खबर लहरिया Blog बिहार : आर्सेनिक युक्त पानी पीने से लोगों में बढ़ रहा कैंसर का खतरा

बिहार : आर्सेनिक युक्त पानी पीने से लोगों में बढ़ रहा कैंसर का खतरा

पटना से जुड़े मानेर की कई पंचायतों में पिछले 10 सालों से 200 से भी ज़्यादा लोग कैंसर की समस्या से जूझ रहे हैं। ज़मीन से निकल रहे आर्सेनिक युक्त पानी का रंग लाल और पीला है व लोग इस पानी को पीने के लिए मज़बूर हैं।

Big projects like Namami Gange, Jal Jeevan Mission are unable to solve the problem of water crisis in villages

                             सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार – खबर लहरिया)

बिहार में इस समय आर्सेनिक युक्त पानी ( Arsenic rich water)पीने से कैंसर के काफी मामले सामने आ रहे हैं। पटना का मानेर ब्लॉक इस समय कैंसर के मरीज़ों का हॉट स्पॉट बन हुआ है। पिछले कुछ सालों में प्रखंड की कई पंचायतों में कैंसर के मामले बढ़े हैं। कई मामलों में तो कैंसर की वजह से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है।

द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 18 जिलों में भूजल में आर्सेनिक होने की जानकारी पहले ही मिल चुकी है। मानेर की समस्या तब सामने आई जब यहां के लोगों ने पीने के साफ़ पानी की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। लोग अपने क्षेत्रों में आर्सेनिक फिल्टर लगाने की मांग कर रहे हैं जिस पर ज़िम्मेदार अधिकारियों द्वारा अभी तक कोई काम नहीं किया गया है।

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बोरिंग की वजह से आर्सेनिक की बढ़ रही मात्रा

जानकारी के अनुसार, बोरिंग की वजह से कुओं में आर्सेनिक की मात्रा अधिक होती है। यही वजह है कि क्षेत्र के लोग मज़बूरन अधिक आर्सेनिक वाला पानी पी रहे हैं जिसकी वजह से उनमें कैंसर का खतरा बढ़ रहा है।

गांव के हर परिवार में है कैंसर के मरीज़

एएनआई की रिपोर्ट कहती है कि यूपी, बिहार, महाराष्ट्र व पश्चिम बंगाल चार ऐसे राज्य हैं जहां सालाना कैंसर से 1 लाख से भी ज़्यादा लोगों की मौत दर्ज़ की जाती है। साल 2022 इन चारों राज्यों में से बिहार में सबसे ज़्यादा मौतें दर्ज़ की गयी थी।

रिपोर्ट में आगे बताया गया, पटना से जुड़े मानेर की कई पंचायतों में पिछले 10 सालों से 200 से भी ज़्यादा लोग कैंसर की समस्या से जूझ रहे हैं।

गांव के प्रधान शैलेश कुमार ने बताया कि उनके माता-पिता की मौत भी कैंसर से हुई थी। आगे बताया कि पूरे गांव में 100 से ज़्यादा परिवारों के घरों में कैंसर के मरीज़ है लेकिन सरकार द्वारा यहां पर पानी से आर्सेनिक दूर करने को लेकर कोई कार्य नहीं किया जा रहा है।

ज़मीन से निकल रहे पानी का रंग लाल और पीला है और वह इस पानी को पीने के लिए मज़बूर हैं।

हर साल 1.5 लाख पाए जाते हैं कैंसर के मरीज़

होमी जे बाबा कैंसर इंस्टीट्यूट के इन ऑफिस इंचार्ज डॉ. रवि कान्त ने विश्व कैंसर दिवस पर बिहार में कैंसर की वर्तमान स्थिति के बारे में बताया। कहा, हर साल बिहार में 1.5 लाख कैंसर के मरीज़ पाए जाते हैं जिसका सबसे बड़ा कारण तंबाकू है।

समस्या के निपटारे में ढीले दिखे अधिकारी

दानापुर के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट प्रदीप सिंह ने बताया कि, “मैंने मनेर के 73 गांवों के भूजल में आर्सेनिक की शिकायत के बारे में मीडिया रिपोर्ट देखी है। हम इसकी जांच करेंगे और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे।”

बिहार के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने शनिवार 4 फरवरी को रिपोर्टर्स को बताया कि उन्हें राज्य में इस मुद्दे की जानकारी है। उन्होंने कहा, “हम टाटा मेमोरियल अस्पताल के साथ कैंसर के इलाज पर काम कर रहे हैं। हम राज्य के छह मेडिकल कॉलेजों में यह सेवा प्रदान कर रहे हैं और हम कैंसर की दवा मॉर्फिन और प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता लगाने के लिए परीक्षण सुविधाएं भी राज्य के 38 जिलों में प्रदान करने जा रहे हैं।”

पहले भी आर्सेनिक युक्त पानी को लेकर की थी रिपोर्ट

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष और आर्सेनिक के एक प्रमुख विशेषज्ञ अशोक कुमार घोष ने बताया कि मानेर में ग्रामीणों के बीच कैंसर के फैलाव की रिपोर्ट कोई नई नहीं है। उन्होंने साल 2005 में ही मानेर क्षेत्र में पानी में आर्सेनिक की उच्च सांद्रता होने की जानकारी दी थी। क्षेत्र में गंगा नदी से सटे कुओं से इकट्ठे किए गए पानी के नमूनों के विश्लेषण के दौरान यह पाया गया कि कुछ नमूनों में आर्सेनिक की सांद्रता 900 माइक्रोग्राम प्रति लीटर के रूप में थी।

अतः, आर्सेनिक युक्त पानी व उससे होती कैंसर की समस्या सालों से चली आ रही है जिसके बारे में अधिकारीयों को भी जानकारी है और फिर आज यह समस्या दोबारा बड़े पैमाने पर आकर खड़ी हो गयी जिसके निपटारे को लेकर बड़ी बातें तो की गयी लेकिन कोई समाधान नहीं किया गया।

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