निजी जमीन पर बनाई जा रही थी। गांव वालों ने शनिवार 5 अक्टूबर को मिलकर जिला अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी अनिल मिस्त्री ने जानकारी दी और पुलिस उपखंड के प्रमुख (सीओ) द्वारा जाँच कराई जा रही है।

बिहार के जहानाबाद के नौरू पंचायत के सिबल बीघा गांव का एक मामला सामने आया है जिसमें नाराज मुखिया ने चुनाव हारने पर सड़क को तहस-नहस कर दिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस बार के ग्राम पंचायत चुनाव में सिबल बीघा गांव के लोगों ने पूर्व मुखिया छोटन यादव को वोट न देकर वर्तमान मुखिया बिहारी यादव को वोट दिया। इस बात से नाराज हो मुखिया ने सड़क पर ट्रैक्टर से हल चलवा दिया।

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वतर्मान मुखिया द्वारा सड़क को पक्का किया जा रहा था

सालों से जर्जर हो चुकी सड़क को जब वर्तमान मुखिया बिहारी यादव ने पीसीसी सड़क बनाने का प्रयास किया तो, पूर्व मुखिया छोटन यादव और उसके समर्थकों ने ट्रैक्टर से हल चलाकर सड़क को तोड़ दिया। गांव वालों ने बताया कि पूर्व मुखिया द्वारा बिछाई गई ईंटों पर ही वर्तमान मुखिया ढलाई का काम करवा रहे थे जिससे पूर्व मुखिया नाराज हुए। बिहार के न्यूज़ चैनल ने गांव के लोगों से बातचीत का वीडियो शेयर किया जहां गांव के लोगों को ऐसा कहते देखा जा सकता है।

पूर्व मुखिया ने की गाली-गलौज और मारपीट

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गांव वालों ने ये भी आरोप लगाया कि मुखिया के समर्थन और मुखिया ने गाली दी और गांव वालों के साथ मारपीट भी की। गांव वालों ने कहा कि पूर्व मुखिया सड़क नहीं बनना देना चाहते।

पूर्व मुखिया का आरोप निजी जमीन पर हो रहा सड़क निर्माण

इस मामले के बढ़ जाने पर पूर्व मुखिया ने बताया कि उनकी निजी जमीन में सड़क बनाई जा रही थी। सवाल यह उठता है कि अगर ऐसा है तो पहले उन्होंने ही इस सड़क का निर्माण क्यों किया?

मुखिया के इस तरह के बर्ताव से कई गांव के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्या आम नागरिक को अपना वोट किसी और उम्मीदवार को देने का अधिकार नहीं? यदि वो सालों बाद अपना वोट बदलना चाहे तो क्या उन्हें ये अधिकार नहीं है? यदि वे किसी ऐसे उम्मीदवार को वोट देना चाहे जो सच में उनके गांव का और उनकी समस्याओं का समाधान कर सकता है तो ऐसा परिणाम सामने आना कहाँ तक सही है?

 

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